ADVERTISEMENT

Monkeypox Vaccine India: मंकीपॉक्स से जंग में भारतीय वैज्ञानिकों को अहम कामयाबी

भारत ने मंकीपॉक्स वायरस को किया अलग, टीकों की ओर पहला कदम

Published
फिट
3 min read
Monkeypox Vaccine India: मंकीपॉक्स से जंग में भारतीय वैज्ञानिकों को अहम कामयाबी
i

रोज का डोज

निडर, सच्ची, और असरदार खबरों के लिए

By subscribing you agree to our Privacy Policy

भारत में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच आई एक बड़ी खबर. ICMR के तहत पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने मंकीपॉक्स के वायरस को आइसोलेट करने में कामयाबी पाई है. NIV के वैज्ञानिकों के हाथ लगी इस बड़ी सफलता को मंकीपॉक्स वैक्सीन की दिशा में मजबूत कदम बताया जा रहा है. बाकी दुनिया में भी मंकीपॉक्स के खिलाफ दिन रात रिसर्च चल रही है और कुछ अच्छी खबरें आई हैं.

ADVERTISEMENT

वायरस को अलग करना कितनी बड़ी बात है?

भारतीय वैज्ञानिकों ने एक मरीज के नमूने से मंकीपॉक्स वायरस को सफलतापूर्वक अलग कर बीमारी के खिलाफ टेस्ट किट और टीकाकरण पर काम शुरू करने का रास्ता खोल दिया है.

भारत की ओर से वैक्सीन को अलग किए जाने के साथ ही ICMR ने वैक्सीन डिवेलप्मेंट और जांच किट बनाने में संयुक्त सहयोग के लिए अनुभवी वैक्सीन निर्माताओं, फार्मा कंपनियों, रिसर्च और डिवेलप्मेंट इन्स्टिटूशन और इन-विट्रो डायग्नोस्टिक (आईवीडी) किट निर्माताओं से ईओआई (EOI) यानी एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट भी आमंत्रित किया है.

यह खबर भारत में मंकीपॉक्स के 4 कन्फर्म्ड मामलों के सामने आने के बाद आयी है.

क्या कहती हैं NIV की वैज्ञानिक?

NIV की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने कहा कि वायरस को अलग करना कई अन्य दिशाओं में रिसर्च और डिवेलप्मेंट करने की भारत की क्षमता को बढ़ाता है.

पीटीआई से डॉ. यादव ने कहा कि NIV ने एक मरीज के जांच नमूने से मंकीपॉक्स वायरस को सफलतापूर्वक अलग कर दिया है, जो भविष्य में डायग्नोस्टिक किट और टीके के विकास में मदद कर सकता है.

वो आगे कहती हैं कि हाल के प्रकोप ने कई देशों को प्रभावित किया है, जिससे चिंताजनक स्थिति पैदा हुई है, जो पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन के कारण है. पहले सामने आए कांगो स्ट्रेन की तुलना में कम गंभीर है. भारत में सामने आए मामले भी कम गंभीर और पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन से जुड़े हैं.

दुनिया में मंकीपॉक्स के मामले

WHO के अनुसार, अब तक 74 देशों में मंकीपॉक्स के लगभग 17,000 मामले सामने आए हैं. यह बीमारी मार्च 2022 में स्वास्थ्य अधिकारियों के रडार पर आई.

वर्ष की शुरुआत यानी जब इस साल इसका प्रकोप शुरू हुआ उसके बाद से अब तक 5 मौतें दर्ज की गई हैं. हालांकि WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स का जोखिम वैश्विक स्तर पर मध्यम है.

मंकीपॉक्स वायरस, दो अलग-अलग जेनेटिक समूहों-मध्य अफ्रीकी (कांगो बेसिन) क्लैड और पश्चिम अफ्रीकी क्लैड के साथ एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है.

ADVERTISEMENT

भारत में मंकीपॉक्स के मामले

मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए WHO ने 23 जुलाई को मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया था. वहीं 15 जुलाई को भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मंकीपॉक्स के भारत में मामले सामने आने पर गाइडलाइन जारी की थी.

यह भारत में मंकीपॉक्स के पहले पुष्ट मामले के बाद जारी किया गया था.

अभी तक इसके 4 कन्फर्म्ड मामले मिले हैं. 3 केरल में और 1 दिल्ली में.

केंद्र सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू करने में राज्य के अधिकारियों के साथ सहयोग करने के लिए केरल में एक उच्च-स्तरीय टीम भेजी.

केरल राज्य सरकार ने सभी 14 जिलों में अलर्ट जारी कर दिया है और इसके चारों हवाई अड्डों पर हेल्प डेस्क शुरू कर दी गई है.

भारत सरकार का दिशानिर्देश

भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के गाइडलाइन के अनुसार, जिन लोगों को चकत्तों के साथ बुखार हो रहा है, उन्हें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, अगर वो,

  • वे ऐसे लोगों के संपर्क में आए हैं, जिन्हें मंकीपॉक्स हुआ हो

  • वे उन क्षेत्रों में रहते हैं, जहां मंकीपॉक्स का पता चला है

गाइडलाइन यात्रा करने वालों को इन बातों से बचने को कहता है:

  • बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क, खासकर अगर उन्हें त्वचा के घाव हैं

  • जंगली जानवरों, विशेष रूप से चूहों (rodents) और प्राइमेट्स (primates) के साथ निकट संपर्क

  • जंगली जानवरों का मांस खाना

  • बीमार लोगों द्वारा उपयोग की गई दूषित सामग्री के साथ निकट संपर्क

ADVERTISEMENT

बाकी दुनिया में क्या हो रहा है

COVID के विपरीत, इस बार हम जानते हैं कि हम किससे निपट रहे हैं. हम जानते हैं कि यह कैसे फैलता है और हमारे पास पहले से ही टीके हैं.

दुनिया भर में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों ने हालात को बिगड़ने नहीं देने के लिए सारे एहतियाती कदम समय-समय पर उठाए हैं.

यूएस और यूके में मंकीपॉक्स के खिलाफ टीकाकरण शुरू है.

अभी तक यह पाया गया है कि चेचक के टीके मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी हैं. हालांकि, जब 1980 में चेचक बीमारी के खत्म होते ही, टीके भी बंद कर दिए गए थे.

फिलहाल, मंकीपॉक्स के लिए यूएस एफडीए ने 2 टीके अप्रूव किए हैं. वो हैं ACAM2000, JYNNEOS.

कई देशों ने शुरुआत में ही उच्च जोखिम वाले रोगियों को चेचक के टीके देना और वैक्सीन को स्टॉक करके रखना शुरू कर दिया था.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

ADVERTISEMENT
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
0
3 माह
12 माह
12 माह
मेंबर बनने के फायदे
अधिक पढ़ें
ADVERTISEMENT
क्विंट हिंदी के साथ रहें अपडेट

सब्स्क्राइब कीजिए हमारा डेली न्यूजलेटर और पाइए खबरें आपके इनबॉक्स में

120,000 से अधिक ग्राहक जुड़ें!
ADVERTISEMENT
और खबरें
×
×