दिल्ली में किसान प्रदर्शन में शामिल पंजाब के एक वकील, अमरजीत सिंह राय की खुदकुशी से मौत हो गई है. अमरजीत की तरफ से दो सुसाइड नोट भी मिले हैं, जिसमें उन्होंने कृषि कानूनों को ‘काला कानून’ बताया और लिखा कि इसकी वजह से किसान और मजदूर ‘ठगा हुआ’ महसूस कर रहे हैं. अमरजीत की मौत टिकरी बॉर्डर पर हुई, जहां वो कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राम कुमार मुंशी, जो 16 दिसंबर से टिकरी बॉर्डर पर अमरजीत के साथ कैंप कर रहे थे, ने बताया कि अमरजीत को पहले बहादुरगढ़ सिविल अस्पताल ले जाया गया, जिसके बाद उन्हें पीजीआईएमएस रोहतक लकर गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, अमरजीत के परिवार ने उनकी उम्र 63 साल बताई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, अमरजीत ने जो दो चिट्ठी दीं, उसमें से एक, जलालाबाद बार एसोसिएशन की एसडीएम जलालाबाद को लिखी चिट्ठी है, जिसमें किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन किया गया है. वहीं दूसरी चिट्ठी, अमरजीत सिंह की तरफ से पीएम मोदी को लिखी गई है, जिसपर 18 दिसंबर 2020 की तारीख लिखी है.
पीएम को लिखी चिट्ठी में, कृषि कानूनों को काला कानून बताया गया है. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अंग्रेजी में इस चिट्ठी में लिखा है, “किसान और मजदूर जैसे आम आदमी आपके तीन काले कृषि बिलों से ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. जनता वोटों के लिए नहीं, बल्कि अपने परिवारों और पीढ़ियों की आजीविका के लिए पटरियों और सड़कों पर है. कृपया कुछ पूंजीपतियों के लिए किसानों, मजदूरों और आम लोगों की रोटी न छीनें और उन्हें सल्फास खाने के लिए मजबूर न करें. सामाजिक रूप से आपने जनता का और राजनीतिक रूप से SAD जैसे अपने सहयोगी दलों के साथ विश्वासघात किया है. मैं आपके विवेक को हिलाने के लिए इस विश्वव्यापी आंदोलन के समर्थन में अपना बलिदान देता हूं. भारतीय किसान मजदूर जनता जिंदाबाद.”
पुलिस का क्या कहना है?
PTI के मुताबिक, पुलिस ने कहा है कि वो सुसाइड नोट की प्रमाणिकता वेरिफाई कर रहे हैं. हरियाणा के झज्जर जिले से एक पुलिस अधिकारी ने PTI से कहा, “हमने मृतक के परिवार को जानकारी दे दी है, उनके यहां पहुंचने के बाद बयान रिकॉर्ड किया जाएगा और फिर आगे की कार्रवाई होगी.”
खुदकुशी के दो और मामले
खुदकुशी के दो और मामले किसान प्रदर्शन से जुड़े बताए जा रहे हैं. पंजाब के दयालपुरा मिर्जा गांव के रहने वाले 22 साल के किसान, गुरलभ सिंह, 18 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर से लौटे. कथित तौर पर अगले दिन खुदकुशी से उनकी मौत हो गई. NDTV के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि उन्हें पास के अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. उनकी खुदकुशी के पीछे का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है.
पंजाब के करनाल से एक सिख संत की 16 दिसंबर को खुदकुशी से मौत हो गई. सुसाइड से पहले उन्होंने एक नोट लिखा था, जिसमें किसान आंदोलन के प्रति सरकार के रवैये का जिक्र किया गया था.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू होने के बाद दिल्ली और पंजाब में करीब 41 किसानों की मौत हो चुकी है.
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