400 से ज्यादा रिटायर्ड मिलिट्री अफसरों ने न्यूज एजेंसी थॉमसन रॉयटर्स को शिकायती लेटर लिखा है. इन अफसरों ने थॉमसन रॉयटर्स की सहयोगी न्यूज एजेंसी एशियन न्यूज इंटरनेशनल (ANI) पर सत्ताधारी दल का समर्थक होने का आरोप लगाया है.
रिटायर्ड अफसरों का आरोप है कि ANI देश में सत्ताधारी दल को लेकर पक्षपात करता है.
इस लेटर में रिटायर्ड मेजर प्रियदर्शी चौधरी कहते हैं, "हम मानते हैं कि ANI ने भारत की सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर काम किया. जिससे हमारे विचारों के साथ हेरफेर किया जा सके और हमारे इरादे को बदनाम किया जा सके.”
रिटायर्ड अफसरों ने ये भी शिकायत दर्ज कराई है कि हाल ही में उनकी तरफ से राष्ट्रपति को लिखी गई चिट्ठी की कवरेज में भी ANI ने पक्षपात किया था.
इस कवरेज में पूर्व आर्मी वाइस चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल एमएल नायडू के हवाले से ANI ने लिखा था, "नहीं, मेरी इजाजत के बिना ये चिट्ठी लिखी गई और मुझसे इस बारे में किसी तरह की सहमति नहीं ली गई थी.”
हालांकि, नायडू ने कहा है कि एएनआई ने उनके बयान को गलत तरीके से लिखा. ऐसा ही दो दूसरे अफसरों के साथ भी किया गया था.
मेजर चौधरी ने रॉयटर्स से ये जानकारी देने के लिए कहा है-
- थॉमसन रॉयटर्स अपने स्ट्रैटेजिक पार्टनर (ANI) के एडिटोरियल कंटेंट का मूल्यांकन कैसे करता है, जिससे पत्रकारिता के मानक और संपादकीय गुणवत्ता का भरोसा मिल सके?
- क्या थॉमसन रॉयटर्स ने जून 2018 में अपनी स्ट्रैटेजिक साझेदारी को बढ़ाने से पहले एएनआई के मूल्यांकन के तरीकों, राजनीतिक संबंधों और प्रतिष्ठा की जांच की थी?
- ऊपर के सवालों के बारे में अगर ऐसा है, तो क्या थॉमसन रॉयटर्स को एएनआई के बारे में पता था? अगर नहीं, तो रॉयटर्स किस आधार पर अपने सहयोगियों से हासिल एडिटोरियल कंटेंट की गुणवत्ता और वैधता का मूल्यांकन करता है?
- क्या थॉमसन रॉयटर्स एएनआई के इस रिपोर्टिंग को अपने गुणवत्ता की कसौटी के अनुरूप मानता है? जिस तरह के मानक थॉमसन रॉयटर्स अपने एडिटोरियल कंटेंट के लिए रखता है? यह थॉमसन रॉयटर्स पर निर्भर करता है कि इस तरह का आचरण किसी निवेश कंपनी के लिए कितना सही है, जिसके खुद के मानक इतने उच्च स्तर के हों.
लेटर में कहा गया है, "थॉमसन रॉयटर्स को दुनिया भर में सम्मान और विश्वास के लिए जाना जाता है,और हम अपने सवालों के जवाब की उम्मीद करते हैं."
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