ADVERTISEMENTREMOVE AD

बिहार चुनाव नतीजे: सरप्राइज पैकेज साबित हो सकती है CPI(ML) 

एग्जिट पोल के मुताबिक अगर CPI(ML) को 12-16 सीटें मिलती हैं तो महागठबंधन में ये सबसे अच्छा प्रदर्शन होगा

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने ही वाले हैं, लेकिन नतीजों से पहले एग्जिट पोल ने जो तस्वीर बताई है उससे यही नजर आ रहा है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है और एनडीए इस बार पिछड़ने वाला है. इंडिया टुडे एक्सिस माइ इंडिया के एग्जिट पोल में तेजस्वी यादव बड़े मार्जिन से बिहार के मुख्यमंत्री बनते दिख रहे हैं, वहीं एबीपी सी-वोटर के पोल में कांटे की टक्कर नजर आ रही है. सिर्फ दैनिक भास्कर ने अपने एग्जिट पोल में एनडीए की जीत का अनुमान लगाया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ज्यादातर एग्जिट पोल में सीपीआई (माले) का प्रदर्शन काफी बेहतर बताया जा रहा है. इंडिया टुडे एक्सिस पोल में बताया गया है कि 19 सीटों में से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी, लिबरेशन) करीब 12 से 16 सीटें जीत सकती है. इसका मतलब पार्टी का स्ट्राइक रेट 63-84% तक हो सकता है.

महागठबंधन को भी CPI(ML) का फायदा

महागठबंधन को भी सीपीआई (माले) के समर्थन का काफी फायदा मिलता नजर आ रहा है. इंडिया टुडे एक्सिस सर्वे के मुताबिक पार्टी के कोर एरिया यानी भोजपुर क्षेत्र से महागठबंधन को 49 सीटों में से 33 सीटों पर जीत मिल सकती है. इस सर्वे के मुताबिक इस श्रेत्र में महागठबंधन की एनडीए पर ये सबसे बड़ी लीड होगी.

अब सीपीआई (माले) के साथ का महागठबंधन को फायदा हुआ है तो हम आपको आने वाले कुछ सवालों के जवाब देते हैं.

इस पूरे समीकरण और पार्टी की रणनीति को समझने के लिए हमने एन साईं बालाजी से बात की, जो पार्टी के छात्र संगठन के अध्यक्ष हैं और जेएनयू छात्रसंघ के भी अध्यक्ष रह चुके हैं. बिहार चुनाव के दौरान बालाजी ने खूब प्रचार किया.

महागठबंधन में सीपीआई (माले) को जगह

जब आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ऐलान किया कि वो लेफ्ट दलों को 29 सीटें देने जा रहे हैं, जिनमें से 19 सीटों पर सीपीआई (माले) चुनाव लड़ेगी, तो कई लोगों ने कहा कि लेफ्ट को ज्यादा ही सीटें दे दी गई हैं. हालांकि ये तब हुआ जब कुछ छोटे दलों ने महागठबंधन का हाथ छोड़ दिया. जिनमें जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा, मुकेश साहनी की विकासशील इंसा पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी शामिल है.

काडर की ताकत

जहां कांग्रेस, बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी और एलजेपी जैसे दलों के लिए बिहार में रिसोर्सेस की कमी नहीं थी, वहीं सीपीआई (माले) ने अपने मजबूत काडर के दम पर पूरा चुनाव लड़ा. जानकारों का कहना है कि आरजेडी की रैली में दिखने वाली बड़ी भीड़ सिर्फ उनके समर्थकों की नहीं थी, बल्कि इसमें कुछ हिस्सा सीपीआई (माले) का भी था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

नौकरी और आर्थिक हालात पर चुनाव

पूरे महागठबंधन में जितने भी दल थे, उन्होंने सिर्फ एक मुद्दे को बड़ा बनाकर पेश किया और वो था इकनॉमिक जस्टिस का मुद्दा. सभी दलों ने मिलकर बिहार में रोजगार और सभी को समान सैलरी देने पर जोर दिया. सरकारी नौकरी में खाली पदों को भरना, शिक्षकों को समान वेतन, मजदूरों की समस्याएं और किसानों को एमएसपी देने जैसे मुद्दे काम आए. एन साईं बालाजी ने कहा कि इन सभी मुद्दों ने महागठबंधन को मजबूती दी और लोगों तक बदलाव की बात पहुंची.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सामाजिक मुद्दों को समर्थन

इसके अलावा सीपीआई (माले) ने अपने स्तर पर सामाजिक आंदोलनों को टारगेट किया. जमीन पर मौजूद मुद्दों को लेकर पार्टी के नेताओं ने सीधे जनता से संवाद किया. बेरोजगारी, भोजन कर्मी, आशा कार्यकर्ताओं, कामकाजी महिलाओं और शिक्षा के लिए होने वाले आंदोलनों से जुड़कर पार्टी ने समर्थन हासिल किया. साथ ही यूथ फैक्टर, जातिगत राजनीति और तमाम ऐसे मुद्दे जो जनता के थे उन्होंने पार्टी के लिए एक बड़ा काम किया.

पहली बार सरकार में मिल सकती है जगह

अब अगर एग्जिट पोल के आंकड़े सही साबित होते हैं और महागठबंधन को बहुमत हासिल होता है तो ऐसे में पहली बार सीपीआई (माले) सरकार में शामिल हो सकती है. पार्टी को 2005 में सबसे ज्यादा 7 सीटें मिली थीं. अब अगर एग्जिट पोल के मुताबिक सीपीआई (माले) को 15 सीटें तक मिल जाती हैं तो वो सरकार में हिस्सेदार हो सकती है. हालांकि एन साईं बालाजी का कहना है कि इसे लेकर फैसला चुनाव नतीजों के बाद ही किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम सरकार के साथ काम करते रहेंगे और ये सुनिश्चित करेंगे कि जनता से किए गए वादों को पूरा किया जाए.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×