राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना एक महत्वपूर्ण कदम है. केजरीवाल सरकार शहर में इलेक्ट्रिक ऑटो को बढ़ावा दे रही है.
मैंने इनमें से कुछ ऑटो चालकों से उनके लिए इस कदम के फायदे और नुकसान को समझने के लिए बात की.
दक्षिण दिल्ली के कालकाजी इलाके में मेरी मुलाकात अजय वीर सिंह से हुई, जो लगभग 25 वर्षों से ऑटोरिक्शा चला रहे हैं. अब वह CNG ऑटो छोड़ कर इलेक्ट्रिक ऑटो चला रहे हैं.
"मुझे इलेक्ट्रिक ऑटो खरीदे हुए 10-15 दिन हो गए हैं. मैंने इसे 3.58 लाख रुपये में खरीदा है - 1 लाख रुपये डाउन पेमेंट किया था और 10,122 रुपये अगले 36 महीनों के लिए मेरा मासिक किस्त है. इस समय चार्जिंग मुफ्त है. पहले मैं कम से कम 300 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से CNG (Compressed Natural Gas) खरीदता था.अजय वीर सिंह, इलेक्ट्रिक ऑटो चालक
एक अन्य इलेक्ट्रिक ऑटो चालक, हरि शंकर प्रसाद, इलेक्ट्रिक वाहन के साथ अपने अनुभव से खुश लग रहे थे.
"मुझे इसे खरीदे हुए 15-20 दिन हो गए हैं. पिछले एक हफ्ते से मैं इसे नियमित रूप से चला रहा हूं और मुझे नहीं लगता कि यह किसी भी तरह से सीएनजी ऑटो से कम है. मुफ्त चार्जिंग के बारे में मुझे दो दिन पहले पता चला था. अगर मैं इसकी तुलना कमर्सिअल इलेक्ट्रिक मीटरों से करता हूं, तब भी चार्जिंग लागत सीएनजी से कम है. इसकी रखरखाव लागत भी कम है और कमाई सीएनजी ऑटो के समान है."हरि शंकर प्रसाद, इलेक्ट्रिक ऑटो चालक
हालांकि, ये ड्राइवर चार्जिंग स्टेशन की उपलब्धता और इलेक्ट्रिक ऑटो को चार्ज करने में लगने वाले समय के बारे में शिकायत करते हैं.
"चार्जिंग पॉइंट हैं लेकिन यह पूरी दिल्ली में नहीं है. दक्षिणी दिल्ली में कई चार्जिंग पॉइंट हैं लेकिन कई बार ये चार्जिंग पॉइंट में त्रुटियां रहती है. मैं नेहरू प्लेस में चार्ज कर रहा था, वहां बार-बार त्रुटियां आ रही थी. यमुना (पूर्वी दिल्ली) के दूसरी तरफ बहुत कम चार्जिंग स्टेशन है."अजय वीर सिंह, इलेक्ट्रिक ऑटो चालक
एक अन्य इलेक्ट्रिक ऑटो चालक वेद प्रकाश कहते हैं, "नकारात्मक पक्ष यह है कि इसे चार्ज होने में तीन घंटे लगते हैं. अगर यह 15-30 मिनट में हो जाता है, तो यह बहुत अच्छा होगा. इन तीन घंटों की कमाई प्रभावित होती है."
सीएनजी ऑटो से इलेक्ट्रिक में बदलना एक आसान प्रक्रिया नहीं लगती क्योंकि सीएनजी चलाने वालों की अपनी चिंताएं हैं.
सीएनजी ऑटो चालक ब्रजेश कुमार, जिनसे मैं दक्षिण दिल्ली में मिली, ने कहा कि वह बदलना करना चाहते हैं लेकिन इसके लिए पैसे नहीं हैं.
"मैं बलना चाहूंगा, लेकिन मेरे पास पर्याप्त पैसा नहीं है. देखिए, न तो मेरे पास पैसे हैं और न ही मैं दिल्ली का निवासी हूं. मेरे पास यहां का निवास प्रमाण नहीं है. मेरे सभी आईडी प्रमाण पत्र और ड्राइविंग लाइसेंस उत्तर प्रदेश का है."ब्रजेश कुमार, सीएनजी ऑटो चालक
सीएनजी ऑटो रिक्शा चलाने वाले नूर आलम, अपनी सीएनजी ऑटो को इलेक्ट्रिक में सबदलने से हिचकिचा रहे हैं.
"मैं इलेक्ट्रिक ऑटो में नहीं बदलना चाहूंगा, क्योंकि अगर बैटरी खराब हो जाती है तो इसके लिए 60,000 रुपये की आवश्यकता होगी और अगर हमारा सीएनजी ऑटो का इंजन खराब हो जाता है, तो इसकी कीमत केवल 10,000 रुपये है. हालांकि सीएनजी महंगा है, यह इलेक्ट्रिक ऑटो से बेहतर है क्योंकि मैं चार्जिंग स्टेशन कहां खोजूंगा. यह नई चीज है, इसी वजह है कि सरकार मुफ्त चार्जिंग स्टेशन प्रदान कर रही है. बाद में वे इस सुविधा को बंद कर सकते हैं."नूर आलम, सीएनजी ऑटो चालक
शहर में इलेक्ट्रिक ऑटो की निराशाजनक संख्या से पता चलता है कि ड्राइवर बदलाव के बारे में अनिश्चित हैं, हालांकि उनका मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन एक पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है लेकिन बदलाव में शामिल लागत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
इलेक्ट्रिक ऑटो चालक वेद प्रकाश ने कहा, "जब तक चार्जिंग की सुविधा मुफ्त है, यह बहुत अच्छा है. जब शुल्क लागू हो जाएंगे, तो हम देखेंगे कि यह कितना अच्छा या बुरा है."
आगे बढ़ते हुए, राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठाना बहुत जरूरी है जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग सही दिशा में एक कदम प्रतीत होता है. लेकिन कदम उठाने में सरकार को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे टिकाऊ हों और सभी हितधारकों का ध्यान रखा जाए.
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