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CBI विवाद: अब पूर्व सूचना आयुक्त ने उठाए पारदर्शिता पर सवाल

आलोक वर्मा को हटाए जाने पर अब पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) ने सफाई मांगी है

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सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर आलोक वर्मा को हटाए जाने पर अब पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) ने सफाई मांगी है. उन्होंने राष्ट्रपति कोविंद को लेटर लिखकर उन सभी दस्तावेजों का खुलासा करने की मांग की है, जिनकी वजह से उन्हें हटाया गया. पूर्व सीआईसी श्रीधर आचार्युलु ने इस मामले में पूरी पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े किए हैं.

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नियुक्तियों में हो पारदर्शिता

पूर्व सीआईसी श्रीधर आचार्युलु ने राष्ट्रपति को लिखे लेटर में सीबीआई और सीआईसी नियुक्तियों में पारदर्शिता को मजबूत करने की बात लिखी. उन्होंने कहा कि इन पदों पर नियुक्ति करने से पहले पारदर्शिता बरती जानी जरूरी है. 'पारदर्शिता की शुरुआत सीआईसी नियुक्ति से होनी चाहिए और सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति और इसे हटाने और सीआईसी के लिए आयुक्तों के चयन आदि मुद्दों से निपटने में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में स्तरीय समितियों का फैसला होना चाहिए. सीबीआई और सीआईसी जैसे सभी संस्थानों को चलाने के सभी तरीकों को देखना होगा.

इससे पहले कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी वर्मा को हटाए जाने का आधार बने इन दस्तावेजों के खुलासे की मांग की थी. खड़गे भी उस कमिटी का हिस्सा थे, जिसमें वर्मा को हटाए जाने का फैसला लिया गया, उन्होंने वर्मा को हटाए जाने के खिलाफ वोट किया था

राष्ट्रपति के भाषण का जिक्र

आचार्युलु ने राष्ट्रपति कोविंद के एक भाषण का भी जिक्र किया. उन्होंने कोविंद का पिछले साल केंद्रीय सूचना आयोग के इवेंट में दिया गया भाषण याद किया. जिसमें राष्ट्रपति ने कहा था कि लोकतंत्र में अत्यधिक सूचना जैसी कोई चीज नहीं होती है. उन्होंने कहा कि सीबीआई और सीआईसी नियुक्तियों के संबंध में सूचनाओं की गंभीर कमी है.

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वर्मा को हटाए जाने पर सवाल

सीबीआई डायरेक्टर के पद से आलोक वर्मा को हटाए जाने के संबंध में आचार्युलु ने कहा कि सीवीसी रिपोर्ट जैसी पूरी जानकारी या कोई अन्य दस्तावेज जिसके आधार पर यह फैसला लिया गया, उसका खुलासा होना चाहिए. इसके लिए जरूरी दस्तावेजों को सार्वजनिक करना चाहिए.

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