मुंबई की एक कोर्ट ने 2002 के हिट एंड रन मामले में सलमान खान के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट रद्द कर दिया है.
कोर्ट ने शीर्ष अदालत के निर्देशों के मुताबिक जमानत जमा नहीं करने पर अभिनेता के खिलाफ इस महीने की शुरूआत में वारंट जारी किया था. सलमान शनिवार को सेशन कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने जमानत जमा करने की सभी फाॅर्मैलिटी पूरी कीं. जिसके बाद कोर्ट ने वारंट रद्द कर दिया.
इस मामले में सलमान को बरी किये जाने के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
सलमान ने इस साल फरवरी में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था और अपनी पूर्व मैनेजर रेशमा शेट्टी की ओर से दी गयी जमानत को वापस करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि वह इसकी जगह अपने बाॅडीगार्ड शेरा उर्फ गुरमीत सिंह जॉली की जमानत देना चाहते हैं.
मामले में सलमान को बरी किये जाने के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की दाखिल अपील पर सुनवाई कर रही कोर्ट ने 23 फरवरी को उनकी अर्जी विचार के लिए मंजूर कर ली थी. उनसे प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया था. सेशन कोर्ट ने इस साल सलमान को दो नोटिस जारी किये थे. इनमें एक नोटिस 5 मार्च को, दूसरा नोटिस 16 मार्च को भेजा गया था
क्या है 2002 हिट एंड रन केस?
28 सितंबर, 2002 को सलमान की कार ने मुंबई की एक बेकरी के सामने फुटपाथ पर सो रहे लोगों को कुचल दिया था. इसमें 1 व्यक्ति की मौत हो गई जबकि 3 लोग घायल हुए. गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज हुआ. लेकिन सलमान ने खुद को बेकसूर बताया.
6 मई, 2015 को सलमान खान का दोष साबित हुआ. सेशन्स कोर्ट के जज डी डब्ल्यू देशपांडे ने उन्हें 5 साल कैद की सजा सुनाई. लेकिन उसी दिन शाम को बॉम्बे हाई कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई. कोर्ट ने अंतिम आदेश तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी.
इस मामले के मुख्य गवाह पुलिस सिपाही रवींद्र पाटिल को लेकर भी विवाद रहा. रवींद्र पाटिल ने सलमान के खिलाफ गवाही दी थी. लेकिन बाद में उन्हें पुलिस महकमे से निलंबित कर दिया गया था. रवींद्र पाटिल 2007 में टीबी की बीमारी से गुमनाम मौत मर गए.
बंबई हाई कोर्ट ने सलमान खान को ठोस सबूतों के अभाव में दिसंबर 2015 में बरी कर दिया था. सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
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