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Share Market: NIFTY 50, म्यूचुअल फंड, इक्विटी में करना है निवेश? जानें तरीके

Share Market: म्यूचुअल फंड में निवेश करने के फायदे क्या हैं ?

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शेयर मार्केट (Share Market) का नाम लेते ही सबके मन में एक ही सवाल आता है क्या पैसे डूब तो नहीं जाएंगे ? मार्केट में निफ्टी (Nifty) की बात करें तो 52 हफ्तो में ये उच्चतम 18887.60 तक गया वहीं 52 हफ्तो में निफ्टी का सबसे कम स्तर 15183.40 का था. वहीं 52 हफ्तों में सेंसेक्स (Sensex) 63583.07 के स्तर पर उच्चतम था और सबसे निचला स्तर 50921.22 पर रहा.

शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए होड़ लगी है. लेकिन मार्केट की जानकारी लिए बिना काफी लोग अपना नुकसान भी करा लेते हैं. तो चलिए समझते है कि क्या है शेयर मार्केट और इसमें कैसे इंवेस्ट करते हैं.

घबराइए मत हम आपको आसान भाषा में समझाएंगे कि आखिर ये निफ्टी 50, म्यूचुअल फंड, इक्विटी और लिक्विड फंड क्या है और इनके फायदे-नुकसान क्या हैं?

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निफ्टी 50

निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) पर लिस्टेड 50 प्रमुख कंपनी के शेयरों का सूचकांक (Index) है. NIFTY दो शब्द से बना है पहला नेशनल और दूसरा फिफ्टी. निफ्टी का मतलब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है और Fifty उन कंपनियों के समूह के बारे में बताता है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड टॉप पचास शेयर हैं. यहां आप अपनी मन पसंदीदा कंपनी जैसे अडानी पोर्ट्स, बजाज ऑटो, एयरटेल, एचडीएफसी, एसबीआई, टाटा मोर्टस और विप्रो के शेयर खरीद सकते हैं. जितना बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा उसका पोर्टफोलियो उतना ही हरा नजर आएगा.

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लिक्विड फंड (Liquid Fund)

लिक्विड फंड एक प्रकार का डेट फंड (Debt Fund) होता है. ये आपके पैसों को डेट और मनी मार्केट में जैसे कमर्शियल पेपर, कॉल मनी, सरकारी सिक्यॉरिटी, ट्रेजरी बिल में निवेश करता है. इस फंड में 91 दिनों की मैच्योरिटी पीरियड होती है. अब ये सवाल आता है कि लिक्विड फंड में निवेश करने से क्या फायदा होगा? तो लिक्विड फंड में इंवेस्ट करने से आपको अधिक लिक्विडिटी मिलती है, एग्जिट करने पर कोई फीस नहीं लगती, कम जोखिम और अधिक रिटर्न मिलता है.

लिक्विड फंड के फायदे (Benefit of Liquid Fund)

  • कम व्यय अनुपात (Low Expense Ratio)

  • नो लॉक-इन पीरियड (No Nock-in Period)

  • बेहतर रिटर्न (Good Return)

  • अत्यधिक तरल (इससे निवेशक के द्वारा लगाए गए पैसो में तेजी से बदलाव होता है. ये कम या ज्यादा हो सकता है.

  • कम जोखिम (Low Risk)

लिक्विड फंड के नुकसान (Disadvantages of Liquid Funds)

  • लिक्विडिटी रिस्क (इस निवेश में ये देखा जाता है कि निवेशक का निवेश बाजर के जोखिम के निर्भर होता है.)

  • क्रेडिट रिस्क

  • ब्याज दर जोखिम

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इक्विटी (Equity)

इक्विटी (Equity) किसी भी कंपनी में किसी शेयर होल्डर्स की हिस्सेदारी को दिखाता है. अब ये भी सवाल है कि इक्विटी का प्राइज कौन और कैसे डिसाइड करता है. किसी कंपनी के इक्विटी की वेल्यू उसके बैलेंस शीट पर निर्भर करती है. बैलेंस शीट में कंपनी की कुल देनदारियों को कंपनी की संपत्ति से घटाने के बाद उसके कुल एसेट के रूप में इक्विटी का प्राइज कम ज्यादा होता रहता है. अगर कोई निवेशक किसी कंपनी के इक्विटी को खरीदता है तो वो उस कंपनी के कुछ हिस्सों का शेयर होल्डर्स बन जाता है.

