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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) में काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) परिसर में बनी ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) का मामला इन दिनों खूब सुर्खियों में है. ज्ञानवापी मस्जिद का मामला (Gyanvapi Mosque Row) सियासत की गलियों से गुजरता हुआ अब कोर्ट की देहलीज तक पहुंच गया है. जहां हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही पक्ष अपने अपने दावे रख रहें हैं. ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के बीच हिन्दू पक्ष कि ओर से खबर आई कि मस्जिद में शिवलिंग मिल गया (Shivling in Gyanvapi Masjid) है. तो वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा (Fountain) बताया.
मस्जिद में शिवलिंग मिलने की खबर के बाद पूरे मामले की चर्चा इस शिवलिंग के आस पास ही केंद्रित हो गई. खैर मामले की सुप्रीम कोर्ट से लेकर वाराणसी की जिला अदालत में सुनवाई जारी है. ज्ञानवापी मस्ज्दि है या मंदिर, ज्ञानवापी के अंदर शिवलिंग मिला है या फव्वारा इसका फैसला कोर्ट करेगा.
लेकिन यह पहला मौका नहीं है, जब किसी हिन्दू पक्ष ने किसी अन्य धार्मिक स्थल या स्मारक के नीचे शिवलिंग या शिव मंदिर होने का दावा किया हो बल्कि ऐसी और भी कई मशहूर जगह हैं जहां कई हिन्दू पक्ष के लोग शिव मंदिर या शिवलिंग होने का दावा करते हैं. आइए ऐसी ही कुछ मशहूर जगहों के बारे में आपको बताते हैं.
सऊदी अरब में बना मक्का-मदीना (Mecca-Madina) इस्लमिक मान्यताओं के मुताबिक मुसलमानों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है. मुसलमान लाखों की संख्या में हर साल यहां हज करने आते हैं. बीते कुछ सालों से हिन्दू पक्ष का एक वर्ग 'काबा' जो मक्का में है उसके नीचे शिवलिंग होने का दावा करते हैं. कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर काबा के नीचे शिवलिंग की कुछ तस्वीरें भी शेयर की गई जिन्हे क्विंट की वेबकूफ समेत अन्य सभी मीडिया संस्थानों की फैक्ट चेक टीम ने गलत पाया.
लेकिन सोशल मीडिया पर मक्का मदीना में शिवलिंग होने का दावा करने वाले अभी भी समय समय पर यह दावा करते रहते हैं शायद इससे बेखबर के मक्का और मदीना कोई एक जगह नहीं बल्कि सऊदी अरब के दो अलग अलग शहरों के नाम हैं. मक्का से मदीना की दूरी लगभग 450 किलोमीटर है.
कुछ समय पहले सेल्फ स्टाइलड इतिहासकार पीएन ओक ने एक किताब लिखी जिसमें ताजमहल (Taj Mahal) के हिंदू मूल के बारे में तथा कथित साक्ष्य प्रस्तुत की गई. पुस्तक के प्रकाशन के बाद से यह विवाद उठने लगा कि ताजमहल असल में एक शिव मंदिर है. जिसका असली नाम तेजो महालय है. हिन्दू संगठन इसपर जमकर राजनीति करते रहे और लखनऊ में आधा दर्जन वकीलों ने आगरा की अदालत में एक दीवानी वाद दायर कर मांग की कि ताजमहल के उद्गम को मंदिर के रूप में स्वीकार किया जाए और इसे 'तेजोमहालय' घोषित किया जाए.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने आखिरकार आगरा की एक अदालत में एक हलफनामा दाखिल कर ताजमहल को सम्राट शाहजहां और उसकी पत्नी मुमताज महल का मकबरा घोषित किया, ताजमहल के शिव मंदिर के रूप में कथित अतीत पर विवाद आखिरकार इसके बाद खत्म ना होकर ठंडा पड़ गया.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हलफनामे के बाद भी बीच बीच में 'ताजमहल' के 'तेजोमहालय' होने का दावा सोशल मीडिया और टीवी मीडिया में उठाया जाता रहता है.
दिल्ली के कुतुब मीनार (Qutub Minar) के नीचे भी हिन्दू महासभा समेत कई अन्य हिन्दू संगठन ने कई हिन्दू मंदिर होने का दावा किया है. इसमें शिव मंदिर और जैन मंदिर भी शामिल है. यह मामला भी दिल्ली की एक कोर्ट में विचारधीन है.
कोर्ट में यह स्वीकार करते हुए कि कुतुब मीनार परिसर के भीतर कई हिंदू मूर्तियां मौजूद थीं, ASI ने कहा कि 1914 से, स्मारक को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 (एएमएएसआर अधिनियम) की धारा 3 (3) के तहत संरक्षित किया गया था और किया जा रहा है जिसका स्टेटस नहीं बदला जा सकता. मामले की सुनवाई दिल्ली की जिला अदालत जारी है.
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सुर्खियों में आते ही देशभर में कई जगह मस्जिदों के बारे में यह दावे किए जाने लगे कि यह मस्जिद शिव मंदिर या किसी अन्य मंदिर को तोड़ कर बनी है.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी ऐसा ही मामला सामने आया जहां एक स्थानीय दक्षिणपंथी हिंदू संगठन संस्कृति बचाओ मंच ने दावा किया कि पुराने भोपाल के चौक बाजार इलाके में स्थित जामा मस्जिद 19 वीं शताब्दी में एक शिव मंदिर पर बनी थी. इस संगठन ने राज्य सरकार से मस्जिद का विस्तृत पुरातात्विक सर्वेक्षण करने की मांग की है.
कुछ और मस्जिदें हैं जो इस तरह के दावों की वजह से खबरों में रही हैं. उनमें से कुछ उत्तर प्रदेश के जौनपुर में अटाला मस्जिद, पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में अदीना मस्जिद, बिहार में पटना की जामा मस्जिद और अन्य शामिल हैं.
अयोध्या में बाबरी को ढहाने के बाद एक नारा खूब प्रचलित किया गया जो कुछ इस प्रकार था, "अयोध्या तो झांकी है, मथुरा काशी बाकी है" इस नारे में काशी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद का जिक्र है. दोनों पर ही फिलहाल विवाद जारी है दोनों का मामला कोर्ट पहुंच चुका है.
24 सितंबर, 2020 को लखनऊ निवासी और वकील रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य ने निचली अदालत में शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Idgah Masjid) को 'कृष्ण जन्मभूमि' नामक स्थान के पास से हटाने के लिए याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ताओं ने "भगवान श्री कृष्ण विराजमान के अगले मित्र" के तहत याचिका दायर की थी.
मथुरा जिला अदालत ने 19 मई को 17 वीं शताब्दी की शाही ईदगाह मस्जिद को उस परिसर से हटाने की मांग वाली याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया. जो मथुरा में कटरा केशव देव मंदिर के साथ लगी हुई है.
इन सब के सिवा भी देश भर में ऐसी कई मस्जिदें और इमारतें हैं जिनके नीचे किसी मंदिर के होने का दावा समय समय पर किया जाता रहा है. कुतुब मीनार, शाही ईदगाह मस्जिद, ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अलग -अलग अदालतों में सुनवाई जारी है. इन सब पर आने वाले अदालत के फैसले देश की अन्य प्राचीन इमारतों का भविष्य तय करेंगे.
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