भारत ने 26 फरवरी को पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर हमले में दावा किया था उसने बड़ी तादाद में आतंकियों को मार गिराया है. लेकिन न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने हाई-रेज्यूलेशन सेटेलाइट तस्वीरों के हवाला देकर उन दावों पर सवाल उठा दिया है.
हाई-रेज्यूलेशन सेटेलाइट तस्वीरों को रिव्यू करने के बाद रॉयटर्स ने पाया है कि उत्तरपूर्व के जिस इलाके को निशाना बनाने का दावा किया जा रहा है, वहां जैश-ए-मोहम्मद की ओर से चलाया जा रहा मदरसा अब भी मौजूद है.
प्लानेट लैब्स इंक की ओर से जारी तस्वीरों में यह दावा किया गया है कि 4 मार्च को यानी स्ट्राइक के 6 दिन बाद भी मदरसे की छह इमारतें वहीं दिख रही हैं. प्लानेट लैब्स इंक अमेरिका की सैन फ्रांसिस्को की कंपनी है.
अब तक एयर स्ट्राइक का कोई हाई-रेज्यूलेशन सेटेलाइट इमेज सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं था. लेकिन प्लानेट लैब्स इंक की ओर से जारी तस्वीरों में इमारतें साफ खड़ी दिख रही हैं. प्लानेट लैब्स इंक जो तस्वीरें मुहैया कराती हैं उनमें 72 सेंटीमीटर यानी 28 इंच तक के आकार तक की चीजों की डिटेल देखी जा सकती हैं.
रॉयटर्स का सवाल, क्या टार्गेट हुआ मिस?
अप्रैल 2018 में इस इमारत की तस्वीर ली गई थी. उस वक्त भी यह इमारत अच्छी खासी स्थिति में थी. उस वक्त बिल्डिंग की छत में कोई छेद नहीं था. अब जब एयर स्ट्राइक के बाद तस्वीरें आई हैं उसमें भी वह मदरसे की इमारत बरकरार है.
वेपन्स साइट्स और सिस्टम की सेटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषण के 15 साल का तजुर्बा रखने वाले जैफ्री लेविस का का कहना है कि तस्वीरों से साफ है जिस जगह पर एयर स्ट्राइक करने की बात कही जा रही है वहां जैश के मदरसे की इमारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. जैफ्री लेविस मिडिलबेरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में ईस्ट एशिया नॉन प्रोलिफेरेशन प्रोजेक्ट में डायरेक्टर हैं.
ये भी पढ़ें- बालाकोट में ढेर आतंकियों की संख्या पर सियासत, सबके अलग-अलग आंकड़े
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)