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कांग्रेस नाराज हुई तो संजय राउत ने लिया यू-टर्न,कहा-इंदिरा देशभक्त

संजय राउत ने दिया था इंदिरा गांधी पर बयान

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अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मुलाकात को लेकर दिए गए बयान पर हंगामा होने के बाद शिवसेना नेता संजय राउत डैमेज कंट्रोल मोड में हैं. उन्होंने अब सफाई देते हुए कहा है कि वो हमेशा से इंदिरा गांधी और नेहरू की इज्जत करते हैं.

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उन्होंने कहा, “कांग्रेस के हमारे दोस्तों को आहत होने की जरूरत नहीं है. अगर किसी को लगता है कि मेरे बयान से इंदिरा गांधी जी की छवि को धक्का पहुंचा है या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है, तो मैं अपने बयान को वापस लेता हूं.”

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, बुधवार को संजय राउत ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मिलने इंदिरा गांधी मुबंई आया करती थीं. उन्होंने ये भी कहा,

एक दौर था जब दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील और शरद शेट्टी मुंबई के पुलिस कमिश्नर तय किया करते थे. इतना ही नहीं, वो यह भी तय करते थे कि सरकार के किस मंत्रालय में कौन बैठेगा. हमने अंडरवर्ल्ड का वो दौर देखा है, लेकिन अब वो यहां सिर्फ चिल्लर हैं.

बता दें कि संजय राउत के इसी बयान पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम और मिलिंद देवड़ा ने नाराजगी जाहिर की थी और राउत से अपने बयान वापस लेने मांग की थी.

मिलिंद देवड़ा ने कहा,

“इंदिरा जी एक सच्ची देशभक्त थीं, जिन्होंने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से कभी समझौता नहीं किया. पूर्व मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में, मैं मांग करता हूं कि संंयज राउत जी अपने गैर-जिम्मेदाराना बयान को वापस लें. दुनिया से गुजर चुकी प्रधानमंत्रियों की विरासत पर झूठ फैलाने से पहले राजनीतिक नेताओं को संयम दिखाना चाहिए.”

संजय राउत का यू-टर्न

संजय राउत ने कांग्रेस की नाराजगी को देखते हुए सफाई दी है. उन्होंने कहा,

“मैंने इंदिरा गांधी, पंडित नेहरू, राजीव गांधी और गांधी परिवार के प्रति जो सम्मान दिखाया है, वह विपक्ष में होने के बावजूद किसी ने भी नहीं किया है. जब भी लोगों ने इंदिरा गांधी पर निशाना साधा है, मैं उनके लिए खड़ा हुआ हूं.” मैं कभी भी आयरन लेडी इंदिरा गांधी की प्रशंसा करने से नहीं कतराया. हैरानी की बात यह है कि, जो इंदिरा जी का इतिहास नहीं जानते हैं, वे आज आवाज ऊंची कर के चिल्ला रहे हैं.”

संजय राउत ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा, "करीम लाला से कई नेताओं की मुलाकात होती थी. अफगानिस्तान के पठानों के नेता के रूप में नेताओं की उनसे (करीम लाला) मुलाकात होती थी. करीम लाला के दफ्तर में कई नेताओं की तस्वीरें भी थीं. समस्या जानने के लिए करीम लाला से सभी नेता मिलते थे.'

बता दें कि महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी गठबंधन में है. ऐसे में संजय राउत की सफाई को गठबंधन में दरार के तौर पर देखा जा रहा है.

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