Mumbai Kaali Peeli Taxi: मुंबई की पहचान बन चुकी काली-पीली टैक्सी अब लोगों की 'जान' बनकर विदा ले रही है. 29 अक्टूबर को 'पद्मिनी' टैक्सी (Padmini Taxi) ने मुंबई की सड़कों पर आखिरी बार फर्राटा भरा. 60 साल तक मुंबई की शान बनकर रहनेवाली इस काली-पीली टैक्सी ने सड़कों को अलविदा कहा तो लोग भावुक हो गए.
आम लोग तो आम, खुद बिजनैसमैन आनंद महिंद्रा काली-पीली टैक्सी के बंद होने पर इमोशनल हो गए. उन्होंने कहा "मेरे जैसे पुराने लोगों के लिए ये टैक्सियां कई यादें समेटी हुई हैं. अलविदा काली-पीली टैक्सी"
आनंद महिंद्रा ने ट्वीट कर मुंबई की 'पद्मिनी' को विदाई दी. उन्होंने कहा...
"आज से, आईकॉनिक प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी मुंबई की सड़कों से गायब हो गई. वे अच्छी नहीं थी, असुविधाजनक, ज्यादा नहीं चलनेवाली और शोरगुल करने वाली थी. इसमें सामान रखने की क्षमता भी ज्यादा नहीं थी लेकिन मेरे जैसे बुजुर्ग (विंटेज) लोगों के लिए ये कई टन यादें समेटी हुई हैं. उन्होंने हमें बिंदु A से बिंदु B तक ले जाने का अपना काम किया. अलविदा और अलविदा, काली-पीली टैक्सियां, अच्छे समय के लिए धन्यवाद...!"
आनंद महिंद्रा के इस ट्वीट के कमेंट में लोगों ने अपना इमोशन उड़ेल डाला. लोगों ने कमेंट बॉक्स में इन टैक्सियों से जुड़ी अपनी यात्रा और यादों, दोनों को शेयर किया.
"जर्नी फ्रॉम बॉम्बे टू मुंबई- एंड ऑफ एरा"
मुंबई के कंसल्टेंट मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. राहुल बक्शी ने 'पद्मिनी' टैक्सी की दीवार पर बनी एक पेटिंग शेयर की. कैप्शन दिया "जर्नी फ्रॉम बॉम्बे टू मुंबई-एंड ऑफ एरा".
एक अन्य सोशल मीडिया यूजर अशोक बिजल्वाण ने इन टैक्सियों के ड्राइवर की खूब तारीफ कीं. उन्होंने कहा...
"सबसे बढ़कर, इनके ड्राइवर पेशेवर और ईमानदार थे. वे सड़कों को जानते थे, मीटर के हिसाब से सबसे छोटे रास्ते से जाते (दिल्ली के विपरीत) थे. यहां तक कि सबसे कम दूरी के लिए भी और कभी भी ग्राहकों से अधिक पैसे नहीं लेते थे. वे मुंबई में हर जगह चलती थीं. मुंबई की सड़कों से काली और पीली टैक्सियां अलविदा."
वहीं, सुधीर पाका ने भारी मन से काली-पीली टैक्सियों को विदाई दी. उन्होंने लिखा "ढेर सारी यादें और दिल इमोशन से भर रहा है.... बहुत याद आएंगी."
अब, मुंबई से बाहर रहनेवाले लोग भी इन टैक्सियों से भली-भांति परिचित हैं. मुंबई वासियों को उनके मंजिल तक पहुंचानेवाली ये टैक्सियां बॉलीवुड फिल्मों में खूब दिखीं. देवानंद की फिल्म 'टैक्सी ड्राइवर' तो बनी ही टैक्सी चलानेवाले ड्राइवर की कहानी पर. 80-90 के दशकों की फिल्मों में अगर मुंबई का जिक्र होता था तो टैक्सियां जरूर नजर आती थीं.
मुंबई में काली-पीली टैक्सी का इतिहास
1964 में प्रीमियर पद्मिनी टैक्सियों की शुरुआत हुई थी. तब ये 'फिएट-1100 डिलाइट' मॉडल के साथ शुरू हुई थीं. इसमें स्टीयरिंग के साथ गियर दिया गया था. ये 1200 सीसी की कार थी.
1970 में 'पद्मिनी' की रीब्राडिंग की गई और इसे प्रीमियर प्रेसिडेंट के नाम से जाना गया.
प्रीमियर ऑटोमोबाइल लिमिटेड (पीएएल) इसका निर्माण करती थी. 2001 में इन टैक्सियों का मैनिफैक्चर बंद हो गया.
29 अक्टूबर, 2003 में मुंबई में काली-पीली टैक्सी के रूप में आधिकारिक तौर पर आखिरी प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी को रजिस्टर किया गया था. TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, अंतिम प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी का रजिस्टर करानेवाले अब्दुल करीम कारसेकर ने इन टैक्सियों को ''मुंबई और उसके जीवन का गौरव" बताया. लास्ट रजिस्टर होनेवाली टैक्सी का नंबर था-MH-01-JA-2556.
2013 में RTO ने टैक्सियों की लाइफ की समय सीमा 20 साल कर दी. इसलिए 30 अक्टूबर से इन टैक्सियों को पूरी तरह बंद कर दिया गया.
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