सरकार ने साफ किया है कि लॉकडाउन में छूट को लेकर गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस में इंप्लॉयर्स पर जुर्माना तभी लागू होगा, जब कंपनी मालिक की सहमति, संज्ञान या लापरवाही से कोई अपराध होगा. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने एक ट्वीट में कहा कि कुछ खबरों में इस बात को गलत तरह से पेश किए जाने के बाद ये सफाई दी जा रही है.
खबरों में दावा किया गया कि मंत्रालय की गाइडलाइंस में कहा गया है कि अगर कर्मचारी को COVID-19 के संक्रमण की पुष्टि होती है तो कंपनी के डायरेक्टर्स या मैनेजमेंट के खिलाफ दंडनीय कार्रवाई की जाएगी.
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट में लिखा, ‘फैक्टचैक: दावा किया गया कि गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस में कर्मचारी के COVID-19 से संक्रमित पाए जाने पर कंपनी डायरेक्टर्स और मैनेजमेंट के खिलाफ दंडनीय कार्रवाई की बात कही गई है. सच ये है कि डिजास्टर मैनेजमेंट कानून 2005 के तहत जुर्माने संबंधी गाइडलाइंस की गलत व्याख्या की गई है और ये तब लागू होगा, जब इंप्लॉयर्स की सहमति,संज्ञान या लापरवाही से अपराध होता है."
प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने भी एक ट्वीट में कहा कि इस संबंध में गलत खबरें आई हैं, क्योंकि क्लॉज 21 के तहत प्रावधान ‘मैनेजमेंट के लिए सावधानियां’ की प्रकृति वाले हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल को लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा की थी. इसके अगले दिन, 15 अप्रैल को गृह मंत्रालय की तरफ से गाइडलाइंस जारी हुई थीं, जिसमें बताया गया था कि जिन इलाकों में कोरोना वायरस के केस नहीं हैं, वहां कुछ सावधानियों के साथ 20 अप्रैल से काम का वापस चालू करने की इजाजत होगी.
गाइडलाइंस में गृह मंत्रालय ने कहा था कि जिन उद्योगों को अनुमति दी गई है, वो अपने परिसर या आस-पास की बिल्डिंग में कर्मचारियों के ठहरने की व्यवस्था करें ताकि वो सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कर सकें.
(इनपुट्स- भाषा)
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