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रिव्यू: ‘द लायन किंग’ में नहीं है वो पुरानी बात, लगती है बेजान

‘द लायन किंग’ की तारीफ तो हो रही है, लेकिन ये खोखली लगती है.

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जीवन एक चक्र में चलता है, 'द लॉयन किंग' हमें ये बताता है और वैसी ही है स्टूडियो फिल्म मेकिंग. 'अलादीन' और 'डंबो' की लाइव एक्शन रीमेक की तरह ही द लायन किंग भी एक बार फिर वापस लौट आया है.

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‘द लायन किंग’ की रीमेक अपने आपमें एक मिश्रण है, मॉर्डन विजुअल इफेक्ट्स, नए कास्ट और नई कहानी का, ताकी नए जमाने के हिसाब से लोगों को वो आकर्षित कर सके. लेकिन इसमें नए गाने ‘सॉन्ग ऑफ द साउथ’ को ना गिनें.

इस रीमेक का व्यंगात्मक और थोड़ी उत्सुकता के साथ स्वागत करना आसान है. ‘द लायन किंग’ के गाने अच्छे हैं. शेक्सपियर की कहानी अब भी दमदार है और इसमें बियॉन्से भी है.

जॉन फेवरोऊ की 'द लॉयन किंग' में नेचुरल वर्ल्ड को वास्तविकता के साथ दिखाने की कोशिश बेजान लगती है. क्योंकि हर चीज का डिजिटल एनिमेशन किया गया है, फिल्म की अफ्रीकन घास को बदल दिया गया और यहां के जानवरों को फोटो रियलिस्टिक चिड़ियाघर में दिखाया गया है.. डिज्नी की दुनिया के कार्टून और नेचर डॉक्यूमेंट्री आखिरकार एक दूसरे में मिल ही गए.

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‘द लायन किंग’ की तारीफ तो हो रही है, लेकिन ये खोखली लगती है.
‘द लायन किंग’ से मुफासा और सिंबा
(फोटो:AP)

फेवरोऊ, सिनेमैटोग्राफर केलेब डेस्चानेल और वीएफएक्स चीफ रॉब लेगेटो ने बेहतरीन विजुअल इफेक्ट्स का इस्तेमाल करते हुए बेहतरीन वातावरण को दर्शाया है. मुफासा को फिर से जेम्स अर्ल जोन्स ने शानदार आवाज दी है और रॉबर्ट रेडफोर्ड के बाद शायद मुफासा के बाल ही सबसे राजसी हैं, जो अफ्रीकी धूप में चमचमताते नजर आते हैं.

‘द लायन किंग’ की तारीफ तो हो रही है, लेकिन ये खोखली लगती है.
‘द लायन किंग’ 
(फोटो:AP)
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‘द लायन किंग’ की तारीफ तो हो रही है, लेकिन ये खोखली लगती है. रॉजर एलर्स और रॉब मिंकॉफ की उकेरी तस्वीरों पर बनी 1994 की फिल्म में कल्पनाशीलता के लिए जो जगह थी वो नई फिल्म के असली दिखने वाले किरदारों में नहीं है. कुल मिलाकर तस्वीरों पर वॉइस ओवर ऑर्टिस्ट की आवाज का जो जादू था वो एनिमेशन में खत्म हो गया है. याद कीजिए टॉम हैंक्स की आवाज ने 'टॉय स्टोरी' में क्या कमाल किया था?

नई फिल्म में बड़े-बड़े कलाकारों ने आवाज दी है, लेकिन वो अपने किरदारों से कटे हुए लगते हैं, चाहें वो सीनियर सिम्बा के लिए डोनाल्ड ग्लोवर हों या फिर नाला के लिए बिंयोसे या फिर विलेन स्कार को आवाज देने वाले चिवेतल और जब ये लोग ही अपने कैरेक्टर से नहीं जुड़ पा रहे, तो दर्शक इन किरदारों से खुद को कैसे कनेक्ट करेंगे.

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यह पूछने लायक है: हमें बात करने वाले जानवरों की सचमें कितनी जरूरत है? क्या हमें पंख वाले माजर्डोमो जाजू (जॉन ओलिवर की दी गई आवाज) की जरूरत है, इस रीमेक में भले ही बेहतरीन तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन ये ऐसा लगता है कि यथार्थ को किसी मैजिक से दूर कर दिया गया है.

‘द लायन किंग’ की तारीफ तो हो रही है, लेकिन ये खोखली लगती है.
सिंबा, टिमोन और पुंबा से मिलता है
(फोटो:AP)

'द लायन किंग' में राइस और बियॉन्से की एक नई धुन के साथ, एल्टन जॉन और टिम राइस के जाने-माने गाने वापस आ गए हैं. हालांकि इस बार, लेबो एम के साथ हैंस जिमर के स्कोर, ज्यादा रम जाने वाले और मजेदार लगते है.

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हालांकि, जिस हद तक ‘द लायन किंग’ ने पहले वाली की नकल की है वह निराशाजनक है. यहां यह कहना चाहिए कि पिछले 20 साल से चली आ रही कहानी में अब थोड़ा संशोधन करने की जरूरत है.

इस रीमेक में फिल्म मेकर ने कुछ बदलाव किए हैं, जो आपकी चाहत को और बढ़ा देंगें. नाला के किरदार को अलग अंदाज में पेश किया गया है. 'द लायन किंग' में कुछ तो गायब है. एक उद्देश्य, या शायद एक दिल. डिज्नी क्लासिक्स की जीवन की आशा ने इसे जिंदगी के चक्र की बजाय एक हैम्स्टर व्हील जैसा महसूस करना शुरू कर दिया है .

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