आज से ओडिशा और गुजरात में भगवान जगन्नाथ की यात्रा शुरू हो गई है. ये यात्रा दस दिन की होगी. अहमदाबाद में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सुबह की आरती में शामिल हुए. इसके बाद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सोने की झाड़ू लगाकर रथ यात्रा को रवाना किया. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके रथ यात्रा की शुभकामनाएं दी. ट्वीट में एक वीडियो भी है, जिसमें पीएम भगवान जगन्नाथ और रथा यात्रा के बारे में बता रहे हैं.
- 01/03(फोटो: ANI)
- 02/03(फोटो: ANI)
- 03/03(फोटो: ANI)
पुरी में यात्रा शुरू
उड़ीसा के पुरी में धूमधाम से रथ यात्रा आज शुरू हो रही है.यूनेस्को ने पुरी के कई हिस्सों को विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया है. जिसके बाद ये पहली रथ यात्रा होने वाली है. ये रथयात्रा दुनिया में प्रसिद्ध है. देश विदेश से लाखों श्रद्धालु रथ यात्रा में शामिल होने आते हैं.
रथ यात्रा में क्या होता है?
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा उनके मंदिर से शुरू होती है. भगवान को पूरे इलाके में घुमाया जाता है. यात्रा से पहले पूजा होती है. रथ यात्रा में सबसे पहले बालभद्र, उसके बाद सुभद्रा और आखिर में भगवान जगन्नाथ का रथ होता है. ये रथ मोटे-मोटे रस्सों से बंधे होते हैं. हजारों लोग इन रस्सों के जरिए रथ खींचते हैं. इस रस्से से भी श्रद्धालुओं की श्रद्धा जुड़ी होती हैं, हर कोई इसे हाथ लगाना चाहता है. रथ के साथ-साथ वाद्य यंत्र बजते हैं और रथ के आगे झाड़ू भी लगाई जाती है.
14 जुलाई से शुरू इस यात्रा को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. सुरक्षाबल वर्दी में तो मौजूद रहेंगे ही, साथ ही पुलिस भी बिना वर्दी के भीड़ में मौजूद रहेगी और संदिग्धों हरकतों पर नजर रखेगी.
जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें
- जगन्नाथ मंदिर और इसके आसपास की हवाएं जमीन से समुद्र की ओर चलती हैं, जबकि अमूमन ज्यादातर समुद्री तटों पर हवा समुद्र से जमीन की तरफ चलती है.
- मंदिर के पास कोई पक्षी उड़ता देखा नहीं जाता.
- मंदिरा की रसोई सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है. इसमें 65 तरह के भोग बनते हैं. यहां 500 रसोइए और उनके 300 सहयोगी काम करते हैं.
यह भी पढ़ें: पुण्यतिथि विशेष: मदन मोहन के सदाबहार नगमे... जो अमर हो गए
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)