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क्या Crash Diet वजन घटाने का हेल्दी ऑप्शन है? एक्सपर्ट बता रहे फायदे और नुकसान

Crash Dieting Risks: क्रैश डाइट से तेजी से वेट लॉस होता है पर क्या ये सभी कर सकते हैं?

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Crash Diet Risks And Benefits: आज के दौर में, हर कोई परफैक्‍ट फिगर और क्विक रिजल्‍ट चाहता है और यही वजह है कि क्रैश डाइट्स या फैन्‍सी डाइट्स का चलन बढ़ा है. हाल ही में डायरेक्टर-प्रोडूसर बोनी कपूर ने एक मीडिया इंटरव्यू में शेयर किया था कि उनकी पत्नी श्रीदेवी भी ग्लैमरस दिखने के लिए अक्सर खुद को भूखा रखती थीं. जिस कारण उन्हें अक्सर ब्लैकआउट का अनुभव होता था.

क्या क्रैश डाइट वजन घटाने का हेल्दी ऑप्शन है? क्रैश डाइट के दौरान क्या हो सकता है? क्‍या हैं क्रैश डाइट के रिस्क? क्रैश डाइट के फायदे क्‍या हैं? क्रैश डाइट किसे नहीं करना चाहिए? आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं एक्सपर्ट्स से.

क्या Crash Diet वजन घटाने का हेल्दी ऑप्शन है? एक्सपर्ट बता रहे फायदे और नुकसान

  1. 1. क्या क्रैश डाइट वजन घटाने का हेल्दी ऑप्शन है?

    "क्रैश डाइट दरअसल, तेजी से वेट लॉस का तरीका है. इसमें कैलोरी के सेवन को काफी सीमित किया जाता है जो तुरंत वेट लॉस में मदद करता है यानी क्रैश डाइट कम समय में शरीर का अतिरिक्‍त वजन घटाने का तरीका है. इसमें काफी लो-कैलोरी डाइट ली जाती है, जो तेजी से वेट लॉस कराती है."
    दीप्ति खटूजा, चीफ–क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, गुड़गांव

    बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की सीनियर क्लिनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट, ईशा वाधवा लूथरा फिट हिंदी से कहती हैं कि क्रैश डाइट वजन घटाने का न तो स्वस्थ और न ही टिकाऊ तरीका है. क्रैश डाइट से कम समय में वजन कम हो सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से हेल्दी नहीं है और न ही वेट मैनेजमेंट का लंबा समय तक चलने वाला उपाय है.

    "इस तरह की डाइट में आमतौर पर कैलोरी के सेवन को लेकर कड़े तौर-तरीके शामिल होते हैं और शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्‍वों के सेवन में भी कमी की जाती है, जिसका रिजल्ट यह होता है कि विटामिन की कमी हो सकती है, मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है और मैटाबॉलिज्‍़म भी धीमा पड़ जाता है."
    दीपाली शर्मा, क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट, सी के बिड़ला हॉस्पिटल (आर), दिल्‍ली

    इसके अलावा, क्रैश डाइट्स के साथ एक बड़ी दिक्‍कत यह होती है कि ये लोगों के वजन बढ़ने के बुनियादी कारणों की अनदेखी करती हैं, जैसे खानपान की कौन सी गलत आदतों की वजह से वजन बढ़ा है या पर्याप्‍त फिजिकल एक्टिविटी नहीं होने की वजह से ऐसा है.

    अक्‍सर होता यह है कि इस तरह की डाइट का पालन करने के दौरान लोगों का वजन घट जाता है लेकिन इन्‍हें छोड़ते ही कई बार पहले से ज्‍यादा वजन भी बढ़ सकता है.

    ऐसे में संतुलित सस्‍टेनेबल नीति अपनाना जरुरी होता है, जिसके लिए संतुलित खुराक और नियमित फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है, जो कि न सिर्फ लंबे समय के लिए कारगर साबित होती है बल्कि हेल्दी वेट लॉस में भी मदद करती है.

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  2. 2. क्रैश डाइट के दौरान क्‍या हो सकता है?

