प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों में काम करने वालों की औसत सैलरी में इस बार 9.4 फीसदी का इजाफा हो सकता है. टॉप फरफॉर्मर की सैलरी 15.4 फीसदी तक बढ़ सकती है. 2017 की सैलरी में 9.3 फीसदी की औसत बढ़ोतरी से यह महज 0.1 फीसदी ज्यादा है. 2016 में औसत सैलरी में बढ़ोतरी 10.2 फीसदी थी.
कर्मचारियों के लिए सैलरी, रिटायरमेंट और हेल्थ सॉल्यूशन मुहैया कराने वाली ग्लोबल कंपनी एओन के सर्वे के मुताबिक प्रोफेशनल सर्विसेज, कंज्यूमर इंटरनेट, लाइफ साइंस, ऑटोमेटिव और कंज्यूमर प्रो़डक्ट्स कंपनियों में इस साल भी सैलरी में बढ़ोतरी डबल डिजिट में हो सकती है. हालांकि कंज्यूमर इंटरनेट कंपनियों में पिछले तीन साल के दौरान सैलरी बढ़ोतरी में ढाई फीसदी की कमी आई है.
2016 में इस तरह कंपनियों में औसत सैलरी 12.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी लेकिन इस साल यहां 10.4 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है. वैसे हाल के सालों में उथल-पुथल के दौर से गुजर रही हाई टेक और आईटी कंपनियों में 2018 के दौरान औसत सैलरी बढ़ोतरी 9.5 फीसदी रह सकती है, वहीं थर्ड पार्टी आईटी सर्विसेज कंपनियों में औसत सैलरी बढ़ोतरी 6.2 फीसदी रह सकती है. भारत में आईटी सेक्टर में यही कंपनियां सबसे ज्यादा रोजगार देती हैं.
सैलरी में परफॉरमेंस का रोल और बढ़ा
सैलरी बढ़ोतरी में परफॉरमेंस पर फोकस दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. 2018 में टॉप परफॉर्मर की सैलरी में 15.9 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है, जो औसत परफॉरर्मर की औसत सैलरी बढ़ोतरी से 1.9 गुना ज्यादा है. Aon India Consulting के पार्टनर आनंदोरूप घोष ने कहा कि इकनॉमी की हालत अच्छी रहने के अनुमान के बाद भी सैलरी में उतनी ही बढ़ोतरी होने का अनुमान है जितना पिछले साल लगाया गया था.
घोष का कहना है कि भारत में कर्मचारियों के नौकरी छो़ड़ने की दर यानी अट्रिशन रेट भी लगातार घटती जा रही है. पिछले दशक में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर 20 फीसदी थी जबकि 2017 में यह घट कर 15.9 फीसदी पर पहुंच गई.
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