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Exit Poll की पोल खोल रहा बीजेपी का सन्नाटा और सक्रिय विपक्ष?

एग्जिट पोल में बीजेपी को जीत मिल रही है लेकिन उसके साथी सावधान हैं और विपक्ष सक्रिय, इसके क्या मायने हैं?

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एकआध न्यूज चैनल को छोड़ दें तो सबकी सुर्खियां एक ही हैं. फिर एक बार मोदी सरकार. चुनाव प्रचार खत्म होने के दिन पीएम मोदी और अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस के डायस से भी यही कहा गया कि बीजेपी को 300 से ज्यादा सीटें मिलेंगी. अरुण जेटली ब्लॉग लिख चुके हैं कि जब सारे एग्जिट पोल एक ही बात कह रहे हैं तो जीत तय है? लेकिन जब जोरदार जीत का इतना यकीन है तो जश्न क्यों नहीं दिख रहा. वो ऊर्जा, वो उत्साह क्यों गायब है? NDA के कुछ सहयोगियों के सुर भी बदले हुए हैं? दूसरी तरफ विपक्ष में पूरी चहल-पहल है. आखिर चल क्या रहा है?

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ये मोदी स्टाइल तो नहीं?

एग्जिट पोल में बीजेपी को जीत मिल रही है लेकिन उसके साथी सावधान हैं और विपक्ष सक्रिय, इसके क्या मायने हैं?
मंगलवार को दिल्ली में एनडीए घटक दलों की बैठक हुई
(फोटो : क्विंट)

हर चीज को लार्जर दैन लाइफ बनाने वाले मोदी. हर आयोजन को महा आयोजन बनाने वाले मोदी, आखिर चुप क्यों हैं? एग्जिट पोल में उनको जिस तरह की जीत दी गई है वो पिछले पैमाने से भी बड़ी है. तो ट्विटर की दीवार पर एक-दो वार तो बनता ही था. इतना ही नहीं बीजेपी के किसी बड़े नेता की तरफ से हल्ला नहीं है.

याद कीजिए 17 मई की शाम अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस, जिसमें पीएम मोदी भी आए. अमित शाह 300 सीटें जीतने का दावा तो कर रहे थे, लेकिन उनकी बॉडी लैग्वेंज, उनके शब्दों का साथ नहीं दे रही थी.

उल्टा हो ये रहा है कि सहयोगियों संग डिनर पार्टी हो रही है. साथियों से बातचीत हो रही है. हो ये रहा है कि चुनावों से पहले मुलायम-अखिलेश के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का जो मामला खोला गया था, वो बंद हो रहा है. चुनाव के पहले बीजेडी के लिए पीएम मोदी की तारीफ हम सुन ही चुके हैं.

एग्जिट पोल में बीजेपी को जीत मिल रही है लेकिन उसके साथी सावधान हैं और विपक्ष सक्रिय, इसके क्या मायने हैं?
17 मई को चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद अमित शाह-पीएम मोदी की प्रेस कॉन्फ्रेंस
(फोटो : PTI)

क्यों बदले नजर आते हैं बीजेपी के दोस्त

मोदी से लंबे ब्रेकअप के बाद पैचअप करने वाले नीतीश प्रज्ञा ठाकुर के बयान को बर्दाश्त के बाहर बता चुके हैं. कह चुके हैं कश्मीर पर वो बीजेपी से सहमत नहीं है. धारा 370 हटाने के खिलाफ हैं. 35A हटाने का विरोध करते हैं. अब जब NDA ने डिनर में बुलाया तो अंदर जाने से पहले फिर स्वाद बिगाड़ गए.

हमने हमेशा यही कहा है कि अनुच्छेद 370 को नहीं हटाया जाना चाहिए, यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू नहीं किया जाना चाहिए, अयोध्या विवाद को आपसी सहमति/अदालत के हस्तक्षेप के जरिए सुलझाया जाना चाहिए. हमने बीजेपी के साथ जब गठजोड़ किया था, तभी से हम इन बातों पर कायम हैं.
नीतीश कुमार, सीएम, बिहार

नीतीश ने एनडीए की जीत पर भरोसा तो जताया लेकिन साथ में ये भी कहते गए- ‘’हम अब भी बिहार को विशेष दर्जा दिलाने के पक्ष में हैं. ये मुद्दा हमारे लिए बेहद अहम है. हम इस मुद्दे को उठाते रहेंगे.” सुर सिर्फ नीतीश के ही नहीं बदले हैं. एनडीए के दूसरे साथी उद्धव ठाकरे ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तारीफ की है.