    "तेजी से वजन घटने से दर्दनाक गॉलब्लैडर की पथरी की आशंका बढ़ जाती है."
    डॉ. प्रियंका रोहतगी, चीफ न्यूट्रिशनिस्ट, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, नई दिल्ली

    अधिक मात्रा में कैलोरी रेस्ट्रिक्‍शन या क्रैश डाइटिंग शरीर पर कई तरह से नेगेटिव असर डालती है. सबसे पहले तो तेजी से वेट लॉस होता है, जो उन लोगों को अच्‍छा लग सकता है, जिन्‍हें कम समय में ज्‍यादा रिजल्ट चाहिए होते हैं. लेकिन शरीर को सीमित कैलोरी मिलने की वजह से इस ऑप्शन के चलते भूख लगती है, चिड़चिड़ाहट पैदा होती है और कंसंट्रेशन में भी कमी महसूस हो सकती है.

    "क्रैश डाइट्स की वजह से मांसपेशियां खत्‍म होने लगती हैं और फैट लॉस भी होता है, जिसके कारण शरीर में ताकत की कमी और मैटाबॉलिज्‍़म धीमा हो जाता है. इस प्रकार की डाइट का एक खराब असर यह होता है कि शरीर को जरूरी विटामिन और मिनिरल्‍स नहीं मिल पाते, जो कई तरह की हेल्थ प्रॉब्‍लम्‍स का कारण बन सकता है."
    दीपाली शर्मा, क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट, सी के बिड़ला हॉस्पिटल (आर), दिल्‍ली
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  3. 3. क्‍या हैं क्रैश डाइट के रिस्क?

    क्रैश डाइटिंग के कई जोखिम हैं. सबसे पहले, अधिक कैलोरी रेस्ट्रिक्‍शन के कारण आप खुद को हमेशा भूखा महसूस करते हैं, जो मानसिक और भावनात्‍मक रूप से तनावपूर्ण हो सकता है और डाइटिंग की अविध खत्‍म होने के बाद, बिंज ईटिंग का भी खतरा बना रहता है.

    ये हैं एक्सपर्ट्स के बताए क्रैश डायटिंग के कुछ रिस्क्स:

    • अन्हेल्थी वेट लॉस और जल्‍दी थकान लगना

    • कुछ खास फूड्स और फूड्स ग्रुप्‍स को डाइट से हटाने के कारण विटामिनों और मिनिरल्‍स की कमी होती है, जिससे इम्युनिटी कमजोर होती है.

    • ब्रेन फंक्‍शन प्रभावित होता है

    • अटेंशन और कन्‍सन्‍ट्रेशन में कमी (जो कि दिन के समय कार्बोहाइड्रेट्स के कम सेवन या ब्रेकफास्‍ट नहीं लेने की वजह से होता है)

    • फूड डिसऑर्डर

    • इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन

    • सुस्त मेटाबॉलिज्‍़म

    • एंग्‍जाइटी, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन

    • टिश्‍यू ग्‍लाइकोजेन और मसल प्रोटीन की कमी, जिसके कारण शरीर में ताकत और स्‍टेमिना घटता है

    • हडि्डयों में कमजोरी

    • बाल झड़ना

    • यो-यो इफेक्‍ट (नॉर्मल खानपान शुरू करते ही घटाया हुआ वजन वापस आ जाता है)

    • समय से पहले एजिंग

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  4. 4. क्रैश डाइट के फायदे क्‍या हैं?

    क्रैश डाइट को आम तौर पर हतोत्साहित किया जाता है. उसके कुछ टेम्पररी लाभ हो सकते हैं, जैसे कुछ खास स्थितियों में वजन कम करना, कुछ मेडिकल प्रक्रियाओं के लिए तैयारी या कुछ समय के लिये वजन लक्ष्यों को पूरा करना. हालांकि, क्रैश डाइट के खतरे और नेगेटिव हेल्थ प्रभाव अक्सर फायदों से अधिक होते हैं.

    "क्रैश डाइटिंग किसी के लिए भी आदर्श नहीं होती. दरअसल, कुछ भी क्विक फिक्‍स नहीं होता. आपको हेल्दी तरीके से वेट लॉस और कम किए गए वजन को दूर रखने के लिए (मेंटीनेंस ऑफ लॉस्‍ट वेट) अपनी लाइफस्‍टाइल में बदलाव लाने होते हैं, जिनमें हेल्दी खानपान, स्ट्रेस मैनेजमेंट और रैगुलर फिजिकल एक्टिविटी को शामिल करना जरूरी है. आपको सप्‍ताह में 5 से 6 बार इनका पालन करना जरूरी है."
    दीप्ति खटूजा, चीफ–क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, गुड़गांव

    क्रैश डायटिंग के कुछ फायदे ये हैं:

    • तेजी से वेट लॉस होता है

    • यह तुरंत संतुष्टि देता है

    • कुछ तरह की सर्जरी से पहले ऐसा करना फायदेमंद हो सकता है (लेकिन डॉक्टर से इस बारे में सहमति लेनी चाहिए)

    • कम खर्चीला हो सकता

    कई बार कुछ खास तरह की सर्जरी से पहले (प्री-ऑपरेटिव) क्रैश डाइट की सलाह दी जाती है लेकिन निर्धारित पीरियड के लिए आपको क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट की देखरेख में इसे करना चाहिए.
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  5. 5. क्रैश डाइट किसे नहीं करना चाहिए?

