सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा का ट्रांसफर कर दिया गया है. पीएम नरेंद्र मोदी, जस्टिस सीकरी और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच हुई बैठक में यह फैसला लिया गया है. उनका तबादला कर उन्हें फायर सेफ्टी विभाग का डीजी बनाया गया है. गुरुवार शाम हुई सेलेक्ट कमिटी की इस बैठक में सीबीआई डायरेक्टर पर 2-1 से फैसला लिया गया. खड़गे ने वर्मा के पक्ष में वोट किया. फिलहाल नागेश्वर राव को एक बार फिर चार्ज दिया गया है.
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को उनके पद पर बहाल किया था. इस फैसले के बाद बुधवार को वर्मा ने एक बार फिर कार्यभार संभाला और एक के बाद एक कई अहम फैसले लिए.
सेलेक्ट कमिटी ने लिया फैसला
सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा पर फैसले के लिए बनाई गई सेलेक्ट कमिटी में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की तरफ से जस्टिस सीकरी, सरकार की तरफ से खुद पीएम मोदी और लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे. इन सभी के बीच बुधवार को भी एक बैठक हुई, लेकिन इसमें कोई भी फैसला नहीं लिया गया. इसके बाद गुरुवार को हुई कमिटी की बैठक में यह अहम फैसला लिया गया.
बुधवार को ही आलोक वर्मा ने एक बार फिर सीबीआई डायरेक्टर का पद संभाला था, जिसके बाद उन्होंने नागेश्वर राव के कई फैसले पलट दिए थे. उन्होंने कुछ सीबीआई अधिकारियों के ट्रासंफर ऑर्डर को वापस ले लिया था, वहीं राकेश अस्थाना जांच मामले में भी बदलाव किया था.
दो घंटे से ज्यादा चली बैठक
पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई ये बैठक करीब दो घंटे से भी ज्यादा वक्त तक चली. इस बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कुछ आपत्तियां भी दर्ज कराई. लेकिन अंत में आलोक वर्मा को हटाए जाने का फैसला लिया गया.
कमिटी के सामने रखी गई सीवीसी की रिपोर्ट
सेलेक्ट कमिटी की इस बैठक में वर्मा पर राकेश अस्थाना के लगाए गए करप्शन के गंभीर आरोपों पर भी चर्चा हुई. इससे पहले सीवीसी ने कमिटी के सामने इस मामले से जुड़ी फाइलें रखी थीं. सीबीआई बनाम सीबीआई के इस केस से जुड़ी हर जानकारी कमिटी के सामने रखी गई थी. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि सिर्फ सीवीसी की रिपोर्ट पर फैसला नहीं किया जा सकता है, इसलिए उन्होंने वर्मा को भी शामिल करने की सिफारिश की थी.
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