इक्विटी शेयर के फायदे (Benefit of Equity)

  • लाभांश (Dividend)

  • बोनस

  • कंपनी की हिस्सेदारी

इक्विटी शेयर के नुकसान (Disadvantage of Equity)

इक्विटी शेयर में निवेशकों को ये चुनौती होती है कि उनको निवेश की गई कंपनी की समय-समय पर अपडेट जानना पड़ता है, ताकि कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति की जानकारी हो, पर निवेशक ऐसा नहीं करते जिसके कारण उनको नुकसान झेलना पड़ता है.

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म्यूचुअल फंड (Mutual Fund)

म्यूचुअल फंड जिसे हिन्दी में पारस्परिक निधि कहते हैं.

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) एक तरह का सामूहिक निवेश है जिसे एैसेट मैनेजमेंट कंपनी (Asset Management Company) मैनेज करती है. ये कंपनी आपके लगाए गए पैसों को कई जगहों में निवेश करती है जिससे रिटर्न ज्यादा होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. कंपनी इन्वेस्टर्स के पैसों को स्टॉक, बॉन्ड और शार्ट-टर्म डेट जैसी सिक्युरिटीज में इन्वेस्ट करती है. यूटीआई AMC (Assets Management Company) भारत की सबसे पुरानी म्यूचुअल फंड कंपनी है.

Mutual Fund के फायदे (Benefit of Mutual Fund)

  • म्यूचुअल फंड में जोखिम कम होता है.

  • बेहतर रिटर्न

  • बाजार के एक्सपर्ट की इन्वेस्टमेंट पर नजर होती है

  • छोटी रकम से शुरुआत कर सकते हैं

Mutual Fund के नुकसान (Disadvantages of Mutual Fund)

म्यूचुअल फंड में नुकसान की संभावनाएं कम होती हैं पर कुछ कारणों की वजह से लोग इसमें इन्वेस्ट करने से बचते हैं.

  • इसमें निवेशकों को लाॅग टर्म के लिए इन्वेस्ट करना होता है

  • लाभ में एैसेट मैनेजमेंट कंपनी की हिस्सेदारी

  • बाजार का नियंत्रण

  • रिडीम करने में 3 से 4 दिन का समय

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कमोडिटी (Commodity)

कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) में निवेशकों को एक ऐसा मार्केट मिलता है जहां वो वस्तुओं में ट्रेड कर सकता है. वस्तुओं में कीमती धातुओं (Metals) , कच्चे तेल (Crude Oil), प्राकृतिक गैस (Natural Gas), ऊर्जा (Energy) और मसालों (Spices) जैसी कमोडिटीज शामिल है.

कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.

  • कीमती धातु- सोना, चांदी और प्लेटिनम

  • बेस मेटल- कॉपर, जिंक, निकल, लेड, टीन और एल्युमिनियम

  • एनर्जी- क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, एटीएफ, गैसोलाइन

  • मसाले- काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च

कमोडिटी के फायदे (Benefit of Commodity)

  • मार्जिन ट्रेडिंग (मार्जिन में निवेशक बाजर कीमत का कुछ प्रतिशत ही देकर खरीदी करके लाभ कमा लेते है पर इसमें लाभ और हानि का दोनों की संभावनाएं बनी रहती है ये एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट होता है)

  • विविधीकरण (Diversification)

  • अच्छा रिटर्न

कमोडिटी के नुकसान (Disadvantage of Commodity)

  • अत्यधिक जोखिम

  • अस्थिरता (Volatility)

डिस्क्लेमर: यहां दिए गए किसी भी तरह के इन्वेस्टमेंट टिप्स या सलाह एक्सपर्ट्स और एनालिस्टस के खुद के हैं. और इसका क्विंट हिंदी से कोई लेना-देना नहीं है. कृपया कर किसी भी तरह के इन्वेस्टमेंट डिसिजन लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य ले.

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