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भोपाल गैस त्रासदी पीड़ित मुआवजा बढ़ाने की मांग क्यों कर रहे, सरकार ने क्या कहा?

Bhopal Gas Tragedy: एक सर्वाइवर भामरी बाई ने कहा- मुझे 25 हजार मुआवजा मिला था, उसमें क्या होता है?

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कुंजी
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भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) को लेकर केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) को जानकारी दी है कि वो उस याचिका पर आगे बढ़ना चाहता है, जिसमें भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy Victims) के पीड़ितों को 7844 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देने की मांग की गई है. दरअसल ये क्यूरेटिव पिटीशन केंद्र सरकार ने 2010 में डाली थी, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर को केंद्र सरकार से 11 अक्टूबर तक जवाब देने को कहा था.

भोपाल गैस त्रासदी पीड़ित मुआवजा बढ़ाने की मांग क्यों कर रहे, सरकार ने क्या कहा?

  1. 1. भोपाल गैस त्रासदी पर अब सुप्रीम कोर्ट में क्या होगा?

    2010 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव पिटीशन डाली थी, जिसमें मांग की गई थी कि, भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड सर्वाइवर परिवारों को 7844 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा दे. इस पर सुप्रीम कोर्ट में 20 सितंबर को सरकार के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि, वो सरकार से राय लेकर बताएंगे. अब सरकार ने अपना रुख सुप्रीम कोर्ट को बता दिया है कि वो चाहते हैं कि कंपनी सर्वाइवर परिवारों को अतिरिक्त मुआवजा दे. जिसका मतलब है कि अब सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर आगे सुनवाई करेगा और कंपनी को तलब करेगा. इसके बाद तय होगा कि क्या मुआवजा बढ़ाया जाएगा, अगर हां तो कितना?

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  2. 2. क्या भोपाल गैस त्रासदी के सर्वाइवर परिवारों को मुआवजा नहीं मिला है?

    इन परिवारों के लिए पहले मुआवजा तय किया गया था. दरअसल 14 फरवरी 1989 को अदालत ने 470 मिलियन डॉलर(750 करोड़ रुपये) का मुआवजा तय किया गया था. लेकिन सर्वाइवर परिवार इसे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं और केंद्र सरकार का कहना है कि, पहले का समझौता मृत्यु, चोटों और नुकसान की संख्या की गलत धारणाओं पर आधारित था. उसमें बाद के पर्यावरणीय नुकसान को ध्यान में नहीं रखा गया.

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  3. 3. मुआवजा बढ़ाने की मांग क्यों कर रहे सर्वाइवर परिवार?

    भोपाल गैस सर्वाइवर्स के साथ काम करने वाले एक्टिविस्ट रचना ढींगरा ने द क्विंट के साथ बातचीत में सोमवार को कहा था कि, इस त्रासदी के सर्वाइवर परिवारों में कई लोग ऐसे हैं जिन्हें मुआवजे के तौर पर एक बार 25 हजार रुपये मिले हैं. उनके पास आय का कोई साधन नहीं बचा है, वो केवल मुआवजे पर निर्भर हैं.

    एक और भोपाल गैस त्रासदी की सर्वाइर शजिदा बी से द क्विंट ने बात की. जो भोपाल गैस कांड के वक्त वो 12 साल की थीं. अब उनके 4 बच्चे हैं. उन्होंने कहा कि,

    मेरे बेटे छोटे-मोटे काम करते हैं, लेकिन ज्यादा कमा नहीं पाते क्योंकि उनकी सांस फूल जाती है. हमारे फेफड़े कमजोर हैं. एक छोटा सा काम हमें बेदम कर देता है. दुखद तथ्य यह है कि हमारे पोते-पोतियां भी उन्हीं कमजोरियों के साथ पैदा होते हैं. हम अकुशल, अशिक्षित और बेरोजगार भी हैं. हमें बेहतर मुआवजे की जरूरत है.

    एक और सर्वाइवर भामरी बाई इस त्रासदी के वक्त 23 साल की थीं. उनके पति की मृत्यु हो चुकी है और वो एक बेटा पीछे छोड़ गए हैं. उन्होंने कहा कि,

    मुझे मुआवजे के रूप में 25,000 रुपये मिले थे, इतने सालों में हमें इतना ही मिला है. बताओ, क्या इतनी रकम काफी है?
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  4. 4. भोपाल गैस त्रासदी क्या है?