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने चुनाव में कड़ी मेहनत की है. उन्हें नई लोकसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर पर्याप्त सीटें मिल जाएंगी.
उद्धव ठाकरे, शिवसेना चीफ

इससे पहले खबर आई थी कि उद्धव इस डिनर में हिस्सा ही नहीं लेंगे. उनकी जगह सिर्फ सुभाष देसाई के आने की खबर थी. सुभाष देसाई पहले दिल्ली आए भी, फिर पता चला कि उद्धव भी जाएंगे. ये ऊहापोह क्यों? क्या बदले हालात में पाला बदलने की भूमिका तैयार की जा रही है?

इधर सन्नाटा, उधर नेता सक्रिय

मंगलवार को चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता में 22 विपक्षी दलों ने बैठक की. इसमें कांग्रेस से गुलाब नबी आजाद, टीएमसी से डेरेक ओब्रायन, सीपीएम से सीताराम येचुरी, AAP से अरविंद केजरीवाल, बीएसपी से सतीश चंद्र मिश्र, एसपी से रामगोपाल यादव, डीएमके से कनिमोझी, सीपीआई से डी राजा, आरजेडी से मनोज झा, एनसीपी से मजीद मेमन और नेशनल कॉन्फ्रेंस से देविंदर राणा मौजूद थे. माना जाता है कि इस बैठक में गैर बीजेपी सरकार बनाने की गुंजाइश पर भी चर्चा हुई.

सोमवार को नायडू ने ममता बनर्जी से भी मुलाकात की. इससे पहले नायडू UPA अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, शरद पवार, अखिलेश यादव और मायावती से मुलाकात की है. अब वो देवगौड़ा और कुमारस्वामी से भी मिल चुके हैं.

एग्जिट पोल में बीजेपी को जीत मिल रही है लेकिन उसके साथी सावधान हैं और विपक्ष सक्रिय, इसके क्या मायने हैं?
मंगलवार को चंद्रबाबू नायडू ने एचडी देवगौड़ा और कुमारस्वामी से की मुलाकात
(फोटो: क्विंट हिंदी)

संकेत और भी है

जिस बैठक में 22 दल मिले, वहां EVM में गड़बड़ी पर भी बात हुई. विपक्ष की मांग है कि काउंटिंग से पहले ही VVPAT पर्चियों का मिलान किया जाए, न कि मतगणना के बाद. साथ ही विपक्ष 100 फीसदी पर्चियों के मिलान की मांग कर रहा है.

पूर्व राष्ट्रपति ने भी मांग की कि चुनाव आयोग को जनमत के सुरक्षित रहने की गारंटी देनी चाहिए. प्रणव मुखर्जी के बयान के भी मायने निकाले जा रहे हैं. हो सकता है कि माहौल भांप कर प्रणव गैर बीजेपी सरकार में अपने लिए दूसरी पारी की गुंजाइश देख रहे हों. और ये गुंजाइश तभी पैदा होगी जब गैर बीजेपी सरकार बनेगी.

EVM की सुरक्षा को लेकर हो रहे बवाल इस बात के भी संकेत हो सकते हैं कि विपक्ष अपने लिए अब भी उम्मीद देख रहा है. प्रियंका गांधी कार्यकर्ताओं से कह चुकी हैं कि एग्जिट पोल के आंकड़ों से घबराने की जरूरत नहीं है, स्ट्रॉन्ग रूम की कड़ी निगरानी रखिए.

प्यारे कार्यकर्ता बहनों और भाइयों अफवाहों और एग्जिट पोल से हिम्मत मत हारिए. ये आपका हौसला तोड़ने के लिए फैलाई जा रही है. इस बीच आपकी सावधानी और भी महत्वपूर्ण बनती है. स्ट्रॉन्ग रूम और काउंटिंग सेंटर में डटे रहिए और चौकन्ना रहिए. हमें पूरी उम्मीद है कि हमारी मेहनत और आपकी मेहनत फल लाएगी.’
प्रियंका गांधी, कांग्रेस महासचिव

मंगलवार को ये बात भी सुर्खियों में रही कि अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप ने कांग्रेस नेताओं और नेशनल हेराल्ड अखबार के खिलाफ अहमदाबाद की अदालत में दायर 5,000 करोड़ रुपये के मानहानि मुकदमे को वापस लेने का फैसला किया है. ये वही अनिल अंबानी हैं जिनके खिलाफ राहुल गांधी ने हर दूसरी रैली में राफेल को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. तो अनिल के इस ‘क्षमा भाव’ पीछे कौन सी भावना है?

एग्जिट पोल में बीजेपी की बंपर जीत के बाद भी ये सब हो रहा है तो सवाल उठता है कि कहीं आंकड़ों में कुछ लोचा तो नहीं? बस चंद घंटे बाद 90 करोड़ वोटरों कराने वाले हैं सच से सामना.

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