कनाडा (Canada) में पढ़ाई या वहां बसने का शौक रखने वालों के लिए बुरी खबर है. कनाडा सरकार बढ़ते आवास संकट और जीवनयापन की बढ़ती कीमतों के कारण अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आगमन पर रोक लगाने पर विचार कर रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले कुछ सालों में विदेशी लोगों की संख्या में भारी उछाल के कारण देश में आवास संकट पैदा हो गया है. कनाडा में जनसंख्या वृद्धि दर बहुत कम है, जिसके कारण वहां कामगारों की भारी कमी है. कनाडा सरकार हर साल लाखों छात्रों और मजदूरों को वीजा देती है, जिससे देश में कामगार लोगों की कमी न हो, लेकिन अब बाहरी लोगों के कारण देश के संसधानों पर दबाव पड़ने लगा है.
कनाडा दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की पढ़ाई के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है. हर साल लाखों छात्र पढ़ाई के लिए कनाडा जाते है. लेकिन अब शायद कनाडा जाकर पढ़ाई करने का सपना एक सपना ही रह जाए. ऐसी संभावना है कि कनाडा की सरकार अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आगमन पर रोक लगा सकती है. कनाडा के आप्रवासन (इमिग्रेशन) विशेषज्ञों के अनुसार, कनाडा की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा विदेशी छात्रों, गैर-स्थायी निवासियों और अस्थायी विदेशी श्रमिकों का है. सरकार का मानना है कि बाहरी लोगों के कारण देश में नई समस्याएं पैदा हो रही है जिसके कारण सरकार बाहरियों की संख्या कम करना चाहती है
जीवनयापन की बढ़ती लागत और आवास संकट से जूझ रही सरकार
पिछले सप्ताह आप्रवासन मंत्री मार्क मिलर ने कहा था कि वह देश में प्रवेश करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों और अस्थायी निवासियों की संख्या का बारीकी से विश्लेषण करेंगे, क्योंकि सरकार को आवास संकट और जीवनयापन की बढ़ती लागत पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने आगे कहा कि वह विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जिसमें परमिट में सुधार और गैर-स्थायी निवासियों की संख्या सीमित करना शामिल है.
मिलर ने भारत के बारे में भी टिप्पणी कि उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद के कारण पिछले साल भारतीय छात्रों को दिए जाने वाले परमिट की संख्या में चार प्रतिशत की गिरावट आई, लेकिन अभी भी कनाडा में सबसे बड़ा समूह भारतीय छात्रों का ही है. 2023 तक कनाडा में भारत से लगभग 330,000 नए अप्रवासी और छात्र रह रहे हैं.
पढ़ाई के बाद कनाडा में बसने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी
कनाडा के आप्रवासन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) के आंकड़ों के अनुसार देश में बसने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है. साल 2023 में 62,410 छात्र देश के स्थायी निवासी बन गए थे जबकि 2022 में ये आंकड़ा 52,740 था. सिर्फ एक साल में अंतरराष्ट्रीय स्नातकों में 9,670 की वृद्धि दर्ज की गई है.
हालंकि सरकार के अनुसार अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए कई रास्ते उपलब्ध हैं जिससे वो कनाडा के स्थायी निवासी बन सकते है. सबसे तेज और सरल एक्सप्रेस एंट्री प्रोग्राम है जिसके तहत हर साल हजारों लोग कनाडा में बसते है. कनाडा में स्थायी निवास लेने वालों में भारतीयों की हिस्सेदारी सबसे अधिक होती है.
अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है बाहरी लोग
कनाडा में जनसंख्या दर अन्य देशों के मुकाबले काफी काम है. जनसंख्या दर कम होने के कारण देशी की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है जिससे देश में कामगारों की भारी कमी है. कनाडा सरकार ने श्रम अंतराल को भरने के लिए आप्रवासियों के लिए अपने दरवाजे खोले थे लेकिन संख्या में उछाल ने देश के संसाधनों पर दबाव डाला जिसके कारण सरकार अब बैकफुट पर है.
मॉन्ट्रियल स्थित डेसजार्डिन्स सिक्योरिटीज ने सरकार को चेताया है कि कनाडा में अस्थायी श्रमिकों और विदेशी छात्रों के लिए दरवाजे बंद करने से देश में आर्थिक मंदी गहरा सकता है.
बाजार से जुड़ी कंपनियों ने भविष्यवाणी की है कि अगर विदेशियों के आवागमन पर रोक लगाया गया तो देश की वास्तविक जीडीपी 2024 में 0.7 प्रतिशत गिर सकती है और अगले चार वर्षों में सालाना औसतन वृद्धि दर सिर्फ 1.78 प्रतिशत रहने की संभावना है.
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