World Malaria Day 2022: दुनिया भर में हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया (Malaria) दिवस यानी कि वर्ल्ड मलेरिया डे मनाया जाता है. यह दिन मलेरिया (Malaria) के लक्षण, प्रकार, बचाव और इलाज बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है.
दुनिया भर में भारत और ऐसे कई देश हैं, जो मच्छर के काटने से होने वाली इस जानलेवा बीमारी 'मलेरिया' (Malaria) से लड़ रहे हैं.
मलेरिया (Malaria) एक नहीं बल्कि 5 प्रकार का होता है. आईए डॉक्टरों से जानते हैं, मलेरिया (Malaria) के प्रकार और उनसे बचने के उपायों के बारे में.
क्या है मलेरिया?
मलेरिया (Malaria) बुखार मच्छरों से होने वाला एक तरह का संक्रामक रोग है. जो फीमेल एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है. इस मादा मच्छर में खास तरह का परजीवी (Parasite) पाया जाता है, जिसे प्लाज्मोडियम वीवेक्स कहते हैं. मलेरिया (Malaria) फैलाने वाली इन मादा मच्छरों में जीवाणु की 5 जातियां होती हैं.
मलेरिया (Malaria) बीमारी गर्मी और बारिश के मौसम में अधिक देखने को मिलती है.
मलेरिया (Malaria) का मच्छर स्थिर और गंदे पानी में पनपता है, वही डेंगी का मच्छर ताजे पानी में.
“मलेरिया किसी को भी हो सकता है और एक से ज्यादा बार भी हो सकता है. जिन जगहों पर जल-जमाव होता है, वहां मलेरिया बीमारी बड़ी संख्या में होने की संभावना बनी रहती है. खास कर गर्म और उमस भरा वातावरण मलेरिया के मच्छरों को पनपने में मदद करता है.”डॉ देवनाथ झा, सीनियर कंसल्टेंट, इंटर्नल मेडिसिन, बत्रा हॉस्पिटल, दिल्ली
फीमेल एनोफिलीज मच्छर के काटते ही व्यक्ति के शरीर में प्लाज्मोडियम नामक जीवाणु प्रवेश कर जाता है और रोगी के शरीर में पहुंचते ही कई गुना बढ़ने लग जाता है. यह जीवाणु लिवर और ब्लड सेल्ज को संक्रमित करके व्यक्ति को बीमार बना देता है. सही समय पर इलाज न मिलने पर यह रोग जानलेवा भी हो सकता है.
“मलेरिया को केवल एक बुखार की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो ये जानलेवा भी साबित हो सकता है.”डॉ. अंकिता बैद्य, कंसल्टेंट, इन्फेक्शस डिजीज, एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल, द्वारका
मलेरिया के लक्षण
“COVID की वजह से बीते 2 सालों में मलेरिया के ऐसे कई मामले हमारे सामने आए, जिसमें सही इलाज देर से शुरू किया गया. शुरुआती लक्षणों को देख कर मरीज या उनके परिवार वाले कोविड समझ बैठे थे.”डॉ. अंकिता बैद्य, कंसल्टेंट, इन्फेक्शस डिजीज, एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल, द्वारका
“मलेरिया (Malaria) में ठंड के साथ तेज बुखार आता है. इस तरह के बुखार में एक पैटर्न देखने को मिलता है. 24 घंटे में या 48 घंटे में बुखार देखने को मिलता है. ऐसा इसलिए, जो मलेरिया के जीवाणु होते हैं, वो समय-समय पर रिलीज होते हैं. मरीज के लिवर से ब्लड में और उसके बाद वो ब्लड के सेल्ज को इंफेक्ट करते हुए वहां से एक तरह का टॉक्सिन बनाते हुए निकलते हैं. जिससे कंपन के साथ बुखार आता है" ये बताया एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल की डॉ. अंकिता बैद्य ने.
यह हैं डॉक्टर के बताए लक्षण:
ठंड लगना
सिरदर्द
बदन दर्द
पसीना आना
मांसपेशियों में दर्द होना
उल्टी होना
जी मचलाना
कमजोरी
“बीमारी के सारे लक्षणों को आने में समय लगता है. बिना टेस्ट के बीमारी का पता लगाना मुश्किल है क्योंकि अक्सर कई बीमारियों के शुरुआती लक्षण आपस में मिलते जुलते हैं. मलेरिया में प्लेटेलेट गिरते हैं, पर सही इलाज के साथ जल्दी ही सुधार भी आ जाता है, पर डेंगी में ऐसा नहीं होता है.”डॉ देवनाथ झा, सीनियर कंसल्टेंट, इंटर्नल मेडिसिन, बत्रा हॉस्पिटल, दिल्ली
मलेरिया के प्रकार
मलेरिया (Malaria) 5 प्रकार का होता है.
