कोरोना महामारी की दूसरी लहर में कुंभ के आयोजन पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं, कोरोना महामारी के बीच कई दिनों तक यहां लाखों लोग पहुंचते रहे और स्नान करते रहे. इसके बाद अब लाखों फर्जी कोरोना टेस्ट का घोटाला सामने आया है. रिपोर्ट के मुताबिक कुंभ में आने वाले लाखों लोगों की नकली कोरोना रिपोर्ट बनाई गईं. इस पूरे मामले को उजागर करने वाला एक एलआईसी एजेंट है.
बिना टेस्ट कराए पहुंच गया मैसेज
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को पंजाब के फरीदकोट के एक एलआईसी एजेंट के ईमेल से कुंभ मेले में हुए लाखो फर्जी कोविड टेस्ट्स के बारे में पता चला, जिससे पहले से ही कई लोग देश का 'सबसे बड़ा फर्जी COVID टेस्ट घोटाला' कह रहे हैं.
22 अप्रैल को, विपिन मित्तल को एक एसएमएस मिला जिसमें कहा गया था कि उनका स्वाब COVID-19 टेस्ट के लिए कलेक्ट कर लिया गया है. लेकिन, विपिन ने COVID-19 टेस्ट नहीं लिया था.
मित्तल ने 15 जून को टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया,
“मेरी COVID-19 रिपोर्ट में कहा कि मैं कोविड नेगेटिव था, लेकिन मैंने टेस्ट नहीं किया था. मैं स्थानीय जिला अधिकारियों के पास गया था, लेकिन मुझे वापस भेज दिया गया. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी यह पता लगाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी कि क्या हो रहा था. अंतिम उपाय के रूप में, मैंने ICMR के साथ एक ईमेल शिकायत दर्ज की.”
सूचना के अधिकार से मिली जानकारी
इसके बाद आईसीएमआर ने उनसे कहा कि वे मामले की जांच करेंगे. लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. एक हफ्ते के बाद, उन्होंने सूचना का अधिकार (आरटीआई) दायर किया और उस लैब की डिटेल्स मांगी जिसने ये टेस्ट किया था.
कथित तौर पर स्वाब को हरिद्वार में टेस्ट किया गया था, जहां कुंभ मेला चल रहा था. इस बीच, ICMR ने उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग को शिकायत भेज दी. प्रशासन द्वारा की गई जांच में पता चला कि मित्तल अकेले नहीं थे. एक बड़े घोटाले के तहत करीब एक लाख फर्जी रिपोर्ट पेश की गई.
“जब मैंने शिकायत की, तो मुझे उम्मीद नहीं थी कि घोटाला इतने बड़े पैमाने पर होगा. मुझे नहीं लगता कि किसी ने इसकी उम्मीद की होगी, नकली COVID रिपोर्ट की खबर सुर्खियों में रहने के बावजूद, मुझे अपने डेटा की चोरी के लिए जवाब मांगना है. एजेंसी को मेरी व्यक्तिगत जानकारी कैसे मिली? मुझे अभी भी पता नहीं है.”विपिन मित्तल
क्या हुआ था?
रिपोर्ट के अनुसार, हरिद्वार के एक लैब ने 50 लोगों को पंजीकृत करने के लिए एक फोन नंबर का उपयोग किया, वहीं एक एंटीजन टेस्ट किट से 700 लोगों का टेस्ट किया गया था. एक अधिकारी ने अखबार को बताया,
“पते और नाम भी काल्पनिक थे. हरिद्वार में 'हाउस नंबर 5' से करीब 530 सैंपल लिए गए. क्या एक घर में 500 निवासियों का होना संभव है. ”
उन्होंने कहा, "फोन नंबर भी फर्जी थे. कानपुर, मुंबई, अहमदाबाद और 18 अन्य स्थानों के लोगों ने एक ही फोन नंबर साझा किया."
कुंभ का क्या प्रभाव पड़ा?
धार्मिक उत्सव, जिसमें COVID-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच लाखों भक्तों ने भाग लिया, 1 से 30 अप्रैल तक आयोजित किया गया था. यह हरिद्वार, देहरादून, टिहरी और पौड़ी जिलों के कुछ हिस्सों में हुआ था.
किए गए एक लाख टेस्ट में से, 177 COVID पॉजिटिव थे, केवल 0.18 प्रतिशत की पाजिटिविटी रेट के साथ. हालांकि अप्रैल में हरिद्वार में पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी था.
कुंभ में हिस्सा लेने वाले श्रद्धालुओं की कोविड जांच के लिए प्रशासन ने 24 निजी लैब्स को अनुमति दी जिनमे से 14 जिला प्रशासन और 10 कुंभ प्रशासन द्वारा थे. निर्देश थे कि हर दिन कम से कम 50,000 सैंपल का परीक्षण किया जाना था.
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