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लॉकडाउन के साइडइफेक्ट: वर्क फ्रॉम होम, छंटनी, ऑफिस बंद

वर्क फ्रॉम होम की पॉलिसी पर काम कर रहीं कंपनियां

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कोरोना वायरस संकट के बाद जो लॉकडाउन लगा, उससे पूरी दुनिया के कामकाज करने का तरीका तेजी से बदला है. कंपनियों का अपने कर्मचारियों से ‘वर्क फ्रॉम होम’ कराने का चलन तेजी से बढ़ा. हालांकि अब दफ्तर खोलकर काम करने की भी इजाजत मिलती जा रही है लेकिन कुछ कंपनियों को अपने कर्मचारियों से ‘घर से ही काम’ कराने का तरीका पसंद आने लगा है और अब ऐसी कंपनियां किराए पर लिए अपने ऑफिस बंद कर रही हैं.

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कंपनियां ऐसा इसलिए कर रही हैं क्यों कि ऐसा करने से उनकी अच्छी खासी कॉस्ट कटिंग हो जा रही है. दूसरी तरफ कंपनियां अपने कर्मचारियों से कह रही हैं कि वो घर से ही काम करते रहें.

इंडियन एक्सप्रेस अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक फूड टेक प्लेटफॉर्म कंपनी जोमेटो ने पिछले दिनों अपने 13 फीसदी कर्मचारियों को कह दिया कि वो अपने लिए नई नौकरी ढूंढ लें और इसी के साथ कंपनी ने ये भी फैसला किया है कि वो अपने दुनियाभर के 150 से ज्यादा दफ्तर में से 125 दफ्तर भी बंद करने जा रही है. जोमेटो की प्रतिस्पर्धी कंपनी स्विगी ने भी अपने 1100 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है और कंपनी ने अपनी किचन फैसेलिटी और ऑफिस इंफ्रास्ट्रक्चर में भी कटौती का फैसला किया है.

प्राइवेट सेक्टर के बैंक इंडसइंड बैंक ने लीज किराए पर खर्च को कम करने के लिए मुंबई स्थित अपने दफ्तर की जगह खाली कर दी. हेल्थ एंड वेलनेस प्लेटफॉर्म क्योरफिट ने भी करीब 800 कर्मचारियों नौकरी से निकाला है और अपने कई सेंटर्स बंद कर दिए हैं.

IT सेक्टर के इंडस्ट्री संगठन NASSCOM के सर्वे के मुताबिक 250 स्टार्टअप्स में से 30-40% कंपनियों ने या तो अपने ऑपरेशन अस्थाई रूप से रोक दिए हैं या फिर कामकाज बंद कर दिया है.

भारत में ऑफिस स्पेस का हिस्सा जनवरी-मार्च 2020 में पिछले साल के मुकाबले तेजी से घटा है, इसके पहले इस तरह के हालात नोटबंदी के वक्त बने थे. ऐसी उम्मीद की जा रही है आने वाले दिनों में ये ट्रेंड और बढ़ेगा.

वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी पर काम कर रहीं कंपनियां

देश में कामकाज करने वाली IT कंपनियां कमर्शियल तौर पर सबसे ज्यादा किराए पर ऑफिस लेती हैं. लेकिन अब उन्होंने अपनी कारोबारी योजनाओं के तहत वर्क फ्रॉम होम की नीति पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके अलावा कई छोटे स्टार्टअप्स भी फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को कम करने की नीति पर काम कर रहे हैं.

रियल स्टेट सर्विस देने वाली फर्म JLL की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस साल किराए पर जगह लेने में 30% की कमी देखने को मिल रही है.

कई सारी IT कंपनियां लॉन्ग टर्म में भी वर्क फ्रॉम होम की नीति पर ही काम करने के बारे विचार कर रही हैं. सोशल डिस्टेंसिंग के एहतियात के चलते को-वर्किंग कल्चर में भी खासी कमी देखने को मिलने वाली है. ऐसे में ऐसी जगहों को किराए पर लेने का चलन भी कम होने वाला है.

हालांकि एनारॉक प्रापर्टीज के रिसर्च हेड प्रशांत ठाकुर का कहना है कि 'लॉकडाउन में सब कुछ अस्थायी तौर पर चल रहा था. चीन का ही उदाहरण लें तो अब वहां कर्मचारी ऑफिस में फिर से काम करने लगे हैं, मॉल खुलने लगे हैं, रेस्तरां में लोग जाने लगे हैं. लेकिन ये सब करते वक्त लोग सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रख रहे हैं. आने वाले दिनों में भारत में भी ऐसे ही हालात बेहतर होंगे.'

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