दिल्ली के निर्भया गैंगरेप मामले में दोषी पवन गुप्ता की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. दोषी पवन ने याचिका में दावा किया है कि अपराध के वक्त वह नाबालिग था. जस्टिस आर भानुमति की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच याचिका पर सुनवाई करेगी. पीठ के अन्य सदस्य जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोपन्ना हैं.
इससे पहले पवन ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी लगाई गई थी, जिसमें कहा गया था कि वो घटना के वक्त नाबालिग था. इसी के आधार में उसने कोर्ट से राहत देने की मांग की थी. लेकिन हाई कोर्ट से अर्जी खारिज कर दी गई थी जिसके बाद हाई कोर्ट के फैसले को पवन की ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
पवन ने याचिका में दावा किया था कि 16 दिसंबर 2012 को वो नाबालिग था. इसलिए उसे फांसी नहीं दी जा सकती.कोर्ट ने पवन की याचिका खारिज कर दी थी. बता दें कि अगर सुप्रीम कोर्ट से भी दोषी पवन की याचिका खारिज कर दी जाती है तो उसके पास क्यूरेटिव पिटिशन और राष्ट्रपति के पास अपनी दया याचिका भेजने का विकल्प होगा.
निर्भया के दोषी मुकेश ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की थी जिसे खारिज कर दी गई है. लेकिन कानूनी पेचेदिगियों को देखें तो अब भी ये कम ही मुमकिन लग रहा है कि 1 फरवरी को निर्भया के गुनहगारों को फांसी होगी. बता दें निर्भया के दोषियों के खिलाफ कोर्ट ने 17 जनवरी को फिर से डेथ वारंट जारी किया है, जिसके मुताबिक अब दोषियों को 1 फरवरी सुबह 6 बजे फांसी दी जाएगी.
16 दिसंबर, 2012 की रात दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा (निर्भया) का गैंगरेप किया गया था और उस पर नृशंस हमला करके उसे चलती बस से बाहर फेंक दिया था. उसकी 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी.
इस मामले के एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से खुदकुशी कर ली थी. एक अन्य आरोपी नाबालिग था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था. उसे तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था. शीर्ष अदालत ने 2017 में इस मामले के बाकी चार दोषियों को निचली अदालत और दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था.
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