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Marriage vs live-in relationship: दोनों ही केस में 'हत्या' के पीछे कोई धर्म नहीं

श्रद्धा वालकर की हत्या के बाद देश के नेता अलग-अलग बयान दे रहे हैं

Published
भारत
3 min read
Marriage vs live-in relationship: दोनों ही केस में 'हत्या' के पीछे कोई धर्म नहीं
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दिल्ली के महरौली में लिव-इन पार्टनर की वीभत्स हत्या ने पूरे देश को चौंका कर रख दिया है. 28 साल के आफताब अमीन ने अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा का कथित तौर पर बेहरमी से कत्ल कर उसके शरीर के 35 टुकड़े कर दिए. पुलिस का कहना है कि दोनों की मुलाकात ऑनलाइन डेटिंग ऐप बंबल पर हुई थी. और दोनों लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे हे थे. इस हत्याकांड के बाद नेता कई लिव-इन-रिलेशनशिप को लेकर अपने-अपने बयान दे रहे हैं. कोई कह रहा है कि शिक्षित लड़कियों को लिव-इन- में नहीं रहना चाहिए,तो कोई लव-जिहाद बता रहा है. इन सब बातों तो दर-किनार रखते हुए पहले जानते हैं कि लिव-इन-रिलेशनशिप क्या है, और कोर्ट का क्या रुख है इस पर..

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क्या है लिव-इन-रिलेशनशिप?

जब लड़का और लड़की शादी किए बिना अपनी इच्छा से एक ही छत के नीचे पति-पत्नी की तरह रह रहे हों, तो उस रिश्ते को लिव-इन-रिलेशनशिप कहते हैं. भारतीय समाज में लिव-इन-रिलेशनशिप विवाद का मुद्दा है.

लिव -इन पर क्या बोल रहे हैं नेता? श्रद्धा वालकर की हत्या के बाद देश के नेता अलग-अलग बयान दे रहे हैं. केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने इस मामले में शिक्षित लड़कियों के अपने पेरेंट्स को छोड़ने और लिव इन रिलेशनशिप को चुनने पर दोष मढ़ा है. बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने लिव-इन रिलेशन को लव जिहाद की तुलना कर कहा है कि अब लव जिहाद पर चर्चा होनी चाहिए. यानी इन सब और समाज के एक हिस्से की धारणा हैं कि लिव-इन में रहना महिला के लिए सुरक्षित नहीं है. लेकिन इससे पहले कुछ आंकड़े जान लेते हैं.

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इस रिश्ते पर कोर्ट क्या कहता है? 

सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार एस. खुशबू बनाम कन्नियाम्मल (2010) के केस में लिव-इन रिलेशनशिप को भारतीय महिला अधीनियम एक्ट 2005 के तहत घरेलू संबधों की मान्यता दी. कोर्ट ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जिंदगी के जीने के अधिकार के तहत आता है. कोर्ट ने आगे कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप दो वयस्कों को एक साथ रहने की अनुमति देता है, उन्हें किसी भी केस में अवैध और गैरकानूनी नहीं माना जा सकता.

वहीं, बॉम्बे, इलाहाबाद और राजस्थान के हाईकोर्ट ने बार-बार ऐसे लिव इन जोड़ों को संरक्षण देने से मना कर दिया है. उन्होंने इसका कारण भी बताया है कि एक विवाहित और अवविवाहित के बीच लिव इन अवैध संबंध हैं. 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को उलट दिया था जिसमें लिव-इन रिश्ते में रहने वाले एक कपल को नैतिक आधार पर सुरक्षा देने से इनकार कर दिया गया था.

हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक विरोधाभासी रुख अपनाते हुए, दोनों व्यक्तियों की वैवाहिक स्थिति के बावजूद, एक महिला लिव-इन पार्टनर के अधिकारों को बरकरार रखते हुए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है.

पूर्व में भी हुईं ऐसी हत्याएं

इससे पहले भी हत्या के कुछ ऐसे केस सामने आए थे, जिसमें लड़का या लड़की का शव सूटकेस में मिला था. इसमें कुछ मामले इंटरफेथ मैरिज थे. अगस्त 2022 में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक लड़की ने अपने कथित प्रेमी की हत्या कर दी. लड़की का नाम था प्रीति और प्रेमी का नाम था फिरोज. इससे पहले साल 2010 में इंजीनियर राजेश गुलाटी ने 1999 में प्रेम विवाह किया था. राजेश गुलाटी ने अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी के शव के 72 टुकडे़ किए थे.

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ऐसा नहीं है कि महिलाओं की लिव-इन में रहते हुए ही ऐसी निर्मम में हत्या हुईं है. ऐसे कई मामले हैं जहां शादी के बाद महिला के पति ने अपनी पत्नी की हत्या की है. साल 2021 में एनसीआरबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दहेज हत्या के 6589 मामले दर्ज किए गए. साल 2020 में दहेज हत्या के 6843 मामले दर्ज किए गए. वहीं भारत में 2021 में आत्म हत्या से 23178 महिलाओं ने अपनी जान गंवाई है.

NCRB की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में देश में महिलाओं के खिलाफ 4,28,278 मामले दर्ज किए. इनमे से 32 फीसदी मामले सबसे ज्यादा पति द्वारा पत्नी को प्रताड़ित करने के दर्ज किए.

यहां बात सिर्फ लिव-इन में रहते हुए प्रेमी द्वारा प्रेमिका की हत्या, और हिंदू-मुस्लिम की नहीं है. और ना ही शादी होने के बाद दहेज के लिए पत्नी की हत्या से संबंधित है. यहां बात सिर्फ क्राइम की जो महिला और पुरुषों के खिलाफ हुए हैं.

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