    "क्रैश डाइट का सहारा लेने के बजाय टिकाऊ, संतुलित और स्वस्थ खाने की आदतों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है."
    ईशा वाधवा लूथरा, सीनियर क्लिनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट- बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल

    क्रैश डाइट आमतौर पर किसी के लिए भी रिकमेंडेड नहीं होता है लेकिन कुछ लोगों को इसे करने से खास तौर पर बचना चाहिये.

    • मेडिकल समस्या से जूझ रहे लोग: क्रैश डाइट शरीर पर अतिरिक्त प्रेशर डाल सकता है, जो डायबिटीज, हेल्थ प्रॉब्लम या फूड डिसऑर्डर जैसी मेडिकल कंडीशन वाले लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है.

    • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं: गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान मां और बच्चे दोनों के healहेल्थ को सपोर्ट करने के लिए पर्याप्त पोषण महत्वपूर्ण है. क्रैश डाइटिंग उन्हें आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित कर सकती है.

    • एथलीट या हाई शारीरिक गतिविधि के स्तर वाले: जो लोग नियमित फिजिकल एक्टिविटी से जुड़े होते हैं, उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने और ठीक होने के लिए पर्याप्त ऊर्जा और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. क्रैश डाइट से कमजोरी और खराब प्रदर्शन हो सकता है.

    • बच्चे और किशोर: युवा बढ़ रहे हैं और विकसित हो रहे होते हैं और उन्हें उचित विकास और संज्ञानात्मक विकास के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता है. क्रैश डाइट इन प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप कर सकती है.

    • बुजुर्ग व्यक्ति: बुजुर्गों को पहले से ही पोषक तत्वों की कमी का खतरा हो सकता है और क्रैश डाइट इस मुद्दे को बढ़ा सकती है, जिससे कमजोरी और दूसरी हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं.

    • फूड डिसऑर्डर के इतिहास वाले व्यक्ति: क्रैश डाइट एनोरेक्सिया नर्वोसा या बुलिमिया जैसे खाने के विकारों को ट्रिगर या खराब कर सकती है.

    क्रैश डाइट का सहारा लेने के बजाय टिकाऊ, संतुलित और स्वस्थ खाने की आदतों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे अक्सर थोड़े समय के रिजल्ट और संभावित लौंग टर्म हेल्थ रिस्क्स का कारण बनते हैं.

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क्या क्रैश डाइट वजन घटाने का हेल्दी ऑप्शन है?

"क्रैश डाइट दरअसल, तेजी से वेट लॉस का तरीका है. इसमें कैलोरी के सेवन को काफी सीमित किया जाता है जो तुरंत वेट लॉस में मदद करता है यानी क्रैश डाइट कम समय में शरीर का अतिरिक्‍त वजन घटाने का तरीका है. इसमें काफी लो-कैलोरी डाइट ली जाती है, जो तेजी से वेट लॉस कराती है."
दीप्ति खटूजा, चीफ–क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, गुड़गांव

बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की सीनियर क्लिनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट, ईशा वाधवा लूथरा फिट हिंदी से कहती हैं कि क्रैश डाइट वजन घटाने का न तो स्वस्थ और न ही टिकाऊ तरीका है. क्रैश डाइट से कम समय में वजन कम हो सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से हेल्दी नहीं है और न ही वेट मैनेजमेंट का लंबा समय तक चलने वाला उपाय है.

