पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न पुरुस्कार से सम्मानित किया जाएगा. शुक्रवार को उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा हुई. उनके अलावा नानाजी देशमुख और डॉक्टर भुपेन हजारिका को मरणोपरांत भारत रत्न पुरुस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
कार्यकाल खत्म होने पर ये बोले थे प्रणब मुखर्जी
बतौर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल खत्म होने के बाद प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति भवन से विदाई दे दी गई है. इस मौके पर उन्होंने देश के नाम संबोधन दिया था. देशवासियों को संबोधित करने के दौरान उन्होंने कहा- गुड बाय टू पार्लियामेंट. मुखर्जी ने कहा, ‘मैं लोगों के सहयोग से आभिभूत हूं और देशवासियों का सदैव ऋणी रहूंगा.’
उन्होंने कहा, ‘पिछले 50 सालों के सार्वजनिक जीवन में मेरा ग्रंथ संविधान रहा, संसद मंदिर रहा और लोगों की सेवा ही मेरा जुनून रहा.’
मिल सकता है सियासी रंग
पिछले साल 7 जून, 2018 को प्रणब मुखर्जी ने मुख्य अतिथि के तौर पर नागपुर के संघ हेडक्वार्टर में जाकर सियासी गलियारों में तूफान मचा दिया था. कांग्रेस पार्टी में कुछ नेता आगबबूला हुए तो बीजेपी नेताओं ने कहा कि पॉलिटिक्स में ‘छुआछूत’ पुरानी बात हो चुकी.
प्रणब दा को मिले भारत रत्न को सियासी रंग मिलना तय है. इन दिनों पश्चिम बंगाल में सियासी दायरा बढ़ाने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रही बीजेपी को ममता बनर्जी के सामने बड़े चेहरे की जरूरत है. भारत रत्न के फैसले को इसी कोशिश से जोड़कर देखा जाएगा.
अपने संबोधन में ये बोले थे प्रणब
- जब मैंने राष्ट्रपति पद संभाला तो मैंने लोगों की सुरक्षा का वादा किया. पांच साल में हर दिन मैं जिम्मेदार रहा.
- निर्वाचित प्रतिनिधियों और राजनीतिक दलों के हार्दिक आभार से अभिभूत हूं.
- मैंने देश को जितना दिया, उससे कहीं अधिक पाया है.
- मैं भारत के लोगों के प्रति सदैव ऋणी रहूंगा.
- आधुनिक राष्ट्र का निर्माण समान अधिकार, धर्म निरपेक्षता और आर्थिक समता से होता है
- विकास को वास्तविक बनाने के लिए, देश के सबसे गरीब को यह महसूस होना चाहिए कि वह राष्ट्र गाथा का एक भाग है.
- पांच साल पहले जब मैंने गणतंत्र के राष्ट्रपति पद की शपथ ली तो मैंने अपने संविधान का न केवल शब्दशः बल्कि मूल भावना के साथ संरक्षण, सुरक्षा और परिरक्षण करने का वचन दिया.
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