राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने COVID-19 महामारी से लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों पर हिंसा की घटनाओं को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाने वाले एक अध्यादेश को अपनी मंजूरी दे दी है.
महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन करने वाला इस अध्यादेश में स्वास्थ्यकर्मियों को पहुंचे जख्म और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या उसे नष्ट करने के लिए मुआवजे की व्यवस्था की गई है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘राष्ट्रपति ने इस अध्यादेश की उद्घोषणा के लिए अपनी मंजूरी दे दी.’’
अध्यादेश के मुताबिक, हिंसा करने या उसमें सहयोग करने पर तीन महीने से पांच साल तक कैद और 50 हजार से लेकर दो लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. गंभीर चोट/जख्म पहुंचाने पर दोषी को छह महीने से लेकर सात साल तक कैद की सजा होगी और एक लाख से लेकर पांच लाख रूपये तक उस पर जुर्माना लगेगा.
इसके अलावा अपराधी को पीड़ित को मुआवजा भरना होगा और उसे संपत्ति को पहुंचे नुकसान के लिए उसके बाजार मूल्य का दोगुना का भुगतान करना होगा.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों और संपत्ति की रक्षा के लिए महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश 2020 की उद्घोषणा को मंजूरी दी.
पिछले दिनों, देश के कई हिस्सों से मेडिकल स्टाफ के साथ मारपीट और हिंसा की खबरें आईं थीं. मध्य प्रदेश के इंदौर में जांच करने गए स्टाफ पर पत्थरबाजी की गई थी. पीएम से लेकर आईएमए ने इसकी कड़ी निंदा की थी.
भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना का कहर जारी है. लाखों लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके है और हजारों लोगों ने अपनी जान गंवा दी है. अब तक, दुनियाभर में कोरोना वायरस के 26 लाख से ज्यादा कंफर्म केस हैं. वहीं 1 लाख 80 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
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