प्रधानमंत्री कार्यालय की शनिवार को वित्त मंत्रालय के पांच सचिवों समेत शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक हो रही है, जिसमें अमीर इनकम टैक्सपेयर्स पर सरचार्ज से लेकर ऑटो और रियल एस्टेट सेक्टर्स की सुस्ती को दूर करने के उपायों पर विचार-विमर्श किया जाएगा. पीएमओ के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं.
उम्मीद है कि वित्त मंत्रालय के अधिकारी इस बैठक में ऑटो और रियल्टी सेक्टर के साथ-साथ एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों) से प्रभावित शेयर बाजार में सुस्ती को दूर करने के विकल्प व समाधान पेश करेंगे.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इससे पहले कहा था कि वित्तीय रुझानों में सुधार के मद्देनजर मंत्रालय अभी पीएमओ के साथ बातचीत कर रहा है.
‘मैंने सोमवार से अब तक बैंकों, वित्तीय संस्थानों, एसएमई, उद्योग और ऑटोमोबाइल समेत पांच अलग-अलग समूहों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है और उनकी समस्याएं सुनी हैं. हम विश्लेषण कर रहे हैं कि कौन से कदम उठाए जाएं.’निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री
वित्त मंत्रालय की पहली प्राथमिकता एफपीआई कर का समाधान करना होगा, जिसके कारण बाजार में गिरावट आई है. इसके अलावा, ऑटो सेक्टर के लिए दोबारा वित्त मुहैया करने पर भी विचार किया जा रहा है.
बेहद खराब हैं आर्थिक हालात
वित्त मंत्रालय और पीएमओ के बातचीत की खबर के बीच आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के पास वित्तीय मदद देने के लिए सीमित गुंजाइश है. बाजार में इस खबर से थोड़ा सुधार आया है कि सरकार इंडिया इंक के लिए प्रोत्साहन पैकेज पर काम कर रही है और फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई) के कर में सुधार कर सकती है.
कोटक रिपोर्ट में कहा गया, ‘सरकार के पास आर्थिक बाधाओं को देखते हुए वित्तीय मदद देने की सीमित गुंजाइश है. इसने वित्त वर्ष 2020 बजट के लिए समान रूप से टैक्स को बढ़ाया. आरबीआई नीतिगत दरों में 15-40 बीपीएस की कटौती कर सकता है, लेकिन ये आर्थिक विकास को फिर जिंदा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है.’
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि मौजूद निवेश इनपुट के मुताबिक, ग्रॉस मार्केट वैल्युएशन (GVA) पेशकश काफी कम है.
पीएम मोदी ने अर्थव्यवस्था की हालत की समीक्षा
इससे पहले पीएम मोदी ने गुरुवार, 15 अगस्त को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ अर्थव्यवस्था की हालत और उसे सुधारने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों की समीक्षा की थी.
सूत्रों के मुताबिक मंद पड़े सेक्टर्स को दिए जाने वाले प्रोत्साहन पैकेज को अंतिम रूप दे दिया गया है, जिसमें नई नीति फ्रेमवर्क और टैक्स कटौती भी शामिल है. इसकी घोषणा अगले दो हफ्तों में की जा सकती है.
देश के अलग-अलग क्षेत्रों में मंदी छाई है और विकास दर घट गई है, जिसमें जीएसटी दरें, प्राकृतिक आपदाएं, मजदूरी दर स्थिर रहना और कम नौकरियों जैसे अनेक कारणों का योगदान है.
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