"इस तरह की डाइट में आमतौर पर कैलोरी के सेवन को लेकर कड़े तौर-तरीके शामिल होते हैं और शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्‍वों के सेवन में भी कमी की जाती है, जिसका रिजल्ट यह होता है कि विटामिन की कमी हो सकती है, मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है और मैटाबॉलिज्‍़म भी धीमा पड़ जाता है."
दीपाली शर्मा, क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट, सी के बिड़ला हॉस्पिटल (आर), दिल्‍ली

इसके अलावा, क्रैश डाइट्स के साथ एक बड़ी दिक्‍कत यह होती है कि ये लोगों के वजन बढ़ने के बुनियादी कारणों की अनदेखी करती हैं, जैसे खानपान की कौन सी गलत आदतों की वजह से वजन बढ़ा है या पर्याप्‍त फिजिकल एक्टिविटी नहीं होने की वजह से ऐसा है.

अक्‍सर होता यह है कि इस तरह की डाइट का पालन करने के दौरान लोगों का वजन घट जाता है लेकिन इन्‍हें छोड़ते ही कई बार पहले से ज्‍यादा वजन भी बढ़ सकता है.

ऐसे में संतुलित सस्‍टेनेबल नीति अपनाना जरुरी होता है, जिसके लिए संतुलित खुराक और नियमित फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है, जो कि न सिर्फ लंबे समय के लिए कारगर साबित होती है बल्कि हेल्दी वेट लॉस में भी मदद करती है.

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क्रैश डाइट के दौरान क्‍या हो सकता है?

"तेजी से वजन घटने से दर्दनाक गॉलब्लैडर की पथरी की आशंका बढ़ जाती है."
डॉ. प्रियंका रोहतगी, चीफ न्यूट्रिशनिस्ट, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, नई दिल्ली

अधिक मात्रा में कैलोरी रेस्ट्रिक्‍शन या क्रैश डाइटिंग शरीर पर कई तरह से नेगेटिव असर डालती है. सबसे पहले तो तेजी से वेट लॉस होता है, जो उन लोगों को अच्‍छा लग सकता है, जिन्‍हें कम समय में ज्‍यादा रिजल्ट चाहिए होते हैं. लेकिन शरीर को सीमित कैलोरी मिलने की वजह से इस ऑप्शन के चलते भूख लगती है, चिड़चिड़ाहट पैदा होती है और कंसंट्रेशन में भी कमी महसूस हो सकती है.

"क्रैश डाइट्स की वजह से मांसपेशियां खत्‍म होने लगती हैं और फैट लॉस भी होता है, जिसके कारण शरीर में ताकत की कमी और मैटाबॉलिज्‍़म धीमा हो जाता है. इस प्रकार की डाइट का एक खराब असर यह होता है कि शरीर को जरूरी विटामिन और मिनिरल्‍स नहीं मिल पाते, जो कई तरह की हेल्थ प्रॉब्‍लम्‍स का कारण बन सकता है."
दीपाली शर्मा, क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट, सी के बिड़ला हॉस्पिटल (आर), दिल्‍ली
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क्‍या हैं क्रैश डाइट के रिस्क?

क्रैश डाइटिंग के कई जोखिम हैं. सबसे पहले, अधिक कैलोरी रेस्ट्रिक्‍शन के कारण आप खुद को हमेशा भूखा महसूस करते हैं, जो मानसिक और भावनात्‍मक रूप से तनावपूर्ण हो सकता है और डाइटिंग की अविध खत्‍म होने के बाद, बिंज ईटिंग का भी खतरा बना रहता है.

ये हैं एक्सपर्ट्स के बताए क्रैश डायटिंग के कुछ रिस्क्स:

  • अन्हेल्थी वेट लॉस और जल्‍दी थकान लगना

  • कुछ खास फूड्स और फूड्स ग्रुप्‍स को डाइट से हटाने के कारण विटामिनों और मिनिरल्‍स की कमी होती है, जिससे इम्युनिटी कमजोर होती है.

  • ब्रेन फंक्‍शन प्रभावित होता है

  • अटेंशन और कन्‍सन्‍ट्रेशन में कमी (जो कि दिन के समय कार्बोहाइड्रेट्स के कम सेवन या ब्रेकफास्‍ट नहीं लेने की वजह से होता है)

  • फूड डिसऑर्डर

  • इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन

  • सुस्त मेटाबॉलिज्‍़म

  • एंग्‍जाइटी, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन

  • टिश्‍यू ग्‍लाइकोजेन और मसल प्रोटीन की कमी, जिसके कारण शरीर में ताकत और स्‍टेमिना घटता है

  • हडि्डयों में कमजोरी

  • बाल झड़ना

  • यो-यो इफेक्‍ट (नॉर्मल खानपान शुरू करते ही घटाया हुआ वजन वापस आ जाता है)

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क्रैश डाइट के फायदे क्‍या हैं?

