हरियाणा के रोहतक में MBBS स्टूडेंट का बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में धरना प्रदर्शन पिछले 1 नवबंर से जारी है. वहीं MBBS स्टूडेंट की ओर से प्रदेश सरकार को दिए गए अल्टीमेटम की समय सीमा शुक्रवार को खत्म हो गई. इस माई रिपोर्ट में स्टूडेंट बता रहे हैं अपना दर्द.
MBBS छात्र क्यों कर रहे हैं विरोध -
MBBS छात्रों का कहना है कि हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के चलते छात्र पढ़ाई से पहले कर्ज में डूब जायेंगे. उन पर बॉन्ड पॉलिसी के नाम पर आर्थिक बोझ डाल दिया गया है. छात्र हर साल 10 लाख रुपये कहां से लायेगा.
PGIMS रोहतक की MBBS स्टूडेंट् नमिष्का खुराना का कहना है कि, 'सरकार और स्टूडेंट्स के बीच बैंक का क्या काम. 40 लाख एक साधारण परिवार के लिए बड़ी राशि होती है और साधारण परिवार के बच्चे सरकारी मेडिकल कॉलेज में इसीलिए आना चाहते हैं कि कम पैसों में डॉक्टर बन सके, लेकिन सरकार की ये पॉलिसी गरीब स्टूडेंट्स के सपने को चूर चूर कर दिया है.'
क्या है पूरा मामला
हरियाणा सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए एक नई पॉलिसी लागू की है. इसके तहत हर छात्र को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी अस्पतालों में ही कम से कम 7 साल सेवाएं देनी होंगी. ऐसा न करने पर छात्र को बॉन्ड के अनुसार 40 लाख रुपये सरकार को देने होंगे.
MBBS छात्रों की मांग क्या है-
बॉन्ड एग्रीमेंट में से बैंक की दखल अंदाजी पूरी तरह से खत्म की जाए.
साथ ही बॉन्ड सेवा की अवधि 7 साल से घटाकर अधिकतम 1 वर्ष की जाए.
ग्रेजुएशन के अधिकतम 2 महीने के अंदर सरकार MBBS ग्रेजुएट को नौकरी प्रदान करें.
40 लाख सेवा बॉन्ड राशि को घटाकर 5 लाख रुपए किया जाए
PG कोर्स (MD/MS) के बारे में स्थिति बिल्कुल साफ की जाएं.
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