प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (P. Falciparum)
इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति एकदम बेसुध हो जाता है. मरीज को बहुत ठंड लगने के साथ-साथ सरदर्द भी रहता है. लगातार उल्टियां होने से इस बुखार में उसकी जान भी जा सकती है. दुनिया भर में मलेरिया से होने वाली मौत में सबसे ज्यादा प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम मलेरिया के मरीज होते हैं.
कॉम्प्लिकेटेड मलेरिया होने पर पीलिया या लिवर में समस्या, किडनी में समस्या, खून की कमी हो सकती है.
सोडियम विवैक्स (P. Vivax)
लोगों में यह मलेरिया बुखार सबसे ज्यादा देखने को मिलता है. यह पैरासाइट ज्यादातर दिन के समय काटता है. बिनाइन टर्शियन मलेरिया पैदा करता है, जो हर तीसरे दिन यानी कि 48 घंटों के बाद अपना असर दिखाना शुरू करता है. इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को सिर दर्द, कमर दर्द, हाथों और पैरों में दर्द, भूख न लगने के साथ तेज बुखार भी रहता है.
“मलेरिया ब्लड में बदलाव भी करता है, जिससे मरीज का प्लेटेलेट गिरने लगता है. कभी-कभी दिमागी मलेरिया भी हो जाता है, जो बहुत ही खतरनाक रूप है मलेरिया का.”डॉ. अंकिता बैद्य, कंसल्टेंट, इन्फेक्शस डिजीज, एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल, द्वारका
प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया (P. Ovale)
प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया बिनाइन टर्शियन मलेरिया उत्पन्न करता है और असामान्य होता है. यह सालों तक व्यक्ति के लिवर में रह सकता है.
प्लास्मोडियम मलेरिया (P. malariae)
प्लास्मोडियम मलेरिया एक प्रकार का प्रोटोजोआ है, जो बेनाइन मलेरिया के लिए जिम्मेदार होता है. मलेरिया का ये प्रकार, प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम या प्लास्मोडियम विवैक्स जितना खतरनाक नहीं होता. इस बीमारी में क्वार्टन मलेरिया उत्पन्न होता है, जिसमें मरीज को हर चौथे दिन बुखार आ जाता है. साथ ही मरीज के यूरिन से प्रोटीन निकलने लगता है. जिसकी वजह से रोगी के शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है और शरीर में सूजन आ जाती है.
प्लास्मोडियम नोलेसी ( P. knowlesi)
मलेरिया (Malaria) का यह प्रकार पूर्व एशिया में पाया जाने वाला एक प्राइमेट मलेरिया परजीवी है. इसमें मरीज को ठंड लगने के साथ बुखार रहता है. इसके लक्षण में ठंड के साथ बुखार, सिर दर्द, भूख न लगना जैसी परेशानियां देखने को मिलती है.
मलेरिया (Malaria) के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं का उपयोग बहुत सोच समझ कर और केवल डॉक्टरों द्वारा ही किया जाना चाहिए.
मलेरिया से बचाव
फिट हिंदी को डॉ अंकिता बैद्य ने बताया, “मच्छरों से अपने परिवार को बचाएं. मलेरिया के मरीज को काटा हुआ मच्छर अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट ले, तो स्वस्थ व्यक्ति को मलेरिया होने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए मरीज को मच्छरों से बचाएं और मच्छरदानी या मच्छर भागने वाले यंत्रों का उपयोग जरुर करें".
लक्षणों का आभास होते ही डॉक्टर से संपर्क करें
मच्छरों को घर के अंदर या बाहर पनपने से रोकें
घर में या घर के बाहर पानी जमा न होने दें
बच्चों और बूढ़ों का विशेष रूप से ध्यान रखें
घर से बाहर पार्क में जाते समय मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें
मच्छरदानी में सोएं
घर के दरवाजे और खिड़कियों में मच्छर से बचाने वाली जाली लगाएं
शरीर के खुले हिस्से पर मॉसक्युटो रिप्लेंट लगाएं
घर के आसपास समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करवाते रहें
ऐसी कोई भी चीज जिससे मच्छर पैदा हो सकते हों उसे करने से बचें
बच्चों और बूढ़ों में जटिल और गंभीर मलेरिया (Malaria) होने की संभावना ज्यादा होती है. इसलिए उनमें मलेरिया नौजवानों के मुकाबले ज्यादा घातक साबित होता है.
दोनों विशेषज्ञों ने बताया कि देश में मलेरिया (Malaria) के खिलाफ अभियान चल रहे हैं.
मलेरिया (Malaria) की समस्या के रोकथाम के लिए सरकार NVBDC प्रोग्राम चला रही है, जिसमें आर्ट थेरपी और वेक्टर कंट्रोल यानी मच्छरों के पनपने की जगहों को पहचान कर खत्म करना शामिल है. समाज के लोगों को भी जिम्मेदारी उठानी होगी कि उनके आसपास स्वच्छता बनी रहे.
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