पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा अपने हाल के इतिहास की सबसे भीषण बाढ़ की चपेट में है. जिसमें 1,300 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और करीब 33 मिलियन लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अब्दुल रहमान द्वारा बचाए गए एक बूढ़े व्यक्ति का कहना है, "हमारे घर नष्ट हो गए हैं. हमारा अनाज बर्बाद हो गया है. हम न तो अपने अनाज को बचा पाए और न ही अपने मवेशियों को."
मूसलाधार बारिश के कारण सिंधु नदी के उफान पर आने से हजारों घर बह गए हैं. पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान सबसे ज्यादा प्रभावित प्रांत हैं.
अल खिदमत फाउंडेशन (Al Khidmat Foundation) जैसे कुछ गैर सरकारी संगठन (NGO) और कई व्यक्ति बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के लिए आगे आए हैं.
"हम पंजाब के डेरा गाजी खान जिले में नारी जूनूबी और शुमाली गांव के पास हैं. यहां 98 फीसदी इलाका जलमग्न है. यहां स्थिति यह है कि हमने बुजुर्ग नागरिकों और मवेशियों को बचाया है. हमने लोगों का सामान निकाला है. यहां आपदा राहत कार्य किए जाने की जरूरत है. हम बुजुर्गों, बच्चों और माताओं की मदद के लिए जितना संभव हो उतना काम कर रहे हैं."अब्दुल रहमान, राहत और बचाव स्वयंसेवक
बलूचिस्तान के पहाड़ी इलाके भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं जहां बाढ़ से कई घर तबाह हो गए हैं.
हम बलूचिस्तान की स्थिति को समझने में असमर्थ थे क्योंकि प्रांत के कई इलाके दूर स्थित हैं. मैं बलूचिस्तान के मुस्लिम बाग जिले के एक गांव में बाढ़ से हुए नुकसान को देखने गया था.
मुस्लिम बाग के मुख्य शहर से महज 45 मिनट की दूरी पर गांव में कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं था और घरों की हालत तबाही की कहानी बयां कर रही थी.
"हम मुस्लिम बाग (बलूचिस्तान में) के एक दूरदराज के गांव में हैं, जिसे उर्गस के नाम से जाना जाता है. यह क्षेत्र पहाड़ों से घिरा हुआ है. इन पहाड़ों की घाटी में बसे सभी गांव बह गए हैं. कुछ पानी नदियों में चला है लेकिन अधिकांश ने घरों को नष्ट कर दिया है. ग्रामीणों को अपने परिवार के साथ भागने के लिए केवल 5 मिनट का समय मिला. खेतों में भी 4-5 फीट पानी है. इन लोगों का सामान भी पानी में बह गया है."डॉ मुश्ताक मंगत, अल खिदमत फाउंडेशन, पाकिस्तान
डॉ मंगत ने कहा कि, "गांव लगभग 6,000-7,000 फीट की ऊंचाई पर है. हम पहले से ही मौसम में ठंड महसूस कर रहे थे, इसलिए जब सर्दी आएगी, तो यहां ज्यादा ठंडा होगी. हम सरकार और अपने दोस्तों से अनुरोध कर रहे हैं कि वे हमारी मदद करें ताकि हम इन पीड़ितों की मदद कर सकें. हम जो कुछ भी कर सकते हैं हम कर रहे हैं. ये लोग मजबूत हैं, ईश्वर की इच्छा है, वे अपना जीवन फिर से शुरू करने में सक्षम होंगे."
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