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शिवसेना के लिए ‘जादू’ नहीं कर पाए प्रशांत किशोर,आदित्य ठाकरे नाराज

प्रशांत किशोर की संस्था I-Pac ने विधानसभा चुनाव में शिवसेना के लिए किया काम

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैैं. बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें मिल गईं हैं. लेकिन खबर आ रही है कि चुनाव में शिवसेना के लिए काम करने वाले चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर से पार्टी नाराज है. नाराजगी का कारण मनचाहे नतीजों का ना आना बताया जा रहा है. प्रशांत किशोर की संस्था I-Pac को आदित्य ठाकरे के लिए आगे काम करने से मना किया जा सकता है.

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चुनाव नतीजे आने के बाद प्रशांत किशोर की संस्था में काम करने वालों से आदित्य ठाकरे की मुलाकात हुई. पार्टी सूत्रों के मुताबिक आदित्य ठाकरे I-Pac के काम से नाखुश हैं. वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर आदित्य ठाकरे के मौसेरे भाई और शिव सेना की यूथ विंग युवा सेना के सचिव वरुण सरदेसाई को ट्रोल किया जा रहा है.

मराठी में किए गए ट्वीट का मतलब है ‘‘वरुण सरदेसाई के जिद और बिहारी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नीतियों की वजह से शिवसेना 56 के आंकड़े पर अटक गई है. उत्तर भारतीय कभी भी महाराष्ट्र की नस पकड़ नहीं पाए हैं. शिवसेना को प्रशांत किशोर ने डुबा दिया.’’

सोशल मीडिया पर चर्चा चल रही है कि युवासेना के सचिव वरुण सरदेसाई की जिद के चलते ही प्रशांत किशोर की संस्था को काम दिया गया था लेकिन पार्टी चुनाव में सिर्फ 56 सीटें ही ला पाई. बता दें कि साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 63 विधायक चुनकर आए थे.

प्रशांत किशोर ने आदित्य ठाकरे के लिए बनाए ये प्लान

प्रशांत किशोर को चुनाव में पार्टियों और नेताओं की छवि बनाने और लोगों के बीच पहुंच बनाने के लिए पार्टियां अपने साथ लाती हैं. हाल ही में आंध्र प्रदेश में हुए विधानसभा के चुनाव में जगन मोहन रेड्डी को जीत दिलाने में भी प्रशांत किशोर का हाथ बताया जाता है.

महाराष्ट्र विधानसभा में आदित्य ठाकरे अपने परिवार के पहले सदस्य थे जो चुनाव लड़ रहे थे. इस लिहाज से उनके लिए ये चुनाव बहुत महत्वपूर्ण बताया जा रहा था. प्रशांत किशोर को इस सीट पर उन्हें जीत दिलाने और आदित्य ठाकरे को एक बड़े नेता के रूप में स्थापित करने की जिम्मेदारी मिली. प्रशांत किशोर ने आदित्य ठाकरे के लिए जन आशीर्वाद यात्रा,आदित्य ठाकरे संवाद जैसे प्रोग्राम बनाए. लेकिन इसका ज्यादा फायदा नहीं मिला. आदित्य ने अपनी सीट पर बड़ी जीत तो हासिल की लेकिन पार्टी की सीटों में कमी आई. कहा जाता है कि शिवसेना ने प्रशांत किशोर की सलाह पर ही बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया था.

प्रशांत किशोर बाहरी हैं

सोशल मीडिया पर जैसे रिएक्शन आ रहे हैं उनमें ये बात भी कही जा रही हैं कि वो बाहरी हैं और उत्तर भारतीय कभी भी महाराष्ट्र की राजनीति समझ नहीं पाएगा. बता दें कि शिवसेना पहले भी उत्तर भारतीयों के खिलाफ कई बार आंदोलन कर चुकी है.

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