कर्नाटक (Karnataka) में हिजाब विवाद के मद्देनजर बेंगलुरू (Bengaluru) पुलिस कमिश्नर कमल पंत ने शहर के स्कूल, कॉलेजों के बाहर किसी तरह के विरोध-प्रदर्शन पर प्रतिबंध को दो सप्ताह यानी 22 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया है. सोमवार, 7 मार्च को जारी आदेश के मुताबिक बेंगलुरु में स्कूलों, पीयू कॉलेजों, डिग्री कॉलेजों के आसपास 200 मीटर क्षेत्र में किसी तरह की सभा या विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाया गया है.
कर्नाटक के कई इलाकों में मुस्लिम छात्राओं ने हिजाब पहनकर परीक्षा देने से रोकने के कॉलेज प्रशासन के फैसले का विरोध किया है. पुलिस कमिश्नर ने कहा कि, "हिजाब विवाद का अभी हल नहीं हो पाया है, ऐसे में इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन की किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, इसलिए आदेश जारी किया गया है." इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, "शहर में शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उचित सुरक्षा व्यवस्था करना जरूरी है."
हाईकोर्ट में क्या हुआ ?
हिजाब मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने 11 दिन तक लगातार सुनवाई के बाद 25 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
हिजाब मामले की सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अगुवाई में तीन जजों की बेंच का गठन किया गया था. इस बेंच में मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी के साथ जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी भी शामिल हैं.
10 फरवरी को कर्नाटक हाईकोर्ट ने छात्राओं की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखने पर सहमति दे दी थी. लेकिन हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था.
क्या था पूरा विवाद ?
कर्नाटक के उडुपी के गवर्नमेंट पीयू कॉलेज फॉर विमेन में 6 छात्राओं को हिजाब पहन कर आने से रोक दिया गया था. छात्राओं ने कॉलेज के इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया और हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी.
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