कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने कार बनाने वाली कंपनी मारुति सुजुकी पर जांच के आदेश दिए हैं. मारुति सुजूकी पर आरोप है कि उसने डीलर्स के साथ मिलीभगत करके कारों की कीमत को कंट्रोल किया. जबकि डीलर किस कीमत पर कोई कार बेचेगा ये उसका फैसला होना चाहिए. इसमें कंपनी की दखल नहीं होनी चाहिए.
कई बार कार कंपनियां डीलरों के बीच प्राइस वॉर को रोकने के लिए डिस्काउंट पर लिमिट लगा देती हैं, इसे ‘रीसेल प्राइस मेंटेनेंस’ कहा जाता है. लेकिन अगर ये दूसरी कार कंपनियों की बिक्री को प्रभावित करता है तो इसे कानून के खिलाफ माना जाता है.
कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया ने अपने 10 पेजों के ऑर्डर में कहा है कि उसका मानना है कि मारुति सुजुकी के काम करने के ढंग और उससे जुड़े सभी तथ्यों की विस्तार से जांच करने की जरूरत है.
आरोप लगने के बाद पहली नजर में तो ऐसा लगता है कि इस केस में जांच की जा सकती है. कार कंपनी और डीलरों के बीच साठगांठ कॉम्पिटीशन के नियमों को तोड़ता है.
CCI ने जांच के लिए जारी किए गए निर्देश पत्र में लिखा है, ‘‘कॉम्पिटिशन के नियमों को तोड़ने वाले ऐसे करार आमतौर पर सीक्रेट मीटिंग्स में होते हैं या फिर अंदरूनी लोग आपस में मिलकर करते हैं. ये आदेश इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि इस करार से कॉम्पिटिटिव एक्ट का उल्लंघन हुआ लगता है. मारुति कि ओर से दर्ज किए गए बयान में कहा गया कि कोई भी करार नहीं हुआ है. ये आधारहीन है और इसे अस्वीकार किया जाता है.’’
मारुति सुजुकी से जब बात की गई तो उसके प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने ‘‘सीसीआई की वेबसाइट पर जांच के आदेश को देखा है हम इस मामले में कार्रवाई कर रहे हैं.’’
कमीशन ने अपनी जांच टीम और डायरेक्टर जनरल से 150 दिनों में जांच पूरी करने के लिए कहा है.
देश के कार बाजार पर मारुति की हिस्सेदारी 51% है. इसके देश भर में 3000 डीलर हैं..
(इनपुट PTI)
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