दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण से लोगों का सांस लेना मुश्किल हो चुका है. अब प्रदूषण के इस खतरनाक स्तर पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर साल दिल्ली में ऐसा ही क्यों होता है? सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हर साल दिल्ली चोक हो जाती है, लेकिन हम कुछ भी नहीं कर पाते हैं. कोर्ट ने प्रदूषण और पराली जलाने के मामले में पंजाब, हरियाणा और यूपी के मुख्य सचिवों को कोर्ट में पेश होने को कहा है.
कोर्ट ने आदेश दिया है कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी में कोई पवार कट न किया जाए, जिससे डीजल जनरेटर न चलाना पड़े. इन राज्यों की उच्च स्तरीय कमेटी आज बैठक करेगी और रिपोर्ट 6 नवंबर को पेश करेगी. प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट 6 नवंबर को ही अगली सुनवाई करेगा.
लोगों को है जीने का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के मामले पर कहा कि लोगों को जीने का अधिकार है और यह काफी जरूरी है. कोर्ट ने कहा कि हर साल 10-15 दिन तक यही चलता रहता है. एक सिविलाइज्ड देश में ये बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से कई सवाल भी पूछे. कोर्ट ने कहा,
हालात काफी भयानक हैं. चाहे दिल्ली हो या फिर केंद्र आप लोग क्या कर रहे हैं? आप लोग प्रदूषण को कम करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अगले 30 मिनट में आईआईटी के अलावा अन्य पर्यावरण एक्सपर्ट्स को बुलाने का निर्देश जारी किया है.
पंजाब और हरियाणा को भी नसीहत
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के अलावा पंजाब और हरियाणा सरकार को भी निर्देश जारी किए. सुप्रीम कोर्ट ने लगातार पराली जलाने की घटनाओं को लेकर इन सरकारों को नसीहत दी और इस पर रोक लगाने को कहा.
दिल्ली सरकार से सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि ऑड-ईवन स्कीम के पीछे का तर्क क्या है. कोर्ट ने कहा, "डीजल वाहन बैन करना समझ सकते हैं, लेकिन ऑड-ईवन स्कीम की क्या जरूरत थी." कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि शुक्रवार यानी 8 नवंबर तक ऑड-ईवन से प्रदूषण में हुई कमी की रिपोर्ट पेश करें.
कोर्ट ने दिल्ली-NCR में कंस्ट्रक्शन और तोड़फोड़ पर लगे बैन का उल्लंघन करने वालों पर 1 लाख का जुर्माना लगाने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा कूड़ा जलाने पर 5000 रुपये का फाइन लगाया जाएगा.
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