कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे मामले में अब एसआईटी की जांच लगभग पूरी हो चुकी है और एसआईटी जल्द रिपोर्ट सरकार को सौंपने वाली है. बताया गया है कि ये पूरी रिपोर्ट 3 हजार से भी ज्यादा पन्नों की है, जिसमें विकास दुबे और उसके गुर्गों का पूरा काला चिट्ठा शामिल है. लेकिन इस रिपोर्ट में सिर्फ अपराधियों का ही नहीं बल्कि यूपी पुलिस के कई जवानों और अधिकारियों का नाम भी शामिल है.
विकास दुबे और उसके साथियों ने जब कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की थी तो कई पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई थी. इसके बाद चली पूरी जांच में अब 80 पुलिसकर्मियों के नाम सामने आए हैं. जो काफी चौंकाने वाला है.
क्योंकि अगर एक हिस्ट्रीशीटर के साथ अपराध में 80 पुलिस अधिकारियों का नाम सामने आता है तो ये यूपी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है. ये सभी पुलिसकर्मी कानपुर और कानपुर देहात में तैनात थे.
पुलिस करती थी जानकारी लीक
बताया गया है कि एसआईटी ने 9 अहम बिंदुओं पर जांच की है. इसमें बताया गया है कि पुलिस में मौजूद सिपाही और कुछ अधिकारी विकास दुबे गैंग से मिले हुए थे, जब भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होती तो, वो सबसे पहले विकास दुबे और उसके साथियों को इसकी जानकारी देते थे.
जिस दौरान पुलिस टीम पर घात लगाकर हमला हुआ था, उसकी जानकारी भी पुलिस के ही कुछ लोगों ने विकास दुबे को दी थी. साथ ही वो अधिकारी भी नपे हैं, जिन्होंने हथियारों के लाइसेंस जारी किए थे. एसआईटी ने विकास दुबे की संपत्ति को लेकर भी जांच कर रिपोर्ट सौंपी है.
रिपोर्ट में इन सवालों के जवाब
विकास दुबे और उसके गुर्गों को लेकर उठने वाले सभी सवालों का जवाब भी एसआईटी जांच में देने की कोशिश की गई है. जिनमें विकास दुबे पर जो भी मामले चल रहे हैं, उनमें अब तक क्या कार्रवाई हुई? विकास के साथियों को सजा दिलाने के लिए जरूरी कार्रवाई की गई या नहीं? जमानत रद्द कराने के लिए क्या कार्रवाई की गई? विकास दुबे के खिलाफ कितनी शिकायतें आईं? क्या चौबेपुर थाना अध्यक्ष और जिले के अन्य अधिकारियों ने उनकी जांच की? विकास दुबे और उसके साथियों पर गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट, एनएसए के तहत क्या कार्रवाई की गई? कार्रवाई करने में की गई लापरवाही की भी जांच की है?
इन सबके अलावा विकास दुबे और उसके साथियों के पिछले एक साल में कॉल डिटेल रिपोर्ट (सीडीआर) की जांच करना, विकास दुबे के संपर्क में आने वाले पुलिसकर्मियों की मिलीभगत के सबूत मिलने पर उन पर कड़ी कार्रवाई, घटना के दिन पुलिस को आरोपियों के पास हथियारों की जानकारी न होना, इसमें हुई लापरवाही की जांच करना, थाने को भी इसकी जानकारी नहीं थी, इसकी भी जांच करना आदि बिंदुओं को भी शामिल किया गया है.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि विकास दुबे कानपुर का एक हिस्ट्रीशीटर था, जिसे पकड़ने के लिए कानपुर पुलिस की एक टीम उसके गांव पहुंची थी. लेकिन उसे पहले से ही इस बात की जानकारी थी और उसने अपने साथियों के साथ घात लगाकर पुलिस टीम पर गोलियां बरसा दीं. जिसमें 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई. इसके बाद विकास दुबे और उसके साथी फरार हो गए. लेकिन यूपी पुलिस ने पहले उसके साथियों का एनकाउंटर किया और उसके बाद विकास दुबे का भी मध्य प्रदेश से कानपुर लाते हुए रास्ते में एनकाउंटर हो गया. पुलिस का कहना था कि गाड़ी पलटने के बाद दुबे पिस्तौल लेकर भाग गया और उसने पुलिस पर हमला किया. इन सभी एनकाउंटर को फर्जी बताया गया, फिलहाल मामला कोर्ट में है.
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