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जॉर्ज फर्नांडिस की हमराज कैसे बन गईं जया जेटली

जया जेटली का कहना है- बहुत से लोग मुझे लोगों की शादियां बर्बाद करने वाली ‘पराई महिला’ समझते हैं.

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(जया जेटली की 2017 में प्रकाशित किताब, 'Life Among the Scorpions: Memoirs of a Woman in Indian Politics' के कुछ अंश आगे दिए गए हैं)

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साल 1991 में जॉर्ज फर्नांडिस केवल जनता दल के सांसद थे. हालांकि उस दौरान वह उसी (3, कृष्ण मेन मार्ग) आवास में रह रहे थे, जो उन्हें 1989 में वीपी सिंह सरकार के दौरान वरिष्ठ सांसद और रेल मंत्री के तौर पर आवंटित हुआ था.

1991 आम चुनाव के अगले दिन कुछ युवक फर्नांडिस से मिलने उनके आवास पर पहुंचे. ये लोग बर्मा से उस समय आए शरणार्थी थे, जब वहां की सेना ने आंग सान सू की की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) को मिले भारी समर्थन को स्वीकारने से इनकार कर दिया था और प्रदर्शनकारियों की आवाज को दबा दिया था.

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सू की नजरबंद थीं और लोकतंत्र की बहाली के लिए प्रदर्शन करने वाले ये लोग इस बात से डरे हुए थे कि भारतीय पुलिस उन्हें पकड़कर वापस बर्मा भेज देगी, जहां उन्हें साफ तौर पर अपनी जान को खतरा नजर आ रहा था.

जॉर्ज फर्नांडिस ने बिना किसी दूसरे विचार के इन लोगों से कहा:

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उन्हें तुम्हारे साथ कुछ करने से पहले इन्‍हें मुझे पकड़ना होगा
जॉर्ज फर्नांडिस
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वह मेरे ऑफिस में आए और उन्होंने इन लोगों को सेटल करने में मदद के लिए को कहा. मैं उन लोगों के लिए 'जया आंटी' बन गई और मैंने उन्हें सेटल करने में मदद की.

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इसके बाद मैंने और जॉर्ज फर्नांडिस ने एक-दूसरे को राजनीतिक घटनाक्रम की सूचना देने के लिए नोट लिखना शुरू कर दिया, क्योंकि वह बहुत समय ही दिल्ली में रहते थे. जल्द ही उन्होंने गोपनीयता, खुफिया इनपुट और भरोसेमंद रिपोर्टिंग को लेकर मुझे काफी हद तक निर्भर पाया. इसके बाद उन्होंने मुझे उन व्यक्तिगत मामलों के बारे में बताना शुरू कर दिया, जिन्होंने उन्हें कुछ समय के लिए परेशान किया था.

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इसके बाद मैं उनकी हमराज और सलाहकार बन गई. जरूरत पड़ने पर मैंने उनकी पत्नी और उनके बेटे का ध्यान रखा और किसी भी मदद के लिए मेरा घर भी उनके लिए खुला था. यह सब 1990 तक चला. खतों से पूरा सूटकेस भर गया था. 
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उनकी पत्नी लैला फर्नांडिस कुछ महीनों के लिए अमेरिका और ब्रिटेन में रही थीं. मुझे बताया गया कि बार-बार होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं. जॉर्ज साहब ने कहा था कि वह उनको (अपनी पत्नी को) देखने जाएंगे और उन्हें वापस लाएंगे.

उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उनके बाहर जाने के दौरान उनके बेटे (सीन फर्नांडिस, जिसे सन्नू भी बुलाया जाता था) का ध्यान रखूं, क्योंकि वह मेरे बच्चों से घुला-मिला था और उसके और दोस्त बहुत ज्यादा नहीं थे.

उसने मेरे बच्चों की तरह ही मुझसे प्यार और स्नेह की चाह के साथ हमारे घर पर कई दिन बिताए. वह एक प्यारा, मजेदार और सामान्य जीवन की लालसा रखने वाला बच्चा था. जीवन में बहुत चीजों को सावधानी और निजता की जरूरत होती है. किसी के सुख की अवस्था भी उन्हीं चीजों में से एक होती है.

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आज, जाहिर तौर पर लोग ऐसी चीजों को लेकर ज्यादा स्पष्ट हैं और यह खुलेपन का रवैया दूसरों को भी जगह देने और मुश्किल वक्त में उनको देखने में मदद करता है. उस समय चीजें इतनी खुली हुई नहीं थीं.

मैं अक्सर उस समय जॉर्ज साहब और लैला, दोनों से बात करती रहती थी, जब वह (लैला) काफी मुश्किल वक्त से गुजर रही थीं और बेड से उठने या कुछ भी करने में असमर्थ थीं.

इसके विपरीत, अगर उनका मूड अचानक बदला जाता, तो वह मेरी तरफ आक्रामक होतीं या फिर अजनबियों के सामने अपने पति को लेकर काफी मुखर होतीं. यह उन दोनों के लिए दुखद था. मैं बिना किसी सवाल के उनके तरफ थी.

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उस समय के एक पत्र में जॉर्ज साहब ने मुझे लिखा, ''लैला के साथ आज लंबी बातचीत हुई. उन्हें लगता है कि उनके पास 25 फीसदी ताकत ही बची है और उन्हें घर वापस लाने की यात्रा के लिए कुछ हफ्ते आराम की जरूरत है. यहां काफी सर्दी है और बर्फ गिर रही है. आज कलाकारों, लेखकों और पत्रकारों के काफी रोचक ग्रुप के साथ लंच किया, जहां जॉर्ज गलप III स्पीकर थे. लैला चाहती हैं कि सनी आपके घर वक्त बिताए. यह उसके लिए अच्छा होगा. उसके प्रति आपका व्यवहार असाधारण है. यह उसके और मेरे, दोनों के लिए काफी मायने रखता है.''

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बहुत से लोग मुझे फेम फटेल, लोगों की शादियां बर्बाद करने वाली 'पराई महिला', समझते हैं. मैं इस बात की परवाह किए बिना बड़ी हुई कि मैं दूसरों को कैसी लगती हूं.

मैं आगे बढ़ी और मैंने किसी तरह की सफाई देने या खुद को सही साबित करने की जरूरत समझे बिना वही किया, जिससे मुझे खुशी मिली. इस दौरान मेरी मंशा किसी को किसी को नुकसान पहुंचाने की नहीं थी.

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