क्रैश डाइट को आम तौर पर हतोत्साहित किया जाता है. उसके कुछ टेम्पररी लाभ हो सकते हैं, जैसे कुछ खास स्थितियों में वजन कम करना, कुछ मेडिकल प्रक्रियाओं के लिए तैयारी या कुछ समय के लिये वजन लक्ष्यों को पूरा करना. हालांकि, क्रैश डाइट के खतरे और नेगेटिव हेल्थ प्रभाव अक्सर फायदों से अधिक होते हैं.

"क्रैश डाइटिंग किसी के लिए भी आदर्श नहीं होती. दरअसल, कुछ भी क्विक फिक्‍स नहीं होता. आपको हेल्दी तरीके से वेट लॉस और कम किए गए वजन को दूर रखने के लिए (मेंटीनेंस ऑफ लॉस्‍ट वेट) अपनी लाइफस्‍टाइल में बदलाव लाने होते हैं, जिनमें हेल्दी खानपान, स्ट्रेस मैनेजमेंट और रैगुलर फिजिकल एक्टिविटी को शामिल करना जरूरी है. आपको सप्‍ताह में 5 से 6 बार इनका पालन करना जरूरी है."
दीप्ति खटूजा, चीफ–क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, गुड़गांव

क्रैश डायटिंग के कुछ फायदे ये हैं:

  • तेजी से वेट लॉस होता है

  • यह तुरंत संतुष्टि देता है

  • कुछ तरह की सर्जरी से पहले ऐसा करना फायदेमंद हो सकता है (लेकिन डॉक्टर से इस बारे में सहमति लेनी चाहिए)

  • कम खर्चीला हो सकता

कई बार कुछ खास तरह की सर्जरी से पहले (प्री-ऑपरेटिव) क्रैश डाइट की सलाह दी जाती है लेकिन निर्धारित पीरियड के लिए आपको क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट की देखरेख में इसे करना चाहिए.
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क्रैश डाइट किसे नहीं करना चाहिए?

"क्रैश डाइट का सहारा लेने के बजाय टिकाऊ, संतुलित और स्वस्थ खाने की आदतों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है."
ईशा वाधवा लूथरा, सीनियर क्लिनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट- बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल

क्रैश डाइट आमतौर पर किसी के लिए भी रिकमेंडेड नहीं होता है लेकिन कुछ लोगों को इसे करने से खास तौर पर बचना चाहिये.

  • मेडिकल समस्या से जूझ रहे लोग: क्रैश डाइट शरीर पर अतिरिक्त प्रेशर डाल सकता है, जो डायबिटीज, हेल्थ प्रॉब्लम या फूड डिसऑर्डर जैसी मेडिकल कंडीशन वाले लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है.

  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं: गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान मां और बच्चे दोनों के healहेल्थ को सपोर्ट करने के लिए पर्याप्त पोषण महत्वपूर्ण है. क्रैश डाइटिंग उन्हें आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित कर सकती है.

  • एथलीट या हाई शारीरिक गतिविधि के स्तर वाले: जो लोग नियमित फिजिकल एक्टिविटी से जुड़े होते हैं, उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने और ठीक होने के लिए पर्याप्त ऊर्जा और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. क्रैश डाइट से कमजोरी और खराब प्रदर्शन हो सकता है.

  • बच्चे और किशोर: युवा बढ़ रहे हैं और विकसित हो रहे होते हैं और उन्हें उचित विकास और संज्ञानात्मक विकास के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता है. क्रैश डाइट इन प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप कर सकती है.

  • बुजुर्ग व्यक्ति: बुजुर्गों को पहले से ही पोषक तत्वों की कमी का खतरा हो सकता है और क्रैश डाइट इस मुद्दे को बढ़ा सकती है, जिससे कमजोरी और दूसरी हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं.

  • फूड डिसऑर्डर के इतिहास वाले व्यक्ति: क्रैश डाइट एनोरेक्सिया नर्वोसा या बुलिमिया जैसे खाने के विकारों को ट्रिगर या खराब कर सकती है.

क्रैश डाइट का सहारा लेने के बजाय टिकाऊ, संतुलित और स्वस्थ खाने की आदतों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे अक्सर थोड़े समय के रिजल्ट और संभावित लौंग टर्म हेल्थ रिस्क्स का कारण बनते हैं.

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