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एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा के खिलाफ NIA के पास क्या सबूत?

NIA को शक है कि मनसुख की हत्या का मास्टरमाइंड प्रदीप शर्मा है

Published
भारत
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एंटीलिया बम धमकी और मनसुख हिरेन मामले में NIA की जांच में बड़े खुलासे हो रहे हैं. सचिन वाझे के इर्द-गिर्द घूम रही चांज अब कई और बड़े पुलिस अधिकारियों तक पहुंच रही है. 17 जून की सुबह NIA की टीम ने पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा के घर छापेमारी की. मुंबई के अंधेरी में स्थित आवास में कई घंटों तक छानबीन चली. इसके बाद पूछताछ के लिए हिरासत में लिया और फिर शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया. दोपहर को प्रदीप शर्मा के साथ और दो लोगों को NIA की स्पेशल कोर्ट में पेश किया. जिसके बाद उन्हें 28 जून तक NIA कस्टडी में भेजा दिया गया.

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प्रदीप शर्मा NIA की रडार पर क्यों?

NIA सूत्रों की मानें तो अब तक मनसुख हिरेन हत्या मामले में सचिन वाझे को सूत्रधार माना जा रहा था. लेकिन जैसे जांच आगे बढ़ रही है NIA को शक है कि मनसुख की हत्या का मास्टरमाइंड प्रदीप शर्मा है. इससे जुड़े कुछ अहम सबूत होने का दावा NIA ने कोर्ट में किया है.

प्रदीप शर्मा को कुछ दिनों पहले NIA के दफ्तर में दो बार पूछताछ के लिए बुलाया गया था. लेकिन पुख्ता सबूत ना होने के कारण प्रदीप शर्मा को हिरासत में नहीं लिया गया. लेकिन हाल ही में हुई संतोष शेलार और आनंद यादव की गिरफ्तारी के बाद NIA ने प्रदीप शर्मा पर शिकंजा कसा. बताया जा रहा है कि संतोष शेलार ने अपने बयान में प्रदीप शर्मा का जिक्र किया है.
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बताया जा रहा है कि मनसुख हिरेन की हत्या की साजिश में प्रदीम शर्मा की अहम भूमिका थी. हत्या के लिए इस्तेमाल लाल रंग की टवेरा गाड़ी कुछ दिनों पहले NIA ने गोरेगांव से बरामद की. आरोप है कि ये गाड़ी प्रदीप शर्मा ने दी थी. साथ ही इस हत्या के लिए शर्मा ने बड़ी रकम भी दी थी. गाड़ी की फोरेंसिक जांच के बाद NIA के हाथ कुछ ऐसे सुराग लगे हैं जो प्रदीप शर्मा की तरफ इशारा कर रहे हैं. साथ ही मनसुख की हत्या के एक दिन पहले सचिन वाझे का मोबाइल लोकेशन शर्मा के घर के नजदीक अंधेरी इलाके में ट्रेस हुआ था. सीसीटीवी फुटेज में सचिन वाझे और विनायक शिंदे वर्ली-बांद्रा सी लिंक से अंधेरी की तरफ जाते हुए भी देखे गए.

दरअसल, सचिन वाझे और प्रदीप शर्मा पुराने सहकर्मी और किरीबी दोस्त हैं, ये बात छुपी नहीं है. लखनभैया एनकाउंटर मामले में प्रदीप शर्मा सहित उनकी पूरी टीम पर मुकदमा चला था. जिसमें सचिन वाझे के साथ पूर्व कॉन्स्टेबल विनायक शिंदे भी था. इसीलिए NIA की जांच में इस हत्या के कई तार जाकर प्रदीप शर्मा से मिलते नजर आ रहे हैं.
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कहां तक पहुंची NIA की जांच?

एंटीलिया केस और मनसुख हिरेन की मौत, ये दोनों मामले पहले लोकल पुलिस स्टेशन से क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) यानी सचिन वाझे को सौंपे गए थे. लेकिन विपक्ष के दबाव के बाद ATS ने जांच अपने हाथ में ले ली. मामला बढ़ने के बाद दोनों जांच NIA के दायरे में चली गई.

NIA ने सबसे पहले सचिन वाझे को गिरफ्तार कर लिया. वाझे की पूछताछ से मिली जानकारी के आधार पर NIA ने एंटीलिया केस और मनसुख हिरेन की हत्या के कई सबूत जुटाने की कोशिश की. हालांकि ज्यादातर सबूत मिटा दिए गए थे. लेकिन अब तक इस मामले में NIA ने वाझे के साथी निलंबित एपीआई रियाज काजी, सुनील माने, पूर्व कॉन्स्टेबल विनायक शिंदे, सट्टेबाज नरेश गोरे, संतोष शेलार और आनंद जाधव को गिरफ्तार कर लिया है.

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इनके दिए बयानों के आधार पर NIA ने इस मामले की कई अहम कड़ियां जोड़ ली हैं. मनसुख की हत्या में कौन शामिल था, कैसे और कहां हत्या की गई, किसने मदद की और साजिश किसने रची इन सब सवालों के जवाब तक NIA लगभग पहुंच चुकी है. साथ ही प्रदीप शर्मा के साथ संतोष शेलार, विनायक शिंदे और वाझे के करीबी रिश्ते भी इसे और पुख्ता बनाने में मदद कर रहे हैं. बस जुर्म को साबित करने के लिए NIA को कोर्ट में सबूत पेश करना होगा.

जांच किसकी तरफ कर रही है इशारा?

इस मामले की जांच में आई तेजी के बीच फिर एक बार विपक्षी बीजेपी नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने एक सनसनीखेज आरोप लगाया है. सोमैया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि,"मनसुख की हत्या के लिए इस्तेमाल हुई एक कार शिवसेना के कांदिवली के शाखा प्रमुख की है. इसी कार के जरिये इस हत्या के तार मंत्री अनिल परब तक पहुचेंगे." साथ ही प्रदीप शर्मा 2019 में शिवसेना की टिकिट पर नालासोपारा से चुनाव लड़ चुके है. इसके अलावा सचिन वाझे ने भी शिवसेना ज्वाइन की थी.

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बता दें कि NIA की हिरासत में सचिन वाझे ने एक लेटर बम दागा था. जिसमें पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख और ट्रांसपोर्ट मंत्री अनिल परब पर काफी गंभीर आरोप लगाए थे. उसके कुछ दिनों पहले पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परबीर सिंह ने भी एक लेटर के जरिए 100 करोड़ वसूली के आरोप लगाए. जिसके बाद इस पूरे वसूली कांड की सीबीआई जांच की मांग उठी.

जब ये मामला कोर्ट तक पहुंचा तो गृहमंत्री अनिल देशमुख को इस्तीफा देना पड़ा. अब मंत्री अनिल परब की भी अड़चने बढ़ती नजर आ रही हैं. विपक्ष एमवीए सरकार को पूरी तरह से घेर रही है. जिसके चलते आने वाले दिनों में सरकार की तरफ किस तरह से डैमेज कंट्रोल की कोशिशें होगी ये देखना काफी दिलचस्प होगा.

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