    मध्य प्रदेश के भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात में एक दर्दनाक हादसा हुआ था. जिसे भोपाल गैस त्रासदी का नाम दिया गया. दरअसल इस दौरान यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने में रखे टैंक नंबर 610 से एक जहरीली गैस का रिसाव हुआ. बताया जाता है कि इस टैंक से करीब 40 टन जहरीली मिथाइल आइसो साइनेट गैस का रिसाव हुआ था. मध्य प्रदेश सरकार के आंकड़ो के मुताबिक, इस कांड से 5,74,376 लोग प्रभावित हुए थे और 3,787 लोगों की मौत हुई थी. 2006 में दाखिल एक शपथ पत्र में सरकार ने यह माना कि गैस रिसाव से करीब 558,125 सीधे तौर पर प्रभावित हुए और आंशिक तौर पर प्रभावित होने की संख्या लगभग 38,478 थी. 3,900 लोग तो बुरी तरह प्रभावित हुए और अपंगता के शिकार हो गए.

    इस इलाके में आज भी लोग उस त्रासदी के असर का सामना करते हैं. उनके बच्चे तक भी किसी ना किसी समस्या का सामना करते हैं. यहां के ज्यादातर लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है और काफी बच्चे दिव्यांग पैदा होते हैं.

    भोपाल गैस कांड में जो लोग बच गए उनका दर्द वक्त के साथ कम होने के बजाये बढ़ता चला गया. दशकों से ये लोग मुआवजा बढ़ाने के लिए चक्कर काट रहे हैं. लेकिन इन्हें अभी तक इसमें कामयाबी हासिल नहीं हुई है. कई लोग तो इस मदद की आस लिये दुनिया छोड़ गए सरकारें बदलने पर इनके हालात नहीं बदले.

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  5. 5. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?

    सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमन ने कहा कि, इस मामले को फिर से खोलने में कई चुनौतियां हैं, लेकिन हम पीड़ितों को नहीं छोड़ सकते. क्योंकि त्रासदी हर दिन सामने आ रही है. उन्होंने कहा कि सरकार आगे बढ़ना चाहती है. वह आगे चलकर अदालत के सामने एक नोट रख सकेंगे.

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बता दें कि, भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित परिवार लंबे समय से मुआवजा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले सोमवार को ही सर्वाइवर परिवार दिल्ली पहुंच गए थे, जिनके हाथों में मुआवजे की मांग के बोर्ड थे. उनमें से एक भोपाल की रहने वाली लीला बाई ने क्विंट से कहा कि,

हम यहां केवल अपना मुआवजा मांगने आए हैं. हम यहां लड़ने नहीं आये हैं, हमें नहीं पता कि इतने पुलिसकर्मी क्यों आए हैं.

लीलाबाई ने 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी में अपने दो बेटों को खोया था. ये तो हुआ ताजा अपडेट अब सवाल है कि आगे सुप्रीम कोर्ट में आगे क्या होगा. सर्वाइवर परिवार अतिरिक्त मुआवजे की मांग क्यों कर रहे हैं. और अब तक इस केस में क्या-क्या हुआ है.

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भोपाल गैस त्रासदी पर अब सुप्रीम कोर्ट में क्या होगा?

2010 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव पिटीशन डाली थी, जिसमें मांग की गई थी कि, भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड सर्वाइवर परिवारों को 7844 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा दे. इस पर सुप्रीम कोर्ट में 20 सितंबर को सरकार के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि, वो सरकार से राय लेकर बताएंगे. अब सरकार ने अपना रुख सुप्रीम कोर्ट को बता दिया है कि वो चाहते हैं कि कंपनी सर्वाइवर परिवारों को अतिरिक्त मुआवजा दे. जिसका मतलब है कि अब सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर आगे सुनवाई करेगा और कंपनी को तलब करेगा. इसके बाद तय होगा कि क्या मुआवजा बढ़ाया जाएगा, अगर हां तो कितना?

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क्या भोपाल गैस त्रासदी के सर्वाइवर परिवारों को मुआवजा नहीं मिला है?

