संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की पांच सदस्यीय समिति के सदस्य अशोक धवले (Ashok Dhawale) ने अपने बयान में कहा कि हम सराहना करते हैं कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है और लिखित तौर पर आश्वासन दे रही है. लेकिन प्रस्ताव में कुछ खामियां थीं, इसलिए कल रात हमने कुछ संशोधनों के साथ इसे वापस भेज दिया और सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं.
बता दें कि मंगलवार, 7 दिसंबर को केंद्र सरकार ने किसानों की मांगें पूरा करने का आश्वासन देते हुए पत्र लिखा था, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का वादा भी शामिल है.
मंगलवार को किसान संगठनों की बैठक में सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा हुई, हालांकि कुछ मुद्दों पर गतिरोध के चलते आंदोलन के भविष्य को लेकर फैसला नहीं हो पाया.
संयुक्त किसान मोर्चा की समिति के सदस्य ने कहा कि किसान संघ के सदस्यों सहित एमएसपी-केंद्रित समिति के गठन की आवश्यकता है. सरकार ने यह भी कहा कि आंदोलन खत्म करने के बाद हमारे खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिए जाएंगे, जो गलत है. उन्होंने कहा कि हमें यहां ठंड में बैठना पसंद नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि सैद्धांतिक रूप से मुआवजे को मंजूरी दे दी गई है, हमें पंजाब मॉडल जैसा कुछ ठोस चाहिए. सरकार ने बिजली बिल को वापस लेने का भी वादा किया था, लेकिन अब वो हितधारकों के साथ इस पर चर्चा करना चाहते हैं और फिर इसे संसद में रखना चाहते हैं, जो सही नहीं है.
'जब तक मांगें नहीं पूरी होती चलता रहेगा आंदोलन'
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता गुरनाम चाढ़ूनी ने बुधवार, 8 दिसंबर को दिल्ली में हुई एक बैठक में कहा कि यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि हमारी सभी मांगें कब पूरी होंगी. अगर हम वापस जाते हैं और सरकार देरी करती है, तो यह हमारे लिए यह एक समस्या होगी. जब तक हमारी सभी मांगें पूरी नहीं हो जाती हम आंदोलन को खत्म नहीं करेंगे.
कृषि कानूनों की मांगों से संबंधित केंद्र सरकार के साथ चर्चा करने के लिए पैनल का गठन किया गया था.
कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार के साथ चर्चा करने के लिए नियुक्त पैनल आज केंद्र के मसौदा के संशोधन पर विचार करेगा और दोपहर 2 बजे संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के लिए सिंघू बॉर्डर पर जाने से पहले सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार करेगा.
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