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Weight Loss: Crash Dieting किसे नहीं करनी चाहिए और क्यों? बता रहीं एक्सपर्ट्स

Crash Diet Side Effects: क्रैश डायटिंग के साइड इफेक्ट्स डाइट फॉलो करने वालों को परेशानी में भी डाल देते हैं.

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Crash Diet's Risks: क्रैश डाइट वजन कम करने के पॉपुलर तरीकों में से एक है. इससे वजन तो कम हो जाता है पर कई बार क्रैश डायटिंग के साइड इफेक्ट्स डाइट फॉलो करने वालों को परेशानी में भी डाल देते हैं.

क्रैश डाइटिंग के कई जोखिम हैं. सबसे पहले, अधिक कैलोरी रेस्ट्रिक्‍शन के कारण आप खुद को हमेशा भूखा महसूस करते हैं, जो मानसिक और भावनात्‍मक रूप से तनावपूर्ण हो सकता है और डाइटिंग का समय खत्‍म होने के बाद, बिंज ईटिंग का भी खतरा बना रहता है.

यहां एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि क्रैश डायटिंग किसे नहीं करनी चाहिए और क्यों.

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क्रैश डायटिंग किसे नहीं करनी चाहिए और क्यों?

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट की चीफ–क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट दीप्ति खटूजा फिट हिंदी से कहती हैं,

"क्रैश डाइटिंग किसी के लिए भी आदर्श नहीं होती. दरअसल, कुछ भी क्विक फिक्‍स नहीं होता."
दीप्ति खटूजा, चीफ–क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, गुड़गांव

दीप्ति खटूजा कहती हैं कि हेल्दी तरीके से वेट लॉस और कम किए गए वजन को दूर रखने के लिए अपनी लाइफस्‍टाइल में बदलाव लाने होते हैं, जिनमें हेल्दी फूड हैबिट, स्ट्रेस मैनेजमेंट और रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी को शामिल करना जरूरी है.

क्रैश डाइट आमतौर पर किसी के लिए भी रिकमेंड नहीं किया जाता है लेकिन कुछ लोगों को इसे करने से खास तौर पर बचना चाहिये.

एक्सपर्ट्स के अनुसार, इन्हें क्रैश डायटिंग नहीं करनी चाहिए:

मेडिकल समस्या से जूझ रहे लोग: क्रैश डाइट शरीर पर अतिरिक्त प्रेशर डाल सकता है, जो डायबिटीज, हेल्थ प्रॉब्लम या फूड डिसऑर्डर जैसी मेडिकल कंडीशन वाले लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है.

प्रेगनेंट या स्तनपान कराने वाली महिलाएं: प्रेगनेंसी और स्तनपान के दौरान मां और बच्चे दोनों के हेल्थ को सपोर्ट करने के लिए पर्याप्त पोषण महत्वपूर्ण है. क्रैश डाइटिंग उन्हें आवश्यक पोषक तत्वों से दूर रखता है.

"क्रैश डाइट का सहारा लेने के बजाय टिकाऊ, संतुलित और स्वस्थ खाने की आदतों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है."
ईशा वाधवा लूथरा, सीनियर क्लिनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट- बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल

एथलीट या हाई फिजिकल एक्टिविटी वाले लोग: जो लोग रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी से जुड़े होते हैं, उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने और हेल्दी रहने के लिए एनर्जी और पोषक तत्वों की जरूरत होती है. क्रैश डाइट से कमजोरी और खराब प्रदर्शन हो सकता है.

बच्चे और किशोर: बढ़ते बच्चे और किशोर विकसित हो रहे होते हैं और उन्हें सही और संज्ञानात्मक विकास के लिए संतुलित आहार की जरूरत होती है. क्रैश डाइट इन डेवलप्मेंट्स में बाधा डाल सकती है.

अक्‍सर होता यह है कि इस तरह की डाइट का पालन करने के दौरान लोगों का वजन घट जाता है लेकिन इसे छोड़ते ही कई बार पहले से ज्‍यादा बढ़ भी सकता है.

बुजुर्ग व्यक्ति: बुजुर्गों को पहले से ही पोषक तत्वों की कमी का खतरा हो सकता है और क्रैश डाइट इस मुद्दे को बढ़ा सकती है, जिससे कमजोरी और दूसरी हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं.

फूड डिसऑर्डर के शिकार लोग: क्रैश डाइट एनोरेक्सिया नर्वोसा या बुलिमिया जैसे खाने के विकारों को ट्रिगर या खराब कर सकती है.

क्रैश डाइट का सहारा लेने के बजाय टिकाऊ, संतुलित और स्वस्थ खाने की आदतों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे अक्सर थोड़े समय के रिजल्ट और संभावित लौंग टर्म हेल्थ रिस्क्स का कारण बनते हैं.

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