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RCB Vs KKR:ये कोलकाता बनाम बेंगलुरु नहीं,मौरिस और रसैल की लड़ाई है

बेंगलुरु की टीम ने मौरिस पर 10 करोड़ खर्च किए हैं, तो रसैल को 8.5 करोड़ मिलते हैं.

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कोलकाता (KKR) और बेंगलुरु (RCB) की टीमें बुधवार को जब टकराएंगी तो उनके ऑलराउंडर्स के खेल का असर मैच के नतीजे पर गहरा असर डाल सकता है. लेकिन, दोनों टीमों के अहम ऑलराउंडर्स का सफर अब तक के आईपीएल (IPL 2020) में बिल्कुल जुदा रहा है. अगर KKR के पास आंद्रे रसैल (Andre Russell) के तौर पर आईपीएल इतिहास का एक शानदार ऑलराउंडर है तो RCB के तरकश में क्रिस मौरिस (Chris Morris) जैसा तीर है जो मौजूदा सीजन में रसैल जैसा रोल अपनी टीम के लिए निभा रहा है.

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लेकिन, ये अजीब सा इत्तेफाक है कि अब तक इस सीजन में दोनों ऑलराउंडर को फिटनेस की समस्या से जूझना पड़ा है लेकिन दोनों ने इससे निपटने के लिए एकदम अलग रवैया अख्तियार किया है. अगर मौरिस ने पूरी तरह से फिट होने के लिए 5 मैचों का इतंजार किया तो रसैल जूझने के बावजूद हर मैच में किसी तरह से खेलते ही दिखे हैं. लेकिन, इसका अच्छी फिटनेस य उसकी कमी का असर इन दोनों के खेल पर भी दिखा है.

अगर मौरिस पूरी तरह से फिट होकर विराट कोहली के लिए गेंदबाजी आक्रमण को एक नई मजबूती दे रहे हैं, तो कोलकाता के लिए रसैल अपनी साख के साथ न्याय करने में नाकाम रहे हैं.

सिर्फ 4 मैच खेलकर ही मौरिस कोहली के टीम के दूसरे सबसे कामयाब गेंदबाज (9 विकेट) और सबसे किफायती गेंदबाज बन गए, तो रसैल ने कोलकता के लिए मंहगी इकनॉमी (करीब 10 रन प्रति ओवर) से सिर्फ 6 विकेट झटके हैं. अगर मौरिस ने अपनी विविधता से डेथ ओवर्स में बेंगलुरु में नई ऊर्जा भरी है, तो कोलकाता के पास विकल्पों की कमी के चलते रसैल का मजबूरन इस्तेमाल डेथ ओवर्स में करना पड़ा है. मौरिस ने मौके मिलने पर बल्ले से छोटी ही सही लेकिन एक तूफानी पारी (नाबाद 25) खेली है, तो रसैल 9 मैचों में 100(92 ही अब तक) रन भी नहीं बना पाए हैं.

बेंगलुरु की टीम ने मौरिस पर 10 करोड़ खर्च किए हैं, तो रसैल को 8.5 करोड़ मिलते हैं.

बेंगलुरु की टीम ने मौरिस पर 10 करोड़ खर्च किए हैं, तो रसैल को 8.5 करोड़ मिलते हैं. दोनों ही खिलाड़ी निर्णायक लम्हों में अपने बल्ले या गेंद के जौहर से किसी भी मैच का रुख बदल देते हैं. अगर रसैल अपना 8वां आईपीएल इस बार खेल रहे हैं तो मौरिस भी 7वां. रसैल का बल्लेबाजी स्ट्राइक रेट करीब 182 का है तो रसैल का करीब 162 का.

बहरहाल, मौजूदा संघर्ष के बावजूद रसैल किसी भी ड्रीम टीम में स्वभाविक चयन हो सकते हैं जबकि मौरिस को अब भी खुद को रसैल जैसी निरंतरता अपने खेल में लानी बाकी है. ऐसा पहली बार हो रहा है कि जहां रसैल के खेल में थोड़ी गिरावट दिख रही है, तो उसके मुकाबले मौरिस के खेल में जबरदस्त उछाल... और ये बात ना सिर्फ एक मैच बल्कि दोनों टीमों के लिए आईपीएल जीतने या हारने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है.

(20 साल से अधिक समय से क्रिकेट कवर करने वाले लेखक की सचिन तेंदुलकर पर पुस्तक ‘क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी’ बेस्ट सेलर रही है. ट्विटर पर @Vimalwa पर आप उनसे संपर्क कर सकते हैं.)

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