दुनियाभर के देश कोरोना वायरस के खात्मे का इंतजार कर रहे हैं. इसकी वैक्सीन बनाने की दिशा में 100 से भी ज्यादा रिसर्च हो रहे हैं. हालांकि अब तक किसी भी तरह की कोई ठोस कामयाबी नहीं मिल पाई है.
भारत में भी वैक्सीन बनाने की दिशा में काम चल रहा है, लेकिन वैक्सीन के आने में अभी एक साल तक का वक्त भी लग सकता है. वैक्सीन को लेकर खुद सरकार ने जानकारी दी हैं.
वैक्सीन की क्वॉलिटी और सेफ्टी जरूरी
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) प्रोफेसर के. विजय राघवन ने बताया कि, वैक्सीन हम नॉर्मल लोगों को देते हैं न कि बीमार या लास्ट स्टेज के मरीज को इसलिए जरूरी है कि वैक्सीन की क्वॉलिटी और सेफ्टी को पूरी तरह से टेस्ट किया जाए. उन्होंने आगे कहा,
साधारणतः वैक्सीन 10-15 साल में बनता है और इसकी लागत 200 मिलियन डॉलर के करीब होती है. अब हमारी कोशिश है कि इसे एक साल में बनाया जाए, इसलिए एक वैक्सीन पर काम करने की जगह हम लोग एक ही समय में 100 से अधिक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं.प्रोफेसर के. विजय राघवन, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA)
अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना को ह्यूमन ट्रायल में मिली सफलता
कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में जुटी अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना को ह्यूमन ट्रायल के फेज 1 में बेहतर नतीजे मिले हैं. आठ हेल्दी लोगों में इस वैक्सीन कैंडिडेट से संक्रमण के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स पाया गया और ये सुरक्षित पाई गई है.
ह्यूमन ट्रायल का अगला फेज जल्द शुरू किया जाएगा, जिसमें और ज्यादा लोगों पर इस वैक्सीन कैंडिडेट का असर परखा जाएगा.
इटली और इजराइल ने वैक्सीन बनाने का दावा किया
इटैलियन मेडिकल फर्म ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसी वैक्सीन तैयार कर ली है जो कोरोना वायरस को खत्म कर सकती है. इससे पहले इजरायल ने भी ऐसा ही एक दावा किया था.
इटली की एक न्यूज एजेंसी एएनएसए ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि रोम के एक हॉस्पिटल में एक वैक्सीन को टेस्ट किया गया है. जिसमें पता चला है कि ये किसी भी व्यक्ति के शरीर में जाकर वायरस का असर खत्म कर सकती है.
इटली के साइंटिस्ट्स ने ये टेस्ट एक चूहे पर किया. जिसमें उन्होंने देखा कि इससे एंटीबॉडी तैयार हो रही है, जो इंसान के शरीर में जाकर वायरस के असर को खत्म कर सकती हैं. ये रिजल्ट उन्हें सिर्फ एक बार वैक्सीन देने पर मिला है.
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