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Recession: इकनॉमी पर मार, घटते रोजगार से आ सकती है इमरजेंसी, आज ही करें ये 2 काम

Personal Finance: "एक अच्छा फाइनेंशियल प्लानर वही होता है जो इमरजेंसी फंड के बारे में सबसे पहले सोचता है."

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पिछले कुछ दिनों में, कई स्टार्ट-अप ने बड़े पैमाने पर छंटनी की है. दर्जनों लोगों ने अपनी नौकरी खोई है. अर्थव्यवस्था के जानकारों की माने तो दुनिया बहुत जल्द एक और मंदी (Recession) की ओर बढ़ सकती है. हम और भी बड़े पैमाने पर छंटनी देख सकते हैं.

ऐसे में आप आर्थिक रूप से सुरक्षित होने के लिए खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं? पर्सनल फाइनेंस (Personal Finance) को मंदी के लिए तैयार करने के लिए आपको कौन से उपाय करने चाहिए?

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यदि आप मंदी की वजह से प्रभावित होते हैं, तो दो संभावनाएं हैं. या तो आपके वेतन में कटौती दिखाई देगी, या आप अस्थायी रूप से अपनी नौकरी खो देंगे. अगर ऐसा होता है तो इसका मतलब साफ है. आपके हाथों में कम पैसा बचेगा. एक फाइनेंशियल प्लानर के रूप में कुछ सुझाव हैं ताकि आने वाली मंदी में आपको परेशानियों का सामना न करना पड़े.

सबसे पहले, सुनिश्चित करें कि आपके पास अपने पूरे परिवार यानी आपकी पत्नि, बच्चों के साथ-साथ माता-पिता के लिए एक अलग स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) कवर है. यदि आप अपनी नौकरी खो देते हैं, तो कॉर्पोरेट स्वास्थ्य बीमा कवर मान्य नहीं होगा. इसलिए, तुरंत एक अलग स्वास्थ्य बीमा कवरेज खरीदें. इसके अलावा, ज्यादातर मामलों में कॉर्पोरेट स्वास्थ्य बीमा कवर व्यापक नहीं होते हैं. कवरेज राशि भी आम तौर पर बहुत मामूली होती है.

यदि आपकी सैलरी में कटौती होती है या आप नौकरी खो देते हैं ऐसे समय में अगर आपके परिवार में कोई बीमार पड़ता है, तो आपके पास स्वास्थ्य बीमा कवरेज नहीं होने पर फाइनेंशियली मैनेज करना बहुत कठिन हो जाता है.

6 महीने तक जरूरी खर्चों को पूरा करने के लिए बनाए इमरजेंसी फंड

दूसरा, आपके पास कम से कम 6 महीने तक जरूरी खर्चों को पूरा करने के लिए एक इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) होना चाहिए. एक अच्छा फाइनेंशियल प्लानर वही होता है जो इमरजेंसी फंड के बारे में सबसे पहले सोचता है. किसी इमरजेंसी स्थिति के लिए जरूरी अमाउंट का अनुमान लगाने के लिए, ये काम करें-

अपने महीनेभर के मूल खर्चों का अनुमान लगाएं जैसे फूड, किराने का सामान, किराया, अन्य घरेलू खर्च, अपने बच्चों के लिए स्कूल की फीस, फ्यूल, इंटरनेट और अन्य जरूरी खर्चे.

मान लीजिए कि आपका महीने का खर्च रु. 40,000 है फिर अपने लोन की ईएमआई के बारे में सोचे. मान लीजिए कि आपकी ईएमआई रु 25,000 प्रति माह है.

फिर इंश्यॉरेंस को लेकर सोचे जो आपको अगले 6 महीनों में भुगतान करने की उम्मीद है. मान लीजिए कि आपको 3 महिने बाद 25,000 रुपये का जीवन बीमा प्रीमियम का भुगतान करना है. तो, आपके पास 6 महीने के लिए आपके इमरजेंसी फंड में कुल पैसा होगा:

Rs. 40,000 x 6 + Rs. 25,000 x 6 + Rs. 25,000 = Rs. 4,15,000.

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अब इस इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल कैसे करें?

सबसे पहले आप इमरजेंसी फंड का 1/3 हिस्सा एक अलग सेविंग अकाउंट में ट्रांसफर कर लें. ताकि किसी भी आपात स्थिति में आपको कम से कम कुछ पैसे निकालने में आसानी हो. फिर, बचे हुए 2/3 हिस्से को म्यूचुअल फंड में रखा जा सकता है. ध्यान दें कि यदि आप म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं तो जरूरत पड़ने पर यहां से पैसा निकालने में 1 वर्किंग दिन लग जाता है. तो

कुछ लोग ज्यादा रिटर्न के चक्कर में अपने इमरजेंसी फंड को शेयर बाजारों में भी लगा देते हैं. मैं ऐसा न करने की सख्त सलाह देता हूं. एक इमरजेंसी फंड का का मकसद पैसा बचाना है न कि उससे पैसा बनाना. जरूरत पड़ने पर पैसा गंवाना नहीं चाहिए. शेयर बाजार में पैसा रखने से नुकसान हो सकता है. खासकर अगर मंदी की आशंका हो तो शेयर बाजारों में पैसा लगाना कतई मुनासिब नहीं होगा.

तो ध्यान रहे कि, हेल्थ इंश्यॉरेंस और एक इमर्जेंसी फंड ये दो जरूरी पर्सनल फाइनेंस को लेकर सलाह है जो आपको मंदी के समय मदद करेगी.

(अनमोल गुप्ता, 7Prosper के फाउंडर हैं और पर्सनल फाइनेंस और निवेश सलाहकार हैं.)

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