इन परिवारों के लिए पहले मुआवजा तय किया गया था. दरअसल 14 फरवरी 1989 को अदालत ने 470 मिलियन डॉलर(750 करोड़ रुपये) का मुआवजा तय किया गया था. लेकिन सर्वाइवर परिवार इसे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं और केंद्र सरकार का कहना है कि, पहले का समझौता मृत्यु, चोटों और नुकसान की संख्या की गलत धारणाओं पर आधारित था. उसमें बाद के पर्यावरणीय नुकसान को ध्यान में नहीं रखा गया.

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मुआवजा बढ़ाने की मांग क्यों कर रहे सर्वाइवर परिवार?

भोपाल गैस सर्वाइवर्स के साथ काम करने वाले एक्टिविस्ट रचना ढींगरा ने द क्विंट के साथ बातचीत में सोमवार को कहा था कि, इस त्रासदी के सर्वाइवर परिवारों में कई लोग ऐसे हैं जिन्हें मुआवजे के तौर पर एक बार 25 हजार रुपये मिले हैं. उनके पास आय का कोई साधन नहीं बचा है, वो केवल मुआवजे पर निर्भर हैं.

एक और भोपाल गैस त्रासदी की सर्वाइर शजिदा बी से द क्विंट ने बात की. जो भोपाल गैस कांड के वक्त वो 12 साल की थीं. अब उनके 4 बच्चे हैं. उन्होंने कहा कि,

मेरे बेटे छोटे-मोटे काम करते हैं, लेकिन ज्यादा कमा नहीं पाते क्योंकि उनकी सांस फूल जाती है. हमारे फेफड़े कमजोर हैं. एक छोटा सा काम हमें बेदम कर देता है. दुखद तथ्य यह है कि हमारे पोते-पोतियां भी उन्हीं कमजोरियों के साथ पैदा होते हैं. हम अकुशल, अशिक्षित और बेरोजगार भी हैं. हमें बेहतर मुआवजे की जरूरत है.

एक और सर्वाइवर भामरी बाई इस त्रासदी के वक्त 23 साल की थीं. उनके पति की मृत्यु हो चुकी है और वो एक बेटा पीछे छोड़ गए हैं. उन्होंने कहा कि,

मुझे मुआवजे के रूप में 25,000 रुपये मिले थे, इतने सालों में हमें इतना ही मिला है. बताओ, क्या इतनी रकम काफी है?
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भोपाल गैस त्रासदी क्या है?

मध्य प्रदेश के भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात में एक दर्दनाक हादसा हुआ था. जिसे भोपाल गैस त्रासदी का नाम दिया गया. दरअसल इस दौरान यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने में रखे टैंक नंबर 610 से एक जहरीली गैस का रिसाव हुआ. बताया जाता है कि इस टैंक से करीब 40 टन जहरीली मिथाइल आइसो साइनेट गैस का रिसाव हुआ था. मध्य प्रदेश सरकार के आंकड़ो के मुताबिक, इस कांड से 5,74,376 लोग प्रभावित हुए थे और 3,787 लोगों की मौत हुई थी. 2006 में दाखिल एक शपथ पत्र में सरकार ने यह माना कि गैस रिसाव से करीब 558,125 सीधे तौर पर प्रभावित हुए और आंशिक तौर पर प्रभावित होने की संख्या लगभग 38,478 थी. 3,900 लोग तो बुरी तरह प्रभावित हुए और अपंगता के शिकार हो गए.

इस इलाके में आज भी लोग उस त्रासदी के असर का सामना करते हैं. उनके बच्चे तक भी किसी ना किसी समस्या का सामना करते हैं. यहां के ज्यादातर लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है और काफी बच्चे दिव्यांग पैदा होते हैं.

भोपाल गैस कांड में जो लोग बच गए उनका दर्द वक्त के साथ कम होने के बजाये बढ़ता चला गया. दशकों से ये लोग मुआवजा बढ़ाने के लिए चक्कर काट रहे हैं. लेकिन इन्हें अभी तक इसमें कामयाबी हासिल नहीं हुई है. कई लोग तो इस मदद की आस लिये दुनिया छोड़ गए सरकारें बदलने पर इनके हालात नहीं बदले.

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमन ने कहा कि, इस मामले को फिर से खोलने में कई चुनौतियां हैं, लेकिन हम पीड़ितों को नहीं छोड़ सकते. क्योंकि त्रासदी हर दिन सामने आ रही है. उन्होंने कहा कि सरकार आगे बढ़ना चाहती है. वह आगे चलकर अदालत के सामने एक नोट रख सकेंगे.

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