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Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत 19 मई को रखा जाएगा,जानें मुहूर्त व महत्व

Vat Savitri Vrat: वट सावित्री का व्रत रखने के साथ-साथ इसकी पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

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Vat Savitri Vrat 2021 Date and Time: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा. जो कि इस बार 19 मई 2023 को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाओं के द्वारा रखा जाता है. इस व्रत को अखंड सौभाग्य पाने और अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाता है, साथ ही इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. माना जाता है कि बरगद के पेड़ में भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी का वास होता है और वट सावित्री का व्रत रखने के साथ-साथ इसकी पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

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वट सावित्री व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावित्री ज्येष्ठ अमावस्या को यमराज से अपने पति के प्राण वापस लेकर आई थीं, इसलिए इस तिथि को व्रत रखकर सावित्री और बरगद के पेड़ की पूजा करते हैं. सत्यवान के जब प्राण निकले, उस समय वे बरगद के पेड़ के नीचे लेटे थे. इस घटना के बाद से सुहागन महिलाएं वट सावित्री व्रत रखकर वट वृक्ष और सावित्री की पूजा करती हैं, ताकि उनके पति की आयु लंबी हो. उनको अखंड सौभाग्य प्राप्त हो. वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा करते हैं और उसकी परिक्रमा करते हुए उसमें कच्चा सूत लपेटा जाता है.

वट सावित्री अमावस्या दिन व समय

  • वट सावित्री अमावस्या शुक्रवार, 19 मई, 2023 को हैं.

  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ - मई 18, 2023 को 09:42 पी एम बजे

  • अमावस्या तिथि समाप्त - मई 19, 2023 को 09:22 पी एम बजे

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वट सावित्री व्रत पूजा विधि

  • इस व्रत के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें.

  • इसके बाद नए या साफ कपड़े पहने और श्रृंगार करें.

  • बरगद के पेड़ की पूजा विधि-विधान से करें.

  • सबसे पहले पेड़ पर जल अर्पित करें इसके बाद गुड़, चना, फूल अर्पित करें.

  • इसके बाद पेड़ के पास बैठ कर वट सावित्री व्रत कथा का पाठ करें.

  • इसके बाद हाथ में लाल रंग का कलावा या धागा लेकर पेड़ की परिक्रमा करें.

  • धार्मिक मान्यता के अनुसार बरगद पेड़ की परिक्रमा करने से सुख-सौभाग्य का प्राप्ति होती है और पति की आयु भी बढ़ जाती है.

  • इसके बाद महिलाएं घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और अर्पित किया गया भोग ग्रहण करें.

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