ADVERTISEMENTREMOVE AD

CBSE 12th Exam कराने में क्या समस्या, एक्सपर्ट दे रहे क्या समाधान?

आज सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच करेगी CBSE और ICSE की 12 वीं बोर्ड रद्द करने से जुड़ी याचिका की सुनवाई

Updated
कुंजी
4 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण विद्यार्थियों में CBSE 12वीं बोर्ड एग्जाम को लेकर उलझन बनी हुई है.CBSE 12वीं बोर्ड के प्रमुख विषयों के लिए छोटे फॉर्मेट वाले ऑब्जेक्टिव MCQ एग्जाम पर विचार कर रही है. इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों से उनकी राय 25 मई तक मांगी थी.

आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए.एम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की स्पेशल बेंच CBSE और ICSE की 12वीं बोर्ड परीक्षा रद्द कराने के लिए एडवोकेट ममता शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने केंद्र, CBSE और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन को CBSE, ICSI बारहवीं की परीक्षा रद्द करने के निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई को सोमवार के लिए स्थगित किया.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

किन 2 विकल्पों पर CBSE कर रही विचार?

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक CBSE 12वीं बोर्ड के लिये सिर्फ प्रमुख विषयों की परीक्षा लेने का मन बना रही है.CBSE ने शिक्षा मंत्रालय को 12वीं के बोर्ड के लिए दो विकल्प सुझाए है:

  1. अब तक के प्रचलित फॉर्मेट में ही प्रमुख विषयों की परीक्षा विभिन्न आवंटित एग्जाम सेंटरों पर लिया जाए. बाकी बचे विषयों के मार्क्स प्रमुख विषयों में लाये गये मार्क्स के आधार पर कैलकुलेट किया जाये.
  2. CBSE ने दूसरे विकल्प के तहत होम सेंटरों पर ही प्रमुख विषयों के 90 मिनट का ऑब्जेक्टिव MCQ एग्जाम लिए जाने का सुझाव दिया है.
0

शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए कहा था ,32 राज्यों और केंद्रशासित राज्यों ने CBSE के सुझाव पर सहमति जताते हुए 12 वीं बोर्ड परीक्षा के लिए हामी भरी है. इन 32 राज्यों और UT's में से 29 ने दूसरे विकल्प के साथ जाने या केंद्र के निर्णय को मानने के लिए सहमति जाहिर की है. दिल्ली, महाराष्ट्र ,गोवा और अंडमान-निकोबार ने पेन-पेपर एग्जाम पर सहमति नहीं जताई है.

CBSE वर्तमान में 12वीं क्लास के विद्यार्थियों को 174 विषय ऑफर करती है, जिनमें से वह 20 विषयों को प्रमुख मानती है. इनमें शामिल है-फिजिक्स, केमेस्ट्री ,मैथमेटिक्स, बायोलॉजी, इतिहास,पॉलिटिकल साइंस, बिजनेस स्टडीज़, अकाउंटेंसी, ज्योग्राफी, इकोनॉमिक्स और इंग्लिश.CBSE के विद्यार्थियों को कम से कम 5 विषय और अधिक से अधिक 6 को चुनना होता है .आमतौर पर इनमें से चार विषय प्रमुख होते हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

महामारी के बीच CBSE की मुश्किलें

CBSE की सबसे बड़ी परेशानी है कि उसके पास पिछले साल की तरह 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द करने का आसान विकल्प नहीं है. पिछले साल 18 मार्च 2020 को जब CBSE ने बोर्ड एग्जाम रद्द किया था तब तक वह 10वीं और 12वीं के अधिकतर प्रमुख विषयों का एग्जाम ले चुकी थी(सिवाय हिंसा ग्रस्त उत्तर-पूर्वी दिल्ली इलाकों के विद्यार्थियों के).

पिछली बार CBSE ने बाकी बचे पेपरों में विद्यार्थियों को हो चुके एग्जाम में उनके प्रदर्शन के आधार पर मार्क्स दे दिया था. इस बार ऐसा विकल्प CBSE के पास नहीं है, क्योंकि परीक्षा शुरू ही नहीं हुई.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

12वीं बोर्ड की परीक्षा पर शिक्षा मंत्रालय को दिए अपने प्रतिक्रिया में पंजाब, झारखंड, सिक्किम, दमन-दीव ने कहा कि परीक्षा विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के वैक्सीनेशन के बाद ही होना चाहिए. दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार ने भी विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के वैक्सीनेशन पर जोर दिया है. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को लिखा कि अगर वैक्सीनेशन संभव नहीं है, तो बोर्ड एग्जाम कैंसिल कर दिया जाए और 12वीं के बच्चों का मूल्यांकन 10 वीं बोर्ड और 11-12 के इंटरनल एग्जाम के प्रदर्शन के आधार पर किया जाए.

CBSE की दिक्कत है कि भारत ने अब तक जिन तीन वैक्सीनों को मंजूरी दी है, उनका प्रयोग 18 साल से कम उम्र के विद्यार्थियों पर नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस ऐज ग्रुप में इन वैक्सीनों का ट्रायल ही नहीं हुआ है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

CBSE के लिए आगे की राह

CBSE और शिक्षा मंत्रालय के वर्तमान प्रयासों से लगता है कि वे अपने दूसरे विकल्प के साथ ही आगे बढ़ रहे है. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप के बीच बिना वैक्सीनेशन विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को बोर्ड एग्जाम में ढकेलना खतरनाक हो सकता है. इसका उदाहरण हमने उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में शामिल शिक्षकों की मौत के मामले में देखा है.

इसका एक उपाय दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को भेजे अपने लेटर में दिया है. उनके अनुसार अगर कोविशिल्ड और कोवैक्सीन को 18 साल से कम आयु के विद्यार्थियों को नहीं लगाया जा सकता है तो केंद्र सरकार फाइजर वैक्सीन का आयात करे जिसे 12 साल के ऊपर के बच्चों को लगाया जा सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक अन्य विकल्प पिछले एग्जाम में विद्यार्थियों के प्रदर्शन और इंटरनल एसेसमेंट के मार्क्स को मिलाकर 12वीं बोर्ड का रिजल्ट तैयार करना है. द क्विंट से बातचीत में स्प्रिंगडेल स्कूल, दिल्ली की प्रिंसिपल अमीता मुल्ला वत्ताल ने सुझाव दिया कि विद्यार्थियों के पिछले दो-तीन साल के प्रदर्शन और प्रैक्टिकल के मार्क्स को मिलाकर CBSE 12वीं का रिजल्ट तैयार कर सकती है.

CBSE को बच्चों के 15 साल के स्कूलिंग का परिणाम 12वीं के रिजल्ट में देखने की प्रवृत्ति को बदलना चाहिए. 2020 में जारी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी ने भी इन एग्जामों के लिए कहा कि “यह एग्जाम बच्चों को हानि पहुंचाते हैं क्योंकि यहां बहुमूल्य समय का प्रयोग कुछ सीखने की जगह हद से अधिक एग्जाम की तैयारी में गुजर जाता है”.

आगे विभिन्न यूनिवर्सिटी एवं कॉलेज अपने यहां एडमिशन के लिए 12वीं के रिजल्ट को पैमाना ना मानकर वे खुद अपना एडमिशन क्राइटेरिया तय करें. इसमे एन्ट्रेंस टेस्ट से लेकर इंटरव्यू तक शामिल हो.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×