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मोदी की कूटनीतिक जीत, भारत समेत 4 देशों का सार्क में जाने से इनकार

पाकिस्‍तान को अलग-थलग करने की मोदी सरकार की कोशिश अब काम कर रही है.

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उरी हमले के बाद यूं तो दोनों तरफ से जमकर बयानबाजी हुई, लेकिन भारत की तरफ से इस पूरे मामले पर जो सबसे ठोस कदम उठाए गए, उनमें से एक अब काम करता दिख रहा है. मोदी सरकार की तरफ से पाकिस्तान को इंटरनेशनल लेवल पर अलग-थलग करने का भारत का दांव कारगर साबित हो रहा है.

इसका ताजा उदाहरण तब सामने आया जब अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने इस्लामाबाद में होने वाली सार्क समिट में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया.

स्नैपशॉट

कार्रवाई के तौर पर उठाए थे ये चार कदम

  • 1. पाकिस्तान को दुनियाभर में अलग-थलग किया जाए
  • 2. सिंधु समझौते पर फिर से विचार हो
  • 3. पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीनने पर विचार हो
  • 4. देश की सरहद पर सिक्योरिटी और टाइट की जाए

पाकिस्तान को अलग-थलग करने का कदम कारगर

पाकिस्‍तान को अलग-थलग करने की मोदी सरकार की कोशिश अब काम कर रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: PTI)

मोदी सरकार का पाकिस्तान को दुनियाभर में अलग-थलग करने का कदम सबसे ज्यादा कारगर साबित हो रहा है. यूनाइटेड नेशन की जनरल असेंबली में पाकिस्तान को किसी भी देश का समर्थन नहीं मिला. साथ ही दुनिया के कई देशों ने आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई.

इसका सबसे ताजा उदाहरण है सार्क सम्मेलन में भूटान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान का समिट में हिस्सा न लेने का फैसला (पढ़ें खबर). सार्क देशों के भारत को मिल रहे सपोर्ट से यह तो साफ हो गया है कि पकिस्तान सार्क में अलग-थलग पड़ गया है.

सिंधु समझौते पर फिर से विचार

पाकिस्‍तान को अलग-थलग करने की मोदी सरकार की कोशिश अब काम कर रही है.
सिंधु नदी की एक तस्वीर (फोटो: Wikipedia)

सिंधु समझौते को लेकर पीएम ने एनएसए अजि‍त डोभाल और जल मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मीटिंग की. मीटिंग में सभी अधिकारियों ने इस समझौते के टूटने पर देश को होने वाले नफा-नुकसान के बारे में बताया. जल मंत्रालय के सूत्रों की मानें, तो पीएम ने मीटिंग में कहा कि 'खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते.'

इसका असर यह हुआ कि पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहाकर सरताज अजीज ने बयान दिया कि अगर भारत ने सिंधु समझौता तोड़ा, तो इसे भारत के खिलाफ युद्ध के तौर पर देखा जाएगा. 

पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा छीना जाए

पाकिस्तान पर अगली चोट मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा छीनकर की जा सकती है. पीएम नरेंद्र मोदी ने 29 सितंबर को पाक को दिए गए एमएफएन स्टेटस की समीक्षा के लिए एक बैठक बुलाई है. इस बैठक में वाणिज्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे.

अगर पाकिस्तान से यह स्टेटस छीन लिया जाता है, तो कारोबार के नजरिए से उसे तगड़ा झटका लगेगा.

क्या है एमएफएन स्टेटस?

  • वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन और इंटरनेशनल ट्रेड नियमों को लेकर मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया जाता है.
  • इस स्टेटस मिलने के साथ देश इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाता है कि व्यापार में उसे नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.
  • भारत ने पाकिस्तान को 1996 में एमएफएन का दर्जा दिया था.
  • इसकी वजह से पाकिस्तान को अधिक आयात कोटा और कम ट्रेड टैरिफ मिलता है.
पाकिस्तान ने साल 2012 में भारत को एमएफएन का दर्जा दिए जाने का भरोसा दिया था, लेकिन अपने वादे को अब तक पूरा नहीं किया.

देश की सीमाएं होंगी अभेद्य

देश सीमाओं को अब अभेद्य बनाने की तैयारी पूरी हो चुकी है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मधुकर गुप्ता कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने के फैसले पर मुहर लगा दी है.

मधुकर गुप्ता कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर लगी फेंसिंग को अब हाईटेक किया जाएगा. जिन जगहों पर बॉर्डर फेंसिंग नहीं है, वहां इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस लगाने के निर्देश दिए गए हैं.

घुसपैठ को रोकने के लिए सेंसि‍टिव एरिया में अंडर ग्राउंड सेंसर लगाए जाएंगे. इसके अलावा नदी-नालों पर लेजर वॉल के साथ-साथ अंडर ग्राउंड वाटर सेंसर भी लगाए जाएंगे, ताकि नदी-नालों के जरिए होने वाली घुसपैठ को रोका जा सके. बॉर्डर के आसपास इलेक्ट्रिक ऑप्टो सेंसर भी लगाए जाएंगे, ताकि परिंदा भी पर न मार पाए.

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