आम आदमी पार्टी कन्हैया कुमार के खिलाफ दिल्ली पुलिस को देशद्रोह के मामले में केस चलाने की इजाजत नहीं देगी. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन ने इस मामले में अपनी राय दी है. उन्होंने कहा है कि दिल्ली पुलिस ने जो भी सबूत पेश किए हैं उसके मुताबिक कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का मामला नहीं बनता है.
हालांकि इस मामले पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का कहना है, “मुझे बताया गया है कि अबतक इसपर कोई फैसला नहीं लिया गया है. जो खबरें चल रही हैं वो सिर्फ एक अनुमान है.”
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि 9 फरवरी 2016 को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस दौरान कथित रूप से देश विरोधी नारे लगाने की खबरें आई थीं. जिसमें कन्हैया कुमार और 9 लोगों के खिलाफ देश विरोधी नारे लगाने के आरोप लगे थे. जिसके बाद कन्हैया कुमार को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. कन्हैया कुमार उस वक्त जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष थे.
दिल्ली सरकार ने कहा- धारा 124 ए के तहत केस चलाने का कोई मामला नहीं
दिल्ली सरकार के गृह विभाग के मुताबिक आरोपियों पर, "राज्य के खिलाफ देशद्रोह की बात साबित नहीं होती है." गृह विभाग के मुताबिक,
रिकॉर्ड पर रखी गई चीजों को देखते हुए, एफआईआर में “राज्य के खिलाफ देशद्रोह और राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला करने और हिंसा भड़काने का कोई मामला नहीं है और आईपीसी की धारा 124 ए के तहत केस चलाने का कोई मामला नहीं है.
बिना मंजूरी चार्जशीट दायर करने पर दिल्ली पुलिस को कोर्ट की लगी थी फटकार
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने करीब दो साल बाद पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. हालांकि बिना दिल्ली सरकार से मंजूरी लिए चार्जशीट दायर करने पर दिल्ली पुलिस को कोर्ट ने फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि जब तक दिल्ली सरकार चार्जशीट दायर करने की मंदूरी नहीं देती, तब तक हम इस पर संज्ञान नहीं लेंगे. कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट पर पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी.
चार्जशीट में कुल 10 मुख्य आरोपी बनाए गए थे, जिसमें कन्हैया कुमार,उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य का नाम शामिल था.
बता दें कि किसी पर भी देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है. सिर्फ पुलिस की चार्जशीट पर अदालत संज्ञान नहीं ले सकती. ऐसे में सरकार की मंजूरी न होने पर देशद्रोह की धारा रद्द हो जाती है. फिलहाल इस मामले में अब अगली सुनवाई 18 सितंबर को होनी है.
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