फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन को लेकर नई स्टडी में पॉजिटिव रिजल्ट सामने आया है. अमेरिका की एक रियल-वर्ल्ड स्टडी में सामने आया है कि बायोटेक-फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन के पहले डोज के एक-दो हफ्ते बाद इंफेक्शन का खतरा 80 फीसदी तक कम हो जाता है.
स्टडी के मुताबिक, वैक्सीन का दूसरा डोज देने के दो हफ्ते बाद, इंफेक्शन का खतरा 90 फीसदी तक कम हो गया.
अमेरिका में करीब चार हजार वैक्सीनेटेड स्वास्थ्य कर्मचारियों और लोगों पर ये स्टडी की गई.
स्टडी में सामने आए ये रिजल्ट पुरानी स्टडी को मान्य करते हैं जिसमें कहा गया था कि वैक्सीन पहले डोज के बाद से ही काम करना शुरू कर देती है, और बिना लक्षण वाले इंफेक्शन को रोकने में भी असरदार है.
mRNA वैक्सीन को लेकर ये स्टडी 14 दिसंबर से अमेरिका के 6 राज्यों में 13 मार्च के बीच 3,950 लोगों पर की गई. CDC डायरेक्टर रोशेल वेलेन्स्की ने एक बयान में कहा, “ऑथोराइज्ड mRNA कोविड वैक्सीन स्वास्थ्य कर्मियों, फर्स्ट रिस्पॉन्डर्स और दूसरे फ्रंटलाइन वर्कर्स को जल्दी सुरक्षा प्रदान करते हैं.”
स्टडी में शामिल लोगों में से 62% ने वैक्सीन (फाइजर या मॉडर्ना) के दोनों डोज लिए थे, वहीं 12% ने केवल एक डोज लिया था.
क्या है mRNA तकनीक
mRNA मानव कोशिकाओं को जेनेटिक निर्देश मिलता है, जिससे वह वायरस से लड़ने के लिए प्रोटीन विकसित कर सके. यानी इस तकनीक से बनी वैक्सीन शरीर की कोशिकाओं में ऐसे प्रोटीन बनाती है, जो वायरस के प्रोटीन की नकल कर सके. इससे संक्रमण होने पर इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है और वायरस को नष्ट करने में मदद मिलती है.
mRNA-आधारित वैक्सीन वास्तव में वैज्ञानिक रूप से एक आदर्श विकल्प हैं, जो तेजी से महामारी के खिलाफ लड़ाई में मददगार है. mRNA वैक्सीन को सुरक्षित माना जाता है. इसके अतिरिक्त mRNA वैक्सीन पूरी तरह से सिंथेटिक हैं
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