फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन सिनेमा (Indian Cinema) देविका रानी (Devika Rani) की आज 114वीं बर्थ एनिवर्सरी है. फिल्म इंडस्ट्री में 'ड्रैगन लेडी' के नाम से मशहूर देविका रानी का जन्म 30 मार्च 1908 को विशाखापटनम में हुआ था. वो प्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) के परिवार से ताल्लुक रखती थीं. देविका ने 10 साल के अपने फिल्मी करियर में कई मिथक तोड़े. उन्होंने अपनी अदाकारी से इंडस्ट्री में महिला कलाकारों के लिए जगह बनाई. इसके साथ ही अपनी काबिलियत से कई बड़ी उपलब्धियां भी हासिल की.
4 मिनट के किसिंग सीन पर विवाद
देविका रानी (Devika Rani) ने 1933 में हिमांशु राय (Himanshu Rai) की फिल्म कर्मा (Karma) से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की. इस फिल्म में देविका और हिमांशु मुख्य भूमिका में थे. ये वो दौर था जब महिलाओं का फिल्मों में काम करना इतना बुरा समझा जाता था कि अभिनेत्री का रोल भी आदमी ही किया करते थे. लेकिन इस फिल्म में पहली बार देविका ने बतौर अभिनेत्री काम किया.
फिल्म के रिलीज के साथ ही देविका रानी स्टार बन गईं. एक तरफ फिल्म को पसंद किया जा रहा था, तो दूसरी तरफ एक विवाद भी खड़ा हो गया.
विवाद फिल्म में दिखाए गए 4 मिनट के किसिंग सीन को लेकर था. ये सीन देविका और हिमांशु के बीच ही फिल्माया गया था. विवाद के बावजूद देविका पीछे नहीं हटी और उन्होंने आगे चलकर कई बड़े-बड़े रोल किए.
हिंदी सिनेमा की लैंडमार्क बनी अछूत कन्या
देविका ने अपने 10 साल के फिल्मी करियर में सिर्फ 15 फिल्मों में काम किया. लेकिन अपने शानदार अभियन से वो हिन्दी सिनेमा के रजत पटल पर अमर हो गईं. देविका की बेहतरीन फिल्मों में से एक है 'अछूत कन्या'. साल 1936 में देविका और अशोक कुमार (Ashok Kumar) की जोड़ी दूसरी बार इस फिल्म में एक साथ दिखी थी. ये फिल्म हिंदी सिनेमा के लिए लैंडमार्क साबित हुई. 'अछूत कन्या' को ही भारत में छुआछूत के खिलाफ आंदोलन की जमीन तैयार करने वाली फिल्म माना जाता है.
फिल्म में अशोक कुमार एक ब्राह्मण युवक के किरदार मे थे, जिन्हें एक अछूत लड़की से प्यार हो जाता है. सामाजिक पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म काफी पसंद की गई और इस फिल्म के बाद देविका फिल्म इंडस्ट्री में 'ड्रीम गर्ल' के नाम से भी मशहूर हो गई.
सरोजिनी नायडू के कहने पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘अछूत कन्या’ देखी थी. फिल्म देखकर वे काफी प्रभावित हुए और देविका के नाम एक खत भी लिखा था. उन दिनों मुंबई के गवर्नर सर रिचर्ड टेंपल भी देविका के फैन थे.
बोल्ड और बिंदास
देविका रानी अक्सर अपने रील और रियल लाइफ के लिए चर्चा में रहती थी. पर्दे पर अपने बोल्ड और निजी जिंदगी में अपने बिंदास लाइफ स्टाइल के लिए खबरों में बनीं रहती थां. इसी वजह से उन्हें सिनेमा की ड्रैगन लेडी भी कहा जाता है.
आउटलुक को दिए एक इंटरव्यू में अभिनेत्री लिलेट दुबे देविका रानी के बारे में बात करते हुए कहती हैं कि,
वह मुखर थी और वह अपनी शर्तों पर अपना जीवन व्यतीत करती थी. वह काफी हद तक एक आधुनिक महिला थीं, जिन्हें इस बात की चिंता नहीं थी कि लोग क्या कह रहे हैं और उनके बारे में क्या सोचेंगे."
देविका रानी अपने इसी अंदाज के लिए आज भी याद की जाती हैं. उन्होंने अपने काम के जरिए भारतीय सिनेमा में महिला कलाकरों को स्थापित किया तो साथ ही अगली पीढ़ियों को फिल्मों में आने के लिए प्रोत्साहित भी किया.
छोटे करियर में मिले कई सम्मान
बेहतरीन एक्टिंग के साल 1958 में देविका रानी को पद्मश्री से भी नवाजा गया. पद्मश्री पाने वाली वह पहली अभिनेत्री थी. इसके साथ ही जब 1969 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड की शुरुआत हुई तो पहला अवॉर्ड भी देविका रानी को ही मिला थी. तो वहीं 1990 में में सोवियत रूस ने उन्हें ‘सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड’ से सम्मानित किया था.
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