भारत में लगातार कोविड के दो लाख से ज्यादा नए केस आ रहे हैं. इस तरह 1.4 करोड़ संक्रमण और 174,350 लोगों की मृत्यु के साथ भारत ब्राजील को पीछे छोड़ते हुए विश्व में दूसरा सबसे प्रभावित देश हो गया है. कोविड संक्रमण में अचानक इस प्रसार का कारण भारत में पाये गये नये कोरोना वेरिएंट B.1.617 को माना जा रहा है ,जिसे ' डबल म्यूटेंट' का नाम भी दिया गया है.
नए वेरिएंट B.1.617 को भारत में दो म्यूटेशन E482Q और L452R के रूप में पाया गया है. इसे सबसे पहले 5 अक्टूबर 2020 को महाराष्ट्र में एक भारतीय वैज्ञानिक द्वारा रिपोर्ट किया गया था. सोमवार को इसे WHO के सामने प्रस्तुत किया गया .यह जानकारी शुक्रवार को WHO की टेक्निकल लीड ऑफिसर ऑन कोविड वैन करखोवे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए दी. साथ ही उन्होंने कहा कि " इस वेरिएंट की जांच हम सावधानी से कर रहे हैं. इस वेरिएंट में दो म्यूटेशन का होना, जैसा कि विश्व के दूसरे वेरिएंट में भी देखा गया है, चिंता का विषय है."
भारत में कोरोना की दूसरी लहर- क्या डबल म्यूटेंट है कारण?
जिनोम सीक्वेंसिंग के आधार पर भारत में कोरोना की दूसरी लहर में इस वेरिएंट की भूमिका हो सकती है.
दरअसल इवोल्यूशनरी बायोलॉजी के अनुसार हर वायरस समय के साथ म्यूटेट (रूप बदलता है) होता है. कुछ म्यूटेशन उसे कमजोर बनाते हैं तो कुछ अत्यधिक शक्तिशाली. इसके कारण उसका प्रसार तेजी से होता है और इंसानों पर इसका प्रभाव ज्यादा खतरनाक होता है.
60% तक केसों में नया वैरिएंट
वेबसाइट ट्रैकर outbreak.info ( जो कि अपना डाटा ग्लोबल रेस्पिरेट्री GISAID से लेती है )के अनुसार जनवरी में भारत के सैंपल सीक्वेंस में जहां इसकी मौजूदगी नाम मात्र की थी वहीं अप्रैल में इस वेरिएंट को 52% तक पाया गया.
स्टेट रन काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च जिनोमिक्स इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर अनुराग अग्रवाल के अनुसार महाराष्ट्र के कुछ जिलों के सैंपल सीक्वेंस में इसकी संख्या 60% तक है.
अब तक B.1.617 के सैंपल देश के 10 राज्यों में पाए गए हैं. हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलेक्युलर बायोलॉजी के डायरेक्टर राकेश मिश्रा के अनुसार यह वेरिएंट पहले के वेरिएंट की अपेक्षा तेजी से फैल रहा है. आने वाले समय में यह पूरे देश में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कोरोना वायरस का वेरिएंट हो सकता है.
भारत में वैक्सीनेशन पर असर
वर्तमान में भारत के पास तीन ऑथराइज वैक्सीन उपलब्ध हैं .इनमें से दो वैक्सीन ,कोवैक्सीन और कोविशिल्ड, सरकार द्वारा लोगों को लगाया जा रहा है ,जबकि रूस की Sputnik V वैक्सीन को अभी पिछले सप्ताह ही मंजूरी मिली है. ऐसे में कोविड का यह नया वेरिएंट भारतीय वैक्सीनेशन ड्राइव को और अब तक की मेहनत को नाकाम कर सकता है.
दरअसल वैक्सीनेशन पर इसका असर इसके ‘इम्यून इस्केप’ की खासियत पर निर्भर करेगा. जब कोई वायरस अपने अंदर ऐसे म्यूटेशन करता है ,जो उसके खिलाफ बने वैक्सीन को नाकाम कर देते हैं ,तब उसे इम्यून इस्केप कहते हैं.
वैक्सीनेशन या संक्रमण के बाद बने एंटीबॉडी इम्यून इस्केप की खासियत वाले वेरिएंट पर कारगर नहीं होते. अगर B1.617 का वेरिएंट यह खासियत रखता है तो वैक्सीनेशन के क्षेत्र में पिछले 1 साल की मेहनत नाकाम हो सकती है.
फिर भी स्थिति का पूरा आकलन पर्या आंकड़ों और रिसर्च के बाद ही हो सकेगा.
यह अन्य कोरोना वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक?
कुछ रिसर्च के अनुसार "डबल म्यूटेंट' अन्य वेरिएंट की अपेक्षा ज्यादा खतरनाक है और तेजी से फैलता है. हावर्ड मेडिकल स्कूल के पूर्व प्रोफेसर विलियम ए. हैसेलटाइन ने 12 अप्रैल को फोर्ब्स में लिखा कि B.1.617 के अंदर एक बहुत खतरनाक वायरस होने के सारे लक्षण मौजूद है. हमें इसे पहचानने और रोकने के सारे प्रयास करने होंगे.
देश के बाहर
Outbreak.info के सिचुएशन रिपोर्ट के अनुसार अब तक कम से कम 10 देशों (जिसमें अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल है)में यह वेरिएंट पहुंच चुका है .
UK सरकार द्वारा जारी सर्विलांस रिपोर्ट के अनुसार इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में इसके 77 मामले पाए गए हैं. UK ने इसे VUV (वैरीअंट अंडर इन्वेस्टिगेशन )का दर्जा